सूर्या

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धृतराष्ट्र~हे तात! सूर्या का क्या किया जाए? यह तो आग उगल रहा है। कुछ उपाय कीजिए गुरुदेव। कम से कम अंगूठा नही मांग सकते तो नॉट फॉर सूटेबल ही करार कर दीजिए गुरुदेव। अन्यथा कुरु वंश की ख्याति धूमिल कर देगा यह अहीर का छोरा।

बद्री गुरू~ धृत ! तू चिंता मत कर। मैंने इसका उचित समाधान खोज निकाला है। मैं प्रयोग के तौर पर सूर्या के मनोबल को तोड़ने के लिए उसकी चक्रवर्ती पारी के बाद भी अगले वनडे में सलेक्शन नहीं कर यह सुनिश्चित कर दिया है कि उसके मनोबल को तोड़ दिया जाए। बार बार ऐसा करने से उसका मनोबल छोटा होगा। तत्पश्चात, धीरे धीरे वह स्वयं ही निम्न कोटि का प्रदर्शन करेगा। फिर समय अनुकूल देख कर उसे टीम से निकाल दिया जायेगा।

बद्री गुरु के इतना सुनते ही बेचैन धृतराष्ट्र प्रसन्न होकर अपने आसन पर विराजमान हो गए।

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