जनता के साथ
विश्वासघात
निजी
ट्रेनों का किराया जितना चाहें उतना रख सकते हैं ऑपरेटर्स
ईवीएम
घोटाले से चुनकर आने वाली नाजायज सरकार, नाजायज फैसले करने से कोई परहेज नहीं कर रही है. ईवीएम मशीन से चुनाव कराने
का ही नतीजा है कि सरकार देश का सौदेबाजी कर रही है. इस बात में कोई दो राय नहीं
है कि केन्द्र की संघ संचालित बीजेपी सरकार ने पहले रेलवे को घाटे का सौदा बनाया
फिर सुधार के नाम पर रेलवे को निजी हाथों में बेच दिया और अब निजी कंपनियों को
मनमाना किराया बढ़ाने की छूट दे रही है. इस तरह से बीजेपी सरकार जनता के साथ
विश्वासघात कर रही है. असल में सरकार अच्छी तरह से जानती है कि जनता के द्वारा
चुनी गई सरकार नहीं है, ईवीएम में घोटाला करके सरकार बनाई
गई है. इसलिए सरकार को न तो जनता की चिंता है और न ही जनता का डर ही है. इसलिए
सरकार धीरे-धीरे राष्ट्रीय संपत्ति बेचकर देश को खोखला बना रही है.
गौरतलब है
कि भारतीय रेलवे ने साफ कर दिया है कि प्राइवेट ऑपरेटर्स के लिए यात्री ट्रेनों का
अधिकतम किराया तय करने की सीमा नहीं रखी गई है, वे चाहे जितना किराया बढ़ा सकते हैं. इसके साथ ही प्राइवेट ऑपरेटर्स को
किराया तय करने के लिए किसी भी न तो अथॉरिटी की मंजूरी की जरुरत है और न ही इसमें
सरकार का को कोई दखल ही है. इसका मतलब ये है कि प्राइवेट ऑपरेटर्स जो ट्रेन
चलाएंगे, वो उनका किराया अपनी मर्जी से
बाजार के हिसाब से तय कर सकेंगे. जबकि किसानों के फसल की कीमत तय करने का अधिकार
किसान को नहीं है सरकार के पास है. वहीं दूसरी ओर कंपनियों के प्रोडक्ट की कीमत तय
करने अधिकार सरकार के पास नहीं है, निजी कंपनियों के पास है. इस तरह से किसानों के फसल की कीमत तय करने का
अधिकार सरकार को किसानों को दे देनी चाहिए. क्या सरकार ऐसा करेगी? सरकार कभी भी ऐसा नहीं करेगी, क्योंकि सभी पार्टियां पूंजीपतियों के पैसों से चुनाव
लड़ती हैं और सरकार में आने के बाद निजी कपंनियों को पूरी तरह से छूट दे देती
हैं.
बता दें कि
रेलवे 109 रूट्स पर 151 निजी ट्रेनों का संचालन 35 साल के लिए निजी ऑपरेटर्स को देने की योजना बना चुकी
है. यही नहीं रेलवे ट्रैक जनता के पैसों (टैक्स) से सरकार बनायेगी और रखरखाव भी
सरकार ही करेगी. निजी कंपनियां बने बनाए ट्रैकों पर केवल अपना ट्रेनें चलाएंगी.
हाल ही में प्राइवेट ऑपरेटर्स के भावी बोलीदाताओं ने कुछ सवाल उठाए थे, जिन पर रेलवे ने शुक्रवार को जवाब देते हुए कहा कि
प्राइवेट ऑपरेटर्स बाजार मूल्य के हिसाब से किराया वसूल सकेंग, इसके लिए उनको पूरी आजादी है. इसके लिए किसी अप्रूवल
की जरुरत नहीं है और न ही इसमें सरकार किसी प्रकार का दखल दे सकती है.
इससे भी
ज्यादा चौंकाने वाली बात है कि इस प्रावधान को कोर्ट में चुनौती ना दी जा सके इसके
लिए सरकार जल्द ही इसे कैबिनेट से मंजूरी दिला सकती है. हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि रेलवे एक्ट के तहत सिर्फ
केन्द्र सरकार या विभिन्न मंत्रालय मिलकर रेलवे के किराए का निर्धारण करेंगे. असल
में ये केवल कहने की बात है कि सिर्फ केन्द्र सरकार या विभिन्न मंत्रालय मिलकर
रेलवे के किराए का निर्धारण करेंगे. असलियत ये है कि जनता इसका विरोध ना कर सके, इसलिए जनता को भ्रमित करने के लिए ऐसा कहा जा रहा है.
अगर केन्द्र सरकार या विभिन्न मंत्रालयों को मिलकर रेलवे के किराए का निर्धारण
करना होता तो निजी ऑपरेटर को किराया बढ़ाने का अधिकार क्यों दिया जाता? कुल मिलाकर सरकार जनता के आक्रोश को दबाना चाहती है.
यह भी बता
दें कि सरकार की मंशा से साफ जाहिर होता है कि सरकार देश को बेचने का पूरा खाका
खींच चुकी है. सरकार धीरे-धीरे सभी कंपनियों, स्कूल, कॉलेजों, रेलवे, बैंक, एयरपोर्ट आदि को निजी हाथों में
बेच देगी और निजी कपंनियों को किराया से लेकर मूल्य तक निर्धारित करने का अधिकार
भी निजी कपंनियों दे देगी, जैसा रेलवे में दी जा चुकी है. यह
पूरे दावे के साथ कहा जा सकता है कि सरकार जनता के ऊपर अन्याय, अत्याचार कर रही है.
किसानों की
जबरन जमीन छिनने का अभियान
बुलेट ट्रेन
के नाम पर किसानों की जमीनों को छीनकर निजी कंपनियों को कौड़ियों के भाव में बेचने
वाली मोदी सरकार किसानों की हत्या कर रही है. सरकार की नीतियों से ही तंग आकर
किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. सरकार किसानों की फसल का न तो उचित दाम
दे रही है और न ही सस्ते में खाद, बीज, बिजली, पानी उपलब्ध करा रही है. इके इसके बाद भी सरकार किसानों की जबरन जमीन हड़प
रही है. अभी तक सरकार ने बजट में किसानों को कर्ज के अलावा दिया क्या है? यह बात किसानों को अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए.
बता दें कि देश में बुलेट ट्रेन का नेटवर्क बढ़ने के नाम पर भारतीय रेलवे ने हाई स्पीड बुलेट ट्रेनों के लिए सात नए रूट्स की पहचान की है. इसके लिए जल्द ही रेलवे और भारतीय राष्ट्रीय हाईवे अथॉरिटी (एनएचएआई) मिलकर जमीन अधिग्रहण का काम शुरू करने वाले हैं. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई मंत्रियों की बैठक में जमीन अधिग्रहण का काम शुरू करने का फैसला लिया गया है. इसके लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. देश की जनता को बेवकूफ बनाने के लिए सरकार बता रही है कि ट्रेन हाईस्पीड कॉरिडोर पर 300 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है. वहीं सेमी हाईस्पीड कॉरिडोर पर ट्रेन 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है. इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने एनएचएआई को पत्र लिखकर इन सात हाईस्पीड कॉरिडोर को लेकर विस्तृत विवरण दिया है. इसकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा रही है, इसपर तेजी से काम हो सके इसके लिए एनएचएआई को एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने को कहा गया है.
बता दें कि भारत की पहली बुलेट ट्रेन पर जोर-शोर से काम चल रहा है.
अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलने वाली इस ट्रेन के दिसंबर 2023 में शुरू होने की संभावना है. भारत में जापान की मदद
से बुलेट ट्रेन शुरू होने वाली हैं. परन्तु, सबसे बड़ा सवाल है कि क्या बुलेट ट्रेन में गरीब, आम जनता भी सफर कर सकते हैं? कभी नहीं. क्योंकि, यह तो तय है कि बुलेट ट्रेन का भी किराया सरकार नहीं, निजी कंपनियां तय करेंगी और किराया इतना ज्यादा
निर्धारित कर दिया जायेगा, जिससे गरीबों को बुलेट ट्रेन में
सफर करना सपना हो जायेगा. बुलेट ट्रेनों में केवल अमीर ही सफर कर सकते हैं. गरीब, आम जनता के लिए तो साधारण ट्रेनें पहले से चल रही
हैं. इससे साबित होता है कि सरकार बुलेट ट्रेन के नाम पर किसानों की जबरन जमीन
छिनने का अभियान चला रही है. @Nayak1
Betrayal
of the public
Operators
can hire private trains as much as they want
There is
no interference from the government, the Railways made it clear
The
illegitimate government, chosen by the EVM scam, is not avoiding taking
illegitimate decisions. The result of conducting elections with EVM machine is
that the government is bargaining for the country. There is no doubt that the
Union-run BJP government at the Center first made railways a loss deal, then
sold the railways to private hands in the name of reform and now it is giving
permission to private companies to increase arbitrary fares. In this way, the
BJP government is betraying the public. In fact, the government knows very well
that there is no government elected by the people, the government has been
formed by scam in EVMs. Therefore, the government neither worries nor fears the
public. Therefore, the government is slowly making the country hollow by
selling national assets.
Significantly,
the Indian Railways has made it clear that there is no limit for private
operators to fix the maximum fare of passenger trains, however much they can
increase the fare. Along with this, neither the authority needs the approval of
the private operators to fix the rent nor the government has any interference
in it. This means that the trains that private operators will run, they will be
able to decide their fare according to the market of their choice. However, the
government does not have the right to decide the price of the crop for the
farmers. On the other hand, the government does not have the authority to fix
the price of the products of the companies, private companies have it. In this
way, the government should give the right to the farmers to fix the price of
the crop. Will the government do this? The government will never do this,
because all parties contest the elections with the money of the capitalists and
after coming into the government, give private companies complete exemption.
Let us know
that Railways has planned to give 151 private trains on 109 routes to private
operators for 35 years. Not only this, the government will make railway track
with public money (tax) and the government will also maintain it. Private
companies will only run their own trains on ready-made tracks. Recently, some
questions were raised by the prospective bidders of the private operators, on
which the Railways responded on Friday, saying that they have complete freedom
for the private operators to be able to collect the fare according to the
market price. No approval is needed for this nor can the government interfere
in it.
Even more
shocking is that this provision cannot be challenged in the court so that the
government can soon get it approved by the cabinet. However, it is also being
said that under the Railway Act, only the Central Government or various ministries
will jointly decide the fare of the railway. Actually, it is just a matter of
saying that only the central government or various ministries will jointly
decide the fare of the railway. The reality is that the public cannot resist
it, so it is being said to confuse the public. If the central government or
various ministries had to jointly decide the fare of the railway, then why
would the private operator be given the right to increase the fare? Overall,
the government wants to suppress public anger.
Also tell
that it is clear from the intention of the government that the government has
drawn the entire blueprint to sell the country. The government will gradually
sell all companies, schools, colleges, railways, banks, airports, etc. in
private hands and will also give private companies the right to determine from
rent to price, as has been given in railways. It can be said with full claim
that the government is doing injustice, atrocities on the people.
Campaign to
forcibly seize land of farmers
In the name of bullet train, the Modi government, which snatched the lands of the farmers and sold them to private companies at a throwaway price, is killing the farmers. Being fed up with the policies of the government, farmers are being forced to commit suicide. The government is neither giving a fair price to the crop of the farmers nor is providing fertilizer, seeds, electricity, water at a cheap price. Even after this, the government is forcibly grabbing the land of the farmers. So far, what has the government given in addition to the loans in the budget? Farmers should understand this thing well.
Explain that
in the name of increasing the network of bullet trains in the country, the
Indian Railways has identified seven new routes for high speed bullet trains.
For this, the Railways and the National Highway Authority of India (NHAI) are
going to start land acquisition work soon. In the meeting of ministers held
under the chairmanship of Union Minister Nitin Gadkari, a decision has been
taken to start land acquisition. For this, a four-member committee has been
formed. To fool the people of the country, the government is telling that the
train can run at a speed of 300 km per hour on the high speed corridor. At the
same time, on the semi high speed corridor, the train can run at a speed of 160
kilometers per hour. In this regard, the Railway Board has written a letter to
the NHAI giving detailed details about these seven highspeed corridors. Its
project report is being prepared, NHAI has been asked to appoint a Nodal
Officer to enable faster work on it.
Let us know
that the work on India's first bullet train is going on loudly. The train
running between Ahmedabad to Mumbai is expected to start in December 2023.
Bullet trains are about to start in India with the help of Japan. But, the
biggest question is, can the poor, general public also travel in bullet train?
never. Because, it is certain that even the government will decide the fare of
the bullet train, not the government, and the fare will be fixed so much, due
to which the poor will dream of traveling in the bullet train. Only the rich
can travel in bullet trains. Ordinary trains are already running for the poor,
general public. This proves that the government is running a campaign to
forcibly take away the land of farmers in the name of bullet train. @ Nayak1
Thank you for google