बुद्ध को ही भैरव, बाणासुर और वाकासुर कहा जाता था|

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बुद्ध को ही भैरव, बाणासुर और वाकासुर कहा जाता था|
बिहार के आरा (Arrah) से उत्तर पश्चिम दिशा में 6 मैल अंतर पर मसुर नामक गाँव में तथागत बुद्ध की पुजा लोग "बाणासुर" के नाम से करते थे| इसी तरह, आरा के दक्षिण में 2 मैल दुरी पर बाकरी गाँव में लोग बुद्ध मुर्ति की वाक आसुर (चारवाक) के नाम से पुजा करते थे| यह जानकारी फ्रांसीस बुचानन ने सन 1812-13 में अपने प्रवास वर्णन में लिखकर रखीं है| (An account of the district of Shahabad in 1812-13, Francis Buchanan, p. 60-61) 

इसी तरह, बिहार के कोयत गाँव में लोग बुद्ध मुर्ति की भैरव के नाम से पुजा करते थे| (उपरोक्त, p. 80) 

इस जानकारी से स्पष्ट होता है कि, बौद्ध इतिहास भुल जाने के कारण बौद्ध लोग बुद्ध की मुर्तियों की भैरव, बाणासुर, वाकासुर जैसे अलग अलग नामों से पुजा करने लगे थे| इससे स्पष्ट होता है कि, भारत के लोग प्राचीन बौद्ध है और बौद्ध परंपरा भारतीय जीवन में आज भी जीवित है|

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