बिहार की धरती से उठी अधिकारों की लड़ाई...आजादी के 77 साल बाद भी अधिकारों से वंचित: चौधरी विकास पटेल

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आजादी के 77 साल बाद भी अधिकारों से वंचित: चौधरी विकास पटेल आजादी के 77 साल बाद भी अधिकार नहीं: चौधरी विकास पटेल का हमला

आजादी के 77 साल बाद भी अधिकार नहीं

गया में बामसेफ सम्मेलन में चौधरी विकास पटेल का संबोधन

बिहार की धरती से उठी अधिकारों की लड़ाई

गया (बिहार): जब भारत को 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली, तब एक नई उम्मीद जगी थी कि हर वर्ग, हर जाति और हर समुदाय को समान अधिकार मिलेगा। लेकिन आज 77 साल बाद भी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। बामसेफ के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी विकास पटेल ने सत्ताधारी जातियों और उनके द्वारा बनाए गए सामाजिक ढांचे पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "संविधान लागू हुए 75 साल हो चुके हैं, फिर भी हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ता है।".

संविधान और सामाजिक न्याय

डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने जब भारतीय संविधान लिखा, तो इसका उद्देश्य था समाज के हर उस वर्ग को सशक्त बनाना, जो सदियों से अधिकारों से वंचित था। लेकिन चौधरी पटेल का कहना है, "आज भी, वे शक्तियां जो मनुस्मृति की विचारधारा से प्रेरित थीं, हमारे संवैधानिक अधिकारों को पूरी तरह से लागू नहीं होने देतीं।" उन्होंने यह भी कहा कि संविधान ने वयस्क मताधिकार का अधिकार दिया, लेकिन आज भी पिछड़े और वंचित वर्ग को समान अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

संविधान का उद्देश्य और वास्तविकता

डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने जब भारतीय संविधान लिखा, तो इसका उद्देश्य था समाज के हर उस वर्ग को सशक्त बनाना, जो सदियों से अधिकारों से वंचित था। लेकिन चौधरी पटेल का कहना है, "आज भी, वे शक्तियां जो मनुस्मृति की विचारधारा से प्रेरित थीं, हमारे संवैधानिक अधिकारों को पूरी तरह से लागू नहीं होने देतीं।" उन्होंने यह भी कहा कि संविधान ने वयस्क मताधिकार का अधिकार दिया, लेकिन आज भी पिछड़े और वंचित वर्ग को समान अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

बिहार: क्रांति की भूमि

चचौधरी विकास पटेल ने बिहार की क्रांतिकारी विरासत को याद करते हुए कहा, "यह वही भूमि है, जहां बुद्ध को ज्ञान मिला था और आधुनिक युग में त्रिवेणी संघ, जगदेव बाबू, कर्पूरी ठाकुर जैसे महान नेताओं ने पिछड़े वर्गों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। आज हमें उनके संदेश को पूरे देश में फैलाने की जरूरत है।"

उन्होंने कहा कि आरक्षण जैसे मुद्दों पर ब्राह्मणवादी ताकतें विरोध करती हैं और पिछड़े वर्गों को उनकी जाति के आधार पर तिरस्कृत करती हैं। उन्होंने आह्वान किया कि ओबीसी, एससी, एसटी, अल्पसंख्यक और महिलाओं को एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए।

जातीय जनगणना और निजीकरण का मुद्दा

    चौधरी विकास पटेल ने जातीय जनगणना और निजीकरण के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा, "यह लड़ाई केवल संविधान को बचाने की नहीं है, बल्कि हमारे अधिकारों को सुनिश्चित करने की है।" उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग के अधिकारों को समझने के लिए, हमें यह जानना होगा कि कौन हमारा मित्र है और कौन हमारा शत्रु।

    संदेश: जागरूकता और एकता का आह्वानि

    चौधरी विकास पटेल का कहना है, "आजादी की असली लड़ाई अभी बाकी है। यह लड़ाई उन ताकतों के खिलाफ है, जिन्होंने हमारे पूर्वजों को सदियों तक गुलाम बनाए रखा। हमें जातीय भेदभाव से मुक्त होकर, समान अधिकारों और सामाजिक न्याय की लड़ाई को मजबूत करना होगा।"

    वामन मेश्राम जैसे विचारकों का कहना है कि यह कदम अल्पसंख्यकों और मूलनिवासी समाज के अधिकारों को कमजोर करने के लिए उठाया गया है।

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