ब्राह्मणवादी व्यवस्था को खत्म करने के लिए साधन और संसाधनों की आवश्यकता: शरद मौर्या

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गया/नायक 1
ब्राह्मणवादी व्यवस्था को समाप्त करने का मार्ग

ब्राह्मणवादी व्यवस्था को खत्म करने के लिए साधन और संसाधनों की आवश्यकता

शरद मौर्या ने बामसेफ के 41वें राष्ट्रीय अधिवेशन में साधन-संसाधनों की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने कहा, "आंदोलन को सफल बनाने के लिए संसाधन निर्माण करना अत्यावश्यक है।"

महापुरुषों का संघर्ष और परिणाम

महापुरुषों ने गैर-बराबरी, ऊंच-नीच, और असमानता के खिलाफ आंदोलन किया, जिससे हमें शिक्षा और अधिकार प्राप्त हुए।

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बामसेफ के 41वें राष्ट्रीय अधिवेशन का संदेश

बामसेफ के 41वें राष्ट्रीय अधिवेशन में उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. आर.आर. इंडियन ने साधन और संसाधनों के महत्व को लेकर अपना विचार प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि हमारे महापुरुषों द्वारा चलाए गए आंदोलन और मिशन को सफल बनाने के लिए साधन-संसाधनों का निर्माण आवश्यक है। यह व्यवस्था परिवर्तन का आंदोलन अभी अधूरा है, और इसे पूर्ण करने के लिए हमें संगठित प्रयास करने की आवश्यकता है।

महापुरुषों के संघर्ष का परिणाम

शरद मौर्या ने बताया कि हमारे महापुरुषों ने गैर-बराबरी, ऊंच-नीच, छुआछूत और असमानता के खिलाफ आंदोलन चलाया। इनके परिणामस्वरूप हमें शिक्षा, धन और मानवीय अधिकारों तक पहुंच प्राप्त हुई। लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ब्राह्मणों की व्यवस्था अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। जब तक यह व्यवस्था पूर्ण रूप से खत्म नहीं होती, तब तक समाज को अपने पूरे हक और अधिकार नहीं मिल सकते।

साधन-संसाधनों की भूमिका

  • शरद मौर्या ने साधन-संसाधनों को गाड़ी के पेट्रोल की तरह महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि जैसे घर बनाने के लिए नक्शा, सामग्री और श्रमिकों की जरूरत होती है, वैसे ही आंदोलन को सफल बनाने के लिए संसाधनों की आवश्यकता होती है। सवाल उठता है: संसाधन निर्माण कौन करेगा? यह जिम्मेदारी किसी और की नहीं, बल्कि हमारी खुद की है। उन्होंने कहा कि जो लोग व्यवस्था परिवर्तन का सपना देख रहे हैं, उन्हें ही संसाधनों का निर्माण करना होगा।
  • संसाधनों का दुरुपयोग

    शरद मौर्या ने जोर देकर कहा कि हमारे संसाधन, जैसे धन, समय और श्रम, आज ब्राह्मणवादी व्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "मोबाइल हमारा है, लेकिन नेटवर्क किसी और कंपनी का।" इसका अर्थ यह है कि हमारे लोग हमारे साथ होते हुए भी, उनके विचार हमारे नहीं हैं।

    समाधान

    महापुरुषों ने अपनी जवानी, बुद्धि, समय और धन का निवेश किया, जिसका परिणाम आज हमारे पास डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, कर्मचारी और अधिकारी के रूप में दिखता है। हमें उनके संघर्ष को समझते हुए अपने साधन-संसाधनों को सही दिशा में लगाना होगा।

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