सरस्वती बौद्ध देवता है|**तथागत बुद्ध के धम्म को "सुरस सति (सुरस्सति- सम्यक् सति)" मतलब "सुरस स्मृति" कहा जाता है।

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*सरस्वती बौद्ध देवता है|*

*तथागत बुद्ध के धम्म को "सुरस सति (सुरस्सति- सम्यक् सति)" मतलब "सुरस स्मृति" कहा जाता है| बुद्ध का धम्म मध्यम मार्ग सिखाता है, जिससे जीवन सुरस अर्थात सुखद बनता है| बुद्ध के मध्यम मार्ग अर्थात धम्म को "विणा" के प्रतीक के तौर पर दिखाया जाता है| जब बुद्ध बोधिवृक्ष के नीचे धम्म की खोज करने ध्यान अवस्था मे बैठने जा रहे थे, तभी उन्होने दो बहनो का संवाद सुना| छोटी बहन बड़ी बहन से कहती है की मेरी विणा अच्छी नही बज रही, क्या करु? तब बड़ी बहन उसे बताती है की विणा की तार जादा ढिले रखे तो आवाज नही निकलती और तार जादा तंग रखे तो बेसुरी आवाज निकलती है| लेकिन विणा की तारो को मध्यम अवस्था मे रखेंगे तो सुरस सुमधुर संगीत निकलता है|*

*जीवन भी ऐसा ही है, जिसमे अत्याधिक मौजमस्ती (ब्राह्मण धर्म) दुखदायी है और जादा आत्म उत्पिडन (जैनधर्म)भी दुखदायी है| इसलिए बुद्ध ने इन दो अतिरेकी मार्गों की बजाए उनके मध्य से जानेवाले मध्यम मार्ग अर्थात धम्म का निर्माण किया था| बुद्ध के इस मध्यम मार्गी धम्म को विणा के रूप मे दर्शाया जाता है और सरस्वती वास्तव मे वह बड़ी बहन है जो मध्यम मार्ग वाले विणा का दर्शन बुद्ध को करवाती है|* 

*अर्थात, सरस्वती बुद्ध के मध्यम मार्गी धम्म का प्रतीक है| धम्म को देवी के रूप मे दर्शाया जाता था, इसलिए विणा हाथ मे रखी सरस्वती वास्तव मे बुद्ध के मध्यम मार्ग की देवता है|*

✍️ जय मूलनिवासी 

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