गुजरात राज्य अधिवेशन का दूसरा सत्र
अयोध्या का नाम अयोध्या नहीं, अयोध्या का नाम साकेत
है : वामन मेश्राम साहब
बामसेफ के 34वें गुजरात राज्य अधिवेशन के दूसरे
सत्र को संबोधित करते हुए बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम साहब ने
अयोध्या के इतिहास पर सवाल खड़ा करते हुए कहा साकेत का अयोध्या नाम कैसे पड़ा? उन्होंने कहा असल में इसका मूल नाम
साकेत है. आज भी फैजाबाद के विश्वविद्यालय का नाम साकेत है. साथ ही जो नदी है उसका
नाम घाघरा है. जबकि, रामायण
में नदी का नाम सरयू लिखा है. इससे साबित होता है कि अयोध्या का नाम अयोध्या नहीं
साकेत है.
उन्होंने कहा अयोध्या का इतिहास हिंसा से परिपूर्ण इतिहास है. पाटलिपुत्र में सम्राट अशोक मौर्य की राजधानी थी उसका प्रपौत्र सम्राट बृहद्रथ मौर्य अल्पवयीन राजा था वयस्क नहीं था. इस वजह से अल्पवयीन राजा के सेना में पुष्यमित्र शुंग नाम का ब्राह्मण सेनापति था. ब्राह्मण सेनापति ने अल्पवयीन सम्राट बृहद्रथ मौर्य की हत्या की. पुष्यमित्र शुंग का काम गद्दारी का कार्य था. मनुस्मृति में भी इसके सबूत उपलब्ध हैं. क्योंकि ब्राह्मण धर्म शास्त्रों में यह लिखा हुआ है कि ब्राह्मण शस्त्र धारण नहीं करेगा. मगर सम्राट बृहद्रथ मौर्य की हत्या करने के बाद जब मनुस्मृति लिखी गई तो उसमें लिखा है कि कभी-कभी अपवाद स्वरूप ब्राह्मण अगर शस्त्र धारण कर लेता है तो गलत नहीं है. यह इस बात का सबूत है कि ब्राह्मणों ने न केवल शस्त्र धारण किया, बल्कि शस्त्र का विरोध में गलत तरीके से इस्तेमाल किया और सम्राट बृहद्रथ मौर्य की हत्या की.
वामन मेश्राम साहब ने कहा जब तक मौर्य साम्राज्य रहा अफगानिस्तान तक तब तक कोई विदेशी आक्रमण भारत में नहीं हुआ. अगर हुआ भी होगा तो साम्राज्य के सामने कोई भी टिक नहीं पाया. पुष्यमित्र शुंग नाम के ब्राह्मण सेनापति ने सम्राट बृहद्रथ मौर्य की हत्या की. इसलिए उसको डर लग रहा था कि सम्राट बृहद्रथ मौर्य के निष्ठावान लोग हैं वह उसकी हत्या कर देंगे. इसलिए पुष्य मित्र शूंग पाटलीपुत्र से भागकर साकेत आया. आज जिसे अयोध्या कहा जा रहा है हत्या के समय में इसका नाम साकेत नगरी था. यह नाम बहुत फेमस था. आज भी प्राचीन इतिहास के दस्तावेजों में उपलब्ध है. पुरातत्व विभाग के द्वारा उसके सारे दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध है. पुरातत्व विभाग के जो ठोस सबूत होते हैं दुनिया में उसे कहीं पर भी कोई इनकार नहीं कर सकता. इसको हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी इनकार नहीं कर सकता है.
आगे वामन मेश्राम साहब ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में विनीत मौर्या के केस को आधार बनाकर केस दायर की गई थी. कोर्ट ने उसकी सुनवाई करने का वादा किया था लेकिन केस लड़ने वाले तमाम ब्राह्मण थे. जब भारत सरकार ने ट्रस्ट तैयार किया तो ट्रस्ट में सारे के सारे ब्राह्मणों को सदस्य बनाया गया. इस तरह से यह बात सिद्ध होती है कि यह मुसलमान बनाम ब्राह्मण की लड़ाई थी और तीसरी पार्टी विनीत मौर्या के द्वारा बुद्धिस्ट लोगों की थी. सुप्रीम कोर्ट ने जब यह देखा कि बुद्धिस्ट लोगों को अगर पार्टी मान लिया जाएगा तो उनके पास सारे पुरातात्विक प्रमाण है, डॉक्युमेंट्री एविडेंस है इसलिए उनकी बातों को अमान्य नहीं किया जा सकता है. इसलिए आस्था बनाम पुरातत्व सबूत को ही सबूत मानना पड़ेगा. इस बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विनीत मौर्या की केस को सुनवाई करने से ही इनकार कर दिया. इसका मतलब है कि जो हिंदू-मुसलमान के नाम पर हियरिंग की गई, वह वास्तव में ब्राह्मण-मुसलमान की हियरिंग थी. हियरिंग एक नौटंकी थी क्योंकि, पहले से ही डिसाइड कर लिया गया था कि यह ब्राह्मणों के पक्ष में फैसला लिया जाएगा. अगर ऐसा निर्णय नहीं लिया गया होता तो जो तीसरी पार्टी बुद्धिस्ट थी उसे वहां से हटाने कर कोई वजह नहीं थी.
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, जब सम्राट बृहद्रथ मौर्य की हत्या की
गई थी उस समय अयोध्या का नाम साकेत था. कनिंगहम कह रहे हैं ऐसा नहीं, हम कह रहे हैं ऐसा नहीं. फाॉयान और
ॉवेनसांग ने जब भारत में देखने के लिए आए थे तो उन्होंने अपने सारे प्रवास वर्णन
में यह लिखा हुआ है. जो उन्होंने प्रवास वर्णन किया उसके आधार पर मेजर जनरल
कनिंगहम वहां खुद काम किया और उसके आधार पर यह कहा कि यह सारी साइट मुसलमानों की
नहीं, ब्राह्मणों
की भी नहीं है, यह बौद्ध
लोगों की साइट है. ऐसा सारा का सारा डॉक्यूमेंट लिखा हुआ है. यह बात पुरातत्व सबूत
से सिद्ध होता है. अब सवाल है जब यह साकेत था तो इसका नाम अयोध्या कैसे पड़ा? जब पुष्यमित्र शुंग पाटलीपुत्र से
भागकर साकेत आया तो पुष्यमित्र शुंग ने साकेत में अपनी राजधानी बनाई और उस राजधानी
का नाम रखा अयोध्या.
वामन
मेश्राम साहब ने कहा यूपी में आज भी पुष्यमित्र शुंग का इतिहास पढ़ाया जाता है. उस
इतिहास में यह भी पढ़ाया जाता है कि पुष्यमित्र शुंग राजा था उसकी राजधानी का नाम
अयोध्या था, यह इतिहास
है. रामायण कब लिखा? ईसा पूर्व
185 के लगभग मौर्य की हत्या की गई. हत्या
करने के बाद कई शताब्दियों के बाद गुप्त कॉल आया तो गुप्त के काल में रामायण लिखी
गई. इससे सिद्ध होता है कि जब अयोध्या नाम की राजधानी पुष्यमित्र शुंग ने बनाई तो
इतिहास कहता है अयोध्या पुष्यमित्र शुंग की राजधानी का नाम है और जो कल्पना से
रामायण लिखा गया है इसमें राजधानी का नाम अयोध्या लिखा गया है. यानी रामायण में
राम की राजधानी का नाम अयोध्या और इतिहास में पुष्यमित्र के राजधानी का नाम
अयोध्या है. इससे सिद्ध होता है कि पुष्यमित्र शुंग ही राम है. बाद में पुष्यमित्र
शुंग को राम के नाम पर ब्राह्मणों ने संगठित होकर प्रचार में लाया होगा.
उन्होंने
कहा जब 24 मार्च से
उन लोगों ने लॉकडाउन घोषित किया और 25 मार्च से उन्होंने समतलीकरण का काम
शुरू किया. जब सारे देश के लोगों को कहा घरों में रहा? उस समय बुद्ध स्तूप को जेसीबी से तोड़
रहे थे. इस तरह से ब्राह्मणों ने बहुत ज्यादा अपराधिक कार्य किया है. जबकि बौद्ध
स्तूप बौद्धों का सबसे पवित्र स्थल है. जो कनिंगहम ने वहां पर खुदाई की उसके आधार
पर उन्होंने सारा का सारा रिपोर्ट तैयार किया. जो 2.77 का एरिया है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने
अपने जजमेंट में दिया और जो बाकी 65-67 एकड़ और जगह है वह सारा का सारा एरिया
संघाराम था, बुद्धिस्ट
स्तूप का था और वहां 3000 भिखू
निवास करते थे. उस जगह पर, संघाराम
में 16 साल तक
बुद्ध ने निवास किया. वर्षा वास में वहां पर बुद्ध आया करते थे और वर्षावास किया
करते थे.
ये सारी
की सारी बातें साहित्यीक इतिहास में लिखा हुआ है. लेकिन, ब्राह्मणों ने सत्ता के बल पर कब्जा
किया हुआ है. क्योकि, जब तक
केन्द्र में बीजेपी का सरकार नहीं थी तब तक वे ऐसा कर नहीं पाए. अगर मान लो उत्तर
प्रदेश में बीजेपी की सरकार होती और केंद्र में किसी और की सरकार होती तो केन्द्र
की सरकार ऐसा करने नहीं देती. इसलिए केंद्र में भी बीजेपी की सरकार, राज्य में भी बीजेपी की सरकार है. ये
सरकार ईवीएम के घोटाले से चुनकर आई हुई सरकार है. इस तरह से बीजेपी सरकार ने बौद्ध
स्तूप को तोड़ा और उस पर कब्जा किया. उन्होंने कहा मैं आपको एक महत्वपूर्ण बात
बताना चाहता हूं. क्योंकि आरएसएस, विश्व
हिंदू परिषद, बीजेपी के
लोग ऐसा भी प्रचार करते हैं कि एक अयोध्या गंगा के किनारे भी है. गंगा के किनारे
जो अयोध्या है वहां कोई साकेत नहीं है, पुरातत्व का प्रमाण नहीं है, वहां की बात फाॉयान और ॉवेनसांग नहीं
कह रहा है. हम लोगों को ब्राह्मणों की साजिश को समझने की जरूरत है.
वामन मेश्राम साहब ने आगे कहा कि भारत
का इतिहास बुद्धिज्म और ब्राह्मणिज्म के बीच में चला हुआ लगातार संघर्ष का इतिहास
है. ऐसा बाबासाहेब अंबेडकर ने लिख कर रखा हुआ है. भारत में इतिहास लिखने वालों में
एक रामशरण शर्मा की लाइन है और दूसरा इतिहास लिखने की लाइन है रामविलास शर्मा की.
ये दोनों के दोनों के दोनों ब्राह्मण है और दोनों में एक ब्राह्मणवादी तरीके से
इतिहास लिखता है और दूसरा सेकुलर तरीके से इतिहास लिखता है. दोनों के दोनों यह
कहते हैं कि आज की सबसे बड़ी समस्या हिंदू-मुसलमान की समस्या है. मैं यह कहना चाहता
हूं बाबासाहेब आंबेडकर यह कहते हैं कि भारत का इतिहास बुद्धिस्ट और ब्राह्मण लोगों
के बीच में चला हुआ लगातार संघर्ष का इतिहास है. हजारों साल तक यह संघर्ष चलता रहा, अगर यह संघर्ष ब्राह्मणों और
बुद्धिस्टों के बीच हजारों साल तक चलता रहा तो मुसलमानों के आगमन के बाद
हिंदू-मुसलमान में कैसे कनवर्ट हो गया?
सबसे पहली
बात तो यह है कि जो हिन्दू शब्द है वह ब्राह्मणों के वेद, श्रुति, स्मृति, पुराण, रामायण, महाभारत, गीता, मनुस्मृति में कहीं पर भी लिखा हुआ
नहीं है. हिन्दू शब्द संस्कृत भाषा का नहीं, पारशियन भाषा का शब्द है. यह हिंदी
भाषा का भी शब्द नहीं है. जब मुगलों ने यहां पर आगमन किया तो वे परिशयन भाषा लेकर
आए. जब वे परिशियन भाषा लेकर आए तो यहां की प्रजा को अलग पहचान देने के लिए हिन्दू
नाम दिया. हिंदू, मुगल
मुसलमानों का दिया हुआ नाम है. अगर मुगल मुसलमानों का दिया हुआ नाम है तो जो
ब्राह्मण अपने धर्म के लिए हिंदू नाम स्वीकार करते हैं उन्हें शर्म आनी चाहिए.
मुसलमानों के धर्म को अपना धर्म कहते हैं और मुसलमानों के विरोध में बड़ी-बड़ी बातें
भी करते हैं.
उन्होंने कहा, मुसलमानों के साथ हमारी लड़ाई है ऐसा
कहते हैं. मगर इतिहास में लिखा जाता है कि मुसलमान मुगलों का आगमन हुआ उसमें
ब्राह्मणों का षड्यंत्र है ऐसे कहा जाता है. जितने साल तक मुगलों ने भारत पर राज
किया ब्राह्मणों ने कभी भी उनके खिलाफ कोई आजादी का आंदोलन नहीं चलाया. क्योंकि 40 प्रतिशत हिस्सेदारी ब्राह्मणों को और
क्षत्रियों को थी. इससे सिद्ध होता है कि ब्राह्मणों ने लोगों ने मुगलों के साथ
समझौता किया था. इसी समझौते के तहत ब्राह्मणों का राज भारत में बना रहे इसके लिए
लगातार कोशिश करते थे.
अंत में
वामन मेश्राम साहब ने कहा कि अगर हिंदू-मुसलमान सबसे बड़ी समस्या है तो चलो थोड़ी
देर के लिए मान लेते हैं कि हिंदू-मुसलमान की समस्या सबसे बड़ी समस्या है. जब
मुसलमानों ने भारत में आगमन किया और स्थाई निवास रखने का काम शुरू किया तब से
हिंदू-मुसलमान का मामला भारत में शुरू हुआ. ऐसा मुसलमानों के आगमन के बाद माना जा
सकता है. मगर मुसलमानों के आगमन के पहले भारत में कौन सा संघर्ष था? मुसलमान भारत में थे ही नहीं तो
हिंदू-मुसलमान सबसे बड़ा संघर्ष है. ऐसा नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि, हिन्दू नाम मुगलों का दिया है, ब्राह्मणों के धर्म का मूल नाम
ब्राह्मण धर्म है. इससे साबित होता है कि भारत में तमाम बुद्धिस्ट और ब्राह्मणों
के बीच चला हुआ संघर्ष का इतिहास है.@Nayak1
Ayodhya's name is not Ayodhya, Ayodhya's name is Saket: Waman Meshram Sahab
Addressing the second session of the 34th Gujarat State Session of Bamcef, Bamcef National President Waman Meshram Saheb questioned the history of Ayodhya and said how did Saket get the name Ayodhya? He said, in fact, its original name is Saket. Even today, the name of Faizabad University is Saket. Also, the name of the river is Ghaghra. Whereas, the name of the river is written as Saryu in Ramayana. This proves that Ayodhya's name is Saket, not Ayodhya.
He said that
the history of Ayodhya is a history full of violence. Pataliputra had the
capital of Emperor Ashoka Maurya, his great-grandson Emperor Brihadratha Maurya
was a minor king and was not an adult. Because of this, there was a Brahmin
commander named Pushyamitra Sunga in the army of the little king. The Brahmin
commander killed the little Emperor Brihadratha Maurya. Pushyamitra Sung's work
was the act of traitor. Evidence of this is also available in Manusmriti.
Because it is written in the Brahmin scriptures that the Brahmin will not wear
arms. But after the murder of Emperor Brihadratha Maurya, when Manusmriti was
written, it is written in it that if the Brahmin holds an weapon sometimes as
an exception, it is not wrong. This is evidence that the Brahmins not only wore
weapons, but also used the weapon in a wrong way in protest and killed Emperor
Brihadratha Maurya.
Waman
Meshram Saheb said that as long as the Mauryan Empire remained in Afghanistan,
no foreign invasion happened in India. Even if it happened, no one could stand
before the empire. A Brahmin general named Pushyamitra Sung killed Emperor
Brihadratha Maurya. Therefore he was afraid that Emperor Brihadratha is loyal
people of Maurya, he will kill him. Therefore Pushya friend Shung Pataliputra
came to Saket. Today, what is being called Ayodhya, at the time of the murder,
it was named Saket Nagari. This name was very famous. Even today it is
available in the documents of ancient history. All documentary evidence is available
by the Department of Archeology. No one can deny the archeology department's
solid evidence anywhere in the world. Even the High Court and Supreme Court
cannot deny this.
Waman
Meshram Saheb further said, a case was filed in the Supreme Court on the basis
of Vineet Maurya's case. The court promised to hear him, but there were many
Brahmins who fought the case. When the Government of India prepared the trust,
all the Brahmins in the trust were made members. In this way, it is proved that
it was a Muslim versus Brahmin fight and the third party was the intellectuals
through Vineet Maurya. When the Supreme Court saw that the intellectual people
would be accepted as a party, then they have all the archaeological evidence,
documentary evidence, so their words cannot be invalidated. Therefore Faith vs
Archaeological evidence has to be considered as evidence. Keeping this in mind,
the Supreme Court refused to hear the case of Vineet Maurya. This means that
the hearing that was done in the name of a Hindu-Muslim was actually a
Brahmin-Muslim hearing. Hearing was a gimmick because, it had already been
decided that it would be decided in favor of Brahmins. If such a decision had
not been taken, then there was no reason to remove the third party Buddhist
from there.
The national
president said, Ayodhya's name was Saket when Emperor Brihadratha Maurya was
assassinated. Cunningham is not saying this, we are not saying this. When Foyan
and Owen Tsang came to see them in India, they have written this in their
description of their stay. On the basis of what he described the migration,
Major General Cunningham himself worked there and on the basis of this, he said
that this whole site is not only of Muslims, not of Brahmins, it is the site of
Buddhist people. The entire document is written like this. This point is proved
by archeological evidence. Now the question is, when it was Saket, how did it
get its name Ayodhya? When Pushyamitra Sunga came to Saket after escaping from
Pataliputra, Pushyamitra Sunga made his capital in Saket and named that capital
as Ayodhya.
Waman
Meshram Saheb said that the history of Pushyamitra Sunga is still taught in UP
today. It is also taught in that history that Pushyamitra was the king of
Sunga, the name of his capital was Ayodhya, this is history. When did you write
Ramayana? Around 185 BC Maurya was assassinated. After the murder, a secret
call came after several centuries, and Ramayana was written during the Gupta
period. This proves that when Pushyamitra Sunga built the capital named
Ayodhya, then history says that Ayodhya is the name of the capital of
Pushyamitra Sunga and that the Ramayana is written with imagination, the name
of the capital is written in Ayodhya. That is, in the Ramayana, the name of the
capital of Rama is Ayodhya and in history the name of the capital of
Pushyamitra is Ayodhya. This proves that Pushyamitra Sunga is Rama. Later
Pushyamitra Sunga may have been organized by the Brahmins in the name of Rama
and brought into the campaign.
He said when
those people declared lockdown from 24 March and from 25 March they started the
work of leveling. When did people from all over the country stay in homes? At
that time Buddha was breaking the stupa from JCB. In this way Brahmins have
done a lot of criminal work. While the Buddhist stupa is the holiest site of
the Buddhists. On the basis of what Cunningham excavated there, he prepared all
of Sara's report. Which is the area of 2.77 which was given by the Supreme
Court in its Judgment and the remaining 65-67 acres and place is the whole area
of Sara was Sangaram, Buddhist Stupa and 3000 Bhikhu resided
there. At that place, Buddha resided in Sangaram for 16 years. In the rainy
season, Buddha used to come there and used to do rain.
All these
things have been written in literary history. But, Brahmins have captured the
power of power. Because, as long as there was no BJP government at the center,
they could not do so. Suppose if there was a BJP government in Uttar Pradesh and
there was a government at the Center, then the Central government would not
allow it to do so. Therefore, there is also a BJP government at the center and
a BJP government in the state. This government is a government elected by EVM
scam. In this way, the BJP government broke the Buddhist stupa and captured it.
He said I want to tell you an important thing. Because people of RSS, Vishwa
Hindu Parishad, BJP also propagate that Ayodhya is also on the banks of Ganga.
There is no Saket in Ayodhya, on the banks of the Ganges, there is no evidence
of archeology, there is no saying of Foyan and Ovensang. We people need to
understand the conspiracy of Brahmins.
Waman
Meshram Saheb further said that the history of India is a history of constant
struggle between Buddhism and Brahmanism. Babasaheb Ambedkar has written this.
Among those who write history in India, one is the line of Ramsharan Sharma and
the other is the line of writing history. Both of them are both Brahmins and in
both, one writes history in a Brahminical way and the other writes history in a
secular manner. Both of them say that the biggest problem today is the
Hindu-Muslim problem. I want to say that Babasaheb Ambedkar says that the
history of India is a history of continuous struggle between Buddhists and
Brahmin people. This struggle went on for thousands of years, if this struggle
continued between Brahmins and Buddhists for thousands of years, then how did
it convert to Hindu-Muslim after the arrival of Muslims?
The first
thing is that the Hindu word which is not written anywhere in the Vedas,
Shruti, Smriti, Purana, Ramayana, Mahabharata, Geeta, Manusmriti of Brahmins.
The word Hindu is not a Sanskrit language, but a Persian word. It is not even a
Hindi language word. When the Mughals arrived here they brought with them the
language of refinement. When he brought the Persian language, he gave a Hindu
name to give a distinct identity to the subjects here. Hindu is the name given
to Mughal Muslims. If Mughal Muslims have a given name, then the Brahmins who
accept Hindu names for their religion should be ashamed. The religion of
Muslims is called their religion and they also talk big things against Muslims.
They said,
we have a fight with Muslims. But it is written in history that the arrival of
Muslim Mughals is said to be a conspiracy of Brahmins. For the years the
Mughals ruled India, the Brahmins never launched any freedom movement against
them. Because 40 percent share was to Brahmins and Kshatriyas. This proves that
the Brahmins had compromised with the Mughals. Under this agreement, the
Brahmins continued to try to keep the rule of India.
In the end, Waman
Meshram Saheb said that if Hindu-Muslim is the biggest problem then let us
assume for a while that the problem of Hindu-Muslim is the biggest problem.
When Muslims arrived in India and started the work of permanent residence, the
issue of Hindu-Muslims started in India. This can be considered after the
arrival of Muslims. But what was the struggle in India before the arrival of
Muslims? If Muslims were not in India, then Hindu-Muslims are the biggest
struggle. This cannot be said. Because, the Mughal name is given by the Hindu
name, the Brahmin religion is the original name of the Brahmin religion. This
proves that there is a history of conflict between all Buddhists and Brahmins
in India. @ Nayak1
Marathi
गुजरात
राज्य अधिवेशनाचे दुसरे सत्र
अयोध्याचे
नाव अयोध्या नाही, अयोध्याचे नाव साकेतः वामन मेश्राम
साहब
बामसेफच्या
34 व्या गुजरात राज्य अधिवेशनाच्या दुसर्या
सत्राला संबोधित करतांना बामसेफचे राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम साहेबांनी
अयोध्याच्या इतिहासावर प्रश्नचिन्ह उपस्थित केले आणि सांगितले की साकेत यांना
अयोध्या हे नाव कसे पडले?
ते म्हणाले, खरं तर त्याचे मूळ नाव साकेत आहे. आजही
फैजाबाद विद्यापीठाचे नाव साकेत आहे. तसेच नदीचे नाव घाघरा असे आहे. तर रामायणात
नदीचे नाव सरयू असे लिहिले गेले आहे. हे सिद्ध करते की अयोध्याचे नाव साकेत, अयोध्या नाही.
ते
म्हणाले की अयोध्याचा इतिहास हिंसाचारांनी भरलेला इतिहास आहे. पाटलिपुत्रात, सम्राट अशोक मौर्यची राजधानी हा
त्यांचा नातू सम्राट बृहद्रथ मौर्य एक तरुण राजा होता आणि तो वयस्क नव्हता. त्या
कारणास्तव, छोट्या राजाच्या सैन्यात पुष्यमित्र
शुंगा नावाचा ब्राह्मण सेनापती होता. ब्राह्मण सेनापतीने लहान सम्राट बृहद्रथ
मौर्यचा वध केला. पुष्यमित्र सुंग यांचे कार्य म्हणजे देशद्रोही. याची साक्ष
मनुस्मृतीतही उपलब्ध आहे. कारण ब्राह्मण शास्त्रामध्ये असे लिहिले आहे की ब्राह्मण
शस्त्र बाळगणार नाही. परंतु सम्राट बृहद्रथ मौर्य यांच्या हत्येनंतर मनुस्मृति
लिहिली गेली होती, तेव्हा त्यात असे लिहिले आहे की
काहीवेळा ब्राह्मण अपवाद म्हणून शस्त्र धारण करत असेल तर ते चुकीचे नसते. हा
पुरावा आहे की ब्राह्मणांनी केवळ शस्त्रे परिधान केली नाहीत तर निषेध म्हणून
चुकीच्या मार्गाने शस्त्राचा वापर केला आणि सम्राट बृहद्रथ मौर्यचा खून केला.
वामन
मेश्राम साहेब म्हणाले की जोपर्यंत मौर्य साम्राज्य अफगाणिस्तानात राहील तोपर्यंत
भारतात कोणतेही परकीय आक्रमण नव्हते. तसे झाले तरी कोणीही साम्राज्यासमोर उभे राहू
शकले नाही. पुष्यमित्र सुंग नावाच्या ब्राह्मण सेनापतीने सम्राट बृहद्रथ मौर्य
याचा वध केला. म्हणूनच त्याला भीती होती की सम्राट बृहद्रथ मौर्यचे विश्वासू लोक
आहेत, तो त्याला ठार करील. म्हणून पुष्य
मित्र शुंग पाटलिपुत्र साकेत आले. आज ज्याला अयोध्या म्हटले जाते, त्या हत्येवेळी त्याचे नाव साकेत नगरी
असे होते. हे नाव खूप प्रसिद्ध होते. आजही ते प्राचीन इतिहासाच्या कागदपत्रांमध्ये
उपलब्ध आहे. पुरातत्व विभागाकडून सर्व कागदोपत्री पुरावे उपलब्ध आहेत. पुरातत्व
विभागाच्या ठोस पुरावा जगात कोठेही नाकारता येत नाही. उच्च न्यायालय आणि सर्वोच्च
न्यायालयसुद्धा याला नाकारू शकत नाही.
पुढे
वामन मेश्राम साहेब म्हणाले, विनीत
मौर्यच्या खटल्याच्या आधारे सर्वोच्च न्यायालयात खटला दाखल करण्यात आला. कोर्टाने
त्यांची सुनावणी करण्याचे आश्वासन दिले पण खटला लढणारे सर्व ब्राह्मण होते. जेव्हा
भारत सरकारने ट्रस्ट तयार केला, तेव्हा
ट्रस्टमधील सर्व ब्राह्मणांना सदस्य केले गेले. अशाप्रकारे हे सिद्ध झाले की ते
मुस्लिम विरुद्ध ब्राह्मण लढाई होते आणि तिसरा पक्ष विनीत मौर्यमार्फत विचारवंत
होता. जेव्हा सुप्रीम कोर्टाने पाहिले की बौद्धिक लोकांना पक्ष म्हणून स्वीकारले
जाईल, तेव्हा त्यांच्याकडे सर्व पुरातत्व
पुरावे आहेत, कागदोपत्री पुरावे आहेत, म्हणून त्यांची चर्चा अवैध ठरू शकत नाही.
म्हणून विश्वास वि पुरातत्व पुरावा पुरावा मानला पाहिजे. हे लक्षात घेऊन सर्वोच्च
न्यायालयाने विनीत मौर्य प्रकरणाची सुनावणी घेण्यास नकार दिला. याचा अर्थ
हिंदू-मुस्लीमच्या नावाने केलेली सुनावणी प्रत्यक्षात ब्राह्मण-मुस्लिम सुनावणी
होती. सुनावणी ही एक नौटंकी होती कारण ब्राह्मणांच्या बाजूने निर्णय घेण्याचे आधीच
ठरलेले होते. जर असा निर्णय घेतला गेला नसता तर तेथून बौद्ध असलेल्या तृतीय
पक्षाला काढून टाकण्याचे कोणतेही कारण नव्हते.
राष्ट्रीय
अध्यक्ष म्हणाले, सम्राट बृहद्रथ मौर्य यांची हत्या झाली
तेव्हा अयोध्याचे नाव साकेत होते. कनिंघम असे म्हणत नाही, आम्ही असे बोलत नाही. जेव्हा फोयान आणि
ओवेन त्सँग त्यांना भारतात भेटायला आले तेव्हा त्यांनी त्यांच्या वास्तव्याच्या
वर्णनात हे लिहिले आहे. त्यांनी स्थलांतरणाचे वर्णन केले त्या आधारावर स्वत: मेजर
जनरल कनिंघम यांनी तेथे काम केले आणि त्या आधारे ते म्हणाले की ही संपूर्ण साइट
केवळ मुस्लिमांचीच नाही ब्राह्मणांची आहे, ती बौद्ध लोकांची साइट आहे. संपूर्ण कागदपत्र असे लिहिले आहे. हा
मुद्दा पुरातत्व पुराव्यांद्वारे सिद्ध केला जातो. आता प्रश्न आहे, जेव्हा ते साकेत होते, तेव्हा त्याचे नाव अयोध्या कसे पडले? पाटलिपुत्रातून सुटल्यानंतर पुष्यमित्र
शुंगा साकेत आले तेव्हा पुष्यमित्र शुंगाने साकेत येथे आपली राजधानी बनविली आणि
त्या राजधानीचे नाव अयोध्या असे ठेवले.
या
सर्व गोष्टी साहित्य इतिहासात लिहिल्या गेल्या आहेत. पण, ब्राह्मणांनी सत्तेची सत्ता काबीज केली
आहे. कारण, जोपर्यंत केंद्रात भाजपाचे सरकार
नव्हते, तोपर्यंत त्यांना असे करता आले नाही.
समजा उत्तर प्रदेशात भाजपाचे सरकार असते आणि केंद्रात सरकार असते तर केंद्र सरकार
तसे करण्यास परवानगी देणार नाही. त्यामुळे केंद्रात भाजपचे सरकार आहे, तसेच राज्यातही भाजपचे सरकार आहे. हे
सरकार ईव्हीएम घोटाळ्याने निवडलेले सरकार आहे. अशाप्रकारे भाजपा सरकारने बौद्ध
स्तूप मोडून तो ताब्यात घेतला. तो म्हणाला मला एक महत्वाची गोष्ट सांगायची आहे.
कारण आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, भाजपाचे लोकही असा प्रचार करतात की
अयोध्याही गंगाच्या काठावर आहे. अयोध्येत साकेत नाही, गंगेच्या काठावर, पुरातत्वशास्त्राचा पुरावा नाही, फॉयान आणि ओव्हनसांग यांचे म्हणणे
नाही. आपल्या लोकांना ब्राह्मणांचे षड्यंत्र समजून घेण्याची गरज आहे.
वामन
मेश्राम साब पुढे म्हणाले की, भारताचा
इतिहास हा बौद्ध आणि ब्राह्मणवाद दरम्यान सतत संघर्षाचा इतिहास आहे. बाबासाहेब
आंबेडकर यांनी लिहिले आहे. भारतात इतिहास लिहिणा यां पैकी एक म्हणजे रामशरण शर्मा
यांची ओळ आणि दुसरे म्हणजे इतिहास लिहिण्याची ओळ. हे दोघेही ब्राह्मण आहेत आणि
दोघांमध्येही एक ब्राह्मणवादी पद्धतीने इतिहास लिहितो आणि दुसरा धर्मनिरपेक्ष
पद्धतीने इतिहास लिहितो. ते दोघेही म्हणतात की आजची सर्वात मोठी समस्या म्हणजे
हिंदू-मुस्लिम समस्या. मला म्हणायचे आहे की बाबासाहेब आंबेडकर म्हणतात की भारताचा
इतिहास हा बौद्ध आणि ब्राह्मण लोकांमधील सतत संघर्षाचा इतिहास आहे. हा संघर्ष
हजारो वर्षे चालू राहिला,
हा संघर्ष
ब्राह्मण आणि बौद्ध यांच्यात हजारो वर्षे चालू राहिला तर मुस्लिमांच्या आगमनानंतर
हिंदू-मुस्लिम मध्ये कसे परिवर्तन झाले?
पहिली
गोष्ट म्हणजे हिंदु शब्द जो वेद, श्रुती, स्मृती, पुराण, रामायण, महाभारत, गीता, ब्राह्मणांची मनुस्मृती यामध्ये कोठेही लिहिलेला नाही. हिंदू हा शब्द
संस्कृत भाषा नसून एक पर्शियन शब्द आहे. हा हिंदी भाषेचा शब्दसुद्धा नाही. जेव्हा
मोगल येथे आले तेव्हा त्यांनी परिषद भाषा आणली. जेव्हा त्याने पर्शियन भाषा आणली
तेव्हा इथल्या विषयांना वेगळी ओळख देण्यासाठी त्यांनी हिंदू नाव दिले. मुगल
मुसलमानांना हिंदू असे नाव देण्यात आले आहे. मोगल मुसलमानांना दिलेले नाव असेल तर
त्यांच्या धर्मासाठी हिंदू नावे स्वीकारणार्या ब्राह्मणांना लाज वाटली पाहिजे.
मुस्लिमांच्या धर्माला त्यांचा धर्म म्हणतात आणि ते मुस्लिमांविरूद्ध मोठ्या
गोष्टी देखील बोलतात.
ते
म्हणाले, आमचा मुस्लिमांशी लढा आहे. परंतु
इतिहासामध्ये असे लिहिले गेले आहे की मुस्लिम मोगलांचे आगमन हे ब्राह्मणांचे
षड्यंत्र असल्याचे म्हटले जाते. वर्षानुवर्षे मोगलांनी भारतावर राज्य केले, ब्राह्मणांनी त्यांच्या विरोधात कधीही
स्वातंत्र्य चळवळ सुरू केली नाही. कारण 40 टक्के वाटा ब्राह्मण आणि क्षत्रियांचा होता. यावरून हे सिद्ध होते की
ब्राह्मणांनी मोगलांशी तडजोड केली होती. या कराराअंतर्गत ब्राह्मणांनी भारतात शासन
ठेवण्याचा प्रयत्न सुरू ठेवला.
शेवटी
वामन मेश्राम साहेब म्हणाले की हिंदू-मुस्लिम ही सर्वात मोठी समस्या असेल तर आपण
थोडा काळ असे समजू या की हिंदू-मुस्लिमांची समस्या ही सर्वात मोठी समस्या आहे.
जेव्हा मुसलमान भारतात आले आणि कायमस्वरूपी वास्तव्याचे काम सुरू केले, तेव्हा हिंदु-मुस्लिमांचा मुद्दा
भारतात सुरू झाला. मुस्लिमांच्या आगमनानंतर याचा विचार केला जाऊ शकतो. पण
मुसलमानांच्या आगमनाच्या आधी भारतात कोणता संघर्ष होता? जर मुसलमान भारतात नसते तर
हिंदू-मुस्लिम हा सर्वात मोठा संघर्ष आहे. असं म्हणता येत नाही. कारण, मुघल नाव हिंदू नावाने दिले गेले आहे, ब्राह्मण धर्म हे ब्राह्मण धर्माचे मूळ
नाव आहे. हे सिद्ध करते की भारतात सर्व बौद्ध आणि ब्राह्मण यांच्यात संघर्षाचा
इतिहास आहे. @ Nayak1