इतिहास कभी भी संदर्भहीन हो नहीं सकता, जो इतिहास संदर्भहीन होते हैं वो प्रेरणा स्रोत नहीं हो सकते हैं : वी एल मातंग
इतिहास कभी भी संदर्भहीन हो नहीं सकता, जो इतिहास संदर्भहीन होते हैं वो प्रेरणा स्रोत नहीं हो सकते हैं. इतिहास की घटनाएँ हमें याद है और घटनाओं के पीछे का कारण मालूम नहीं है तो आप केवल उन घटनाओं की प्रशंसा कर सकते हैं. उसको आगे बढ़ाने का काम आप किसी भी कीमत पर नहीं कर सकते हैं. यह बात बहुजन मुक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी एल मातंग ने बामसेफ भवन पूना में भीमा कोरेगांव के 203वें शौर्य विजय दिवस के अवसर पर कही.
वी एल मातंग ने कहा, भारत में ब्राह्मणों के पास तीन बड़े हथियार हैं. पहला
अज्ञानता, दूसरा विभाजन और तीसरा षड्यंत्र ये तीन मुख्य रूप से
इनका हथियार है. क्योंकि, अज्ञानता की वजह से उनका दावपेंच समझ में नही आता, इंटरपिटेशन नहीं होता है. वर्तमान में उसे प्रासंगिक
बनाने के संदर्भ में हम लोग इतिहास को प्रासंगिक नहीं बना सकते और विभाजन की वजह
से शक्तिहीन और प्रतिकारविहीन हो जाते हैं. हमारे मूलनिवासी बहुजनो के इतिहास के
संदर्भ में ब्राह्मणों ने तीन तरीके अपनाया है. उनका पहला तरीका है इतिहास में
घुसपैठ करना और ब्राह्मणीकरण करना. अगर आप इतिहास का ब्राह्मणीकरण देते हैं तो जो
ब्राह्मणों ने इतिहास में घुसपैठ किया उनके अनुकूल और आपके प्रतिकूल आपका इतिहास
बन जाता है. यानी आपका इतिहास आपके ही खिलाफ और उनके साथ में खड़ा हो जाता है. या
तो ब्राह्मण उसको लुप्त कर देते हैं उसका पता ही नहीं चलने देते हैं. ब्राह्मणों
ने ये तरीके सभी महापुरुषों के संदर्भ में अपनाया है.
उन्होंने कहा, आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास प्रेरणा स्रोत होता
है. इसलिए सम्राट अशोक ने आने वाली पीढ़ियों के लिए 84 हजार स्तूप तैयार किया था, शिलालेख
तैयार किया ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उसे याद करेंगी, उसे पढ़ेंगी तो उसके मुताबिक अपने समाज को तैयार करेगी. आगे कहा, इतिहास नायक और खलनायक निर्धारित करता है. अगर इतिहास
की आपको जानकारी है, इधर तो जानकारी ही नहीं है समझदारी नहीं तो प्रेरणा
कहां से आयेगी. एक प्रेरणा है और दूसरा प्रभाव है. हमारे ऊपर महापुरुषों का प्रभाव तो है, लेकिन
प्रेरणा नहीं है. प्रेरणा अंदर से खत्म कर दी गई है, या तो उसका विकृतिकरण कर दिया गया. उनका सबसे पहले तरीका क्या है कि वे
सबसे पहले आपके महापुरुषों का ही ब्राह्मणीकरण कर देते इससे वह अपने आप अगली पीढ़ी
में खत्म हो जाता है. उनका दूसरा तरीका है कि वे नेतृत्व का ब्राह्मणीकरण कर देते
हैं. इससे जो उनके मानने वाले लोग हैं वे वही स्वीकार कर लेते हैं. तीसरा है जब वो
भी नहीं करते है तो आंदोलन चलाने वाले लोगों का अगली पीढ़ी में विलय कर देते हैं.
इस तरह से तीनों बातें उनके समर्थन में चला जाता है. इसी लिए नई पीढ़ी में प्रेरणा
नहीं आ पाती है.
वीएल मातंग ने सवाल उठाते हुए कहा, जब पुष्यमित्र शूंग ने मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या
की तो उस वक्त समाज में विद्रोह क्यों नहीं हुआ? जबकि उस समय ब्राह्मणों की संख्या कम थी. ईशू को सूली पर चढ़ाया गया, समाज में विद्रोह क्यों नहीं हुआ? जब इंदिरा गांधी मारी गई तो 3 हजार सिखों का कत्लेआम हुआ, जब गोधरा हुआ तो 10 हजार मुसलमान मारे गऐ. जब महापुरुषों की हत्या हुई तो समाज में विद्रोह क्यों नहीं हुआ? शिवाजी महाराज की हत्या हुई, संभाजी महाराज की हत्या हुई, संत तुकाराम महाराज की हत्या हुई तो उनको मानने वाले
समाज के अंदर विद्रोह की भावना होनी चाहिए. लेकिन उनके अंदर विद्रोह की भावना तो
दिखाई नहीं दे रहा है. उनके ऊपर महापुरुषों का प्रभाव है मगर प्रेरणा नहीं है.
क्यों? क्योंकि उनको केवल घटनाओं की जानकारी है, घटनाओं का कारण मालूम नहीं है. @Nayak 1
History can never be contextless, history that is not contextual cannot be a source of inspiration: VL Mathang
History
can never be contextless, those histories that are not contextual cannot be a
source of inspiration. We remember the events of history and do not know the
reason behind the events, then you can only admire those events. You cannot do
it at any cost to pursue it. Bahujan Mukti Party national president VL Matang
said this on the occasion of the 203rd Shaurya Vijay Divas of Bhima Koregaon in
Bamsef Bhawan Poona.
VL
Mathang said, Brahmins in India have three big weapons. The first is ignorance,
second division and third conspiracy, these three are mainly their weapons.
Because, due to ignorance, their claim is not understood, there is no
interpolation. In the context of making it relevant in the present, we cannot
make history relevant and due to division we become powerless and retributive.
In the context of the history of our indigenous Bahujans, Brahmins have adopted
three methods. Their first way is to infiltrate and Brahminize history. If you
give the history of history, then the history of those Brahmins who infiltrated
history becomes favorable and unfavorable to you. That is, your history stands
against you and with them. Either the Brahmins destroy him and do not let him
know. Brahmins have adopted these methods in the context of all great men.
He said,
history is a source of inspiration for generations to come. Therefore, Emperor
Ashoka had prepared 84 thousand stupas for the coming generations, prepared an
inscription so that the generations to remember him, read him and prepare his
society accordingly. Further stated, history determines the hero and the
villain. If you are aware of history, then there is no information here, if it
is not wise, then where will inspiration come from? One is inspiration and the
other is influence. We have the influence of great men, but there is no
inspiration. Inspiration has been removed from the inside, or it has been
distorted. What is their first way, that they would first Brahminize your great
men and by this they automatically end up in the next generation. Their other
way is that they demilitarize the leadership. With this, those who believe in
them accept the same. Third is when they do not do it, then the people who run
the movement merge with the next generation. In this way, all three things go
in support of him. That is why inspiration does not come in the new generation.
VL Matang
raised the question, when Pushyamitra Shung killed Mauryan Emperor Brihadratha,
then why did there not be a revolt in the society at that time? While the
number of Brahmins was less at that time. Jesus was crucified, why did the
society not revolt? When Indira Gandhi was killed, 3 thousand Sikhs were
massacred, when Godhra was killed, 10,000 Muslims were killed. Why did there
not be a revolt in the society when great men were killed? Shivaji Maharaj was
killed, Sambhaji Maharaj was killed, Sant Tukaram Maharaj was killed, then
there should be a sense of rebellion in the society that believes him. But the
spirit of rebellion is not visible in them. They have influence of great men
but no inspiration. Why? Because they only know about the events, the reason
for the incidents is not known. @Nayak 1
Thank you Google