पानी के
लिए हाहाकार
40 प्रतिशत
ग्रामीण महिलाओं को लॉकडाउन के कारण पानी के लिए करनी पड़ी मशक्कत : सर्वे
पिछले कुछ महीनों में कोरोना महामारी की वजह से यह संकट और बढ़ गया है क्योंकि कोरोना वायरस के प्रसार से बचने के लिए सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियों ने बार-बार हाथ धोने की सलाह दी है. इसका मतलब यह हुआ कि परिवार की दैनिक पानी की जरूरतें बढ़ गई और अधिक पानी ढोकर लाना होगा. इसको लेकर देश के 23 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वे किया गया. सर्वे में यह पता लगाने की कोशिश की गई कि ग्रामीण क्षेत्र के घरों में हाथ धोने के लिए पर्याप्त पानी है या नहीं? कुल मिलाकर दो तिहाई घरों में यह पाया गया कि उनके पास पानी की उचित व्यवस्था है, लेकिन 38 फीसदी परिवारों ने शिकायत की कि परिवार की अतिरिक्त पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए महिलाओं को ज्यादा दूरी तय करना पड़ा.
वर्तमान में भारत का एक बड़ा हिस्सा लोग
जल संकट की स्थिति का सामना कर रहा है. नीति आयोग के हालिया ‘समग्र जल प्रबंधन
सूचकांक’ के अनुसार भारत में लगभग 82 प्रतिशत ग्रामीण घरों में जलापूर्ति के
लिए अलग से पाइपलाइन नहीं है. वहीं 16.30 करोड़ लोगों के घरों के पास मौजूद पानी
पीने योग्य नहीं है. ग्रामीण भारत में महिलाएं अक्सर अपने परिवार के लिए पानी ढोने
का काम करती हैं.साल दर साल महिलाओं के लिए पानी लाना बोझ जैसा बनता चला जा रहा
है. साथ ही अप्रैल और मई के महीने में जब गर्मी अपने चरम पर थी, ऐसे समय में लॉकडाउन की वजह से महिलाओं
पर बोझ और अधिक बढ़ गया.
बता दें
कि एक तरफ जहां हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, जम्मू कश्मीर और गुजरात जैसे राज्यों
में हाथ धोने के लिए पर्याप्त पानी दर्ज किया गया. वहीं ओडिशा, झारखंड, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में पानी की
कमी दर्ज की गई है. सर्वे के अनुसार ओडिशा के 65 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास
महामारी के समय में हाथ धोने के लिए पर्याप्त पानी नहीं था. ओडिशा के पुरी स्थनीय
लोगों का कहना है कि गांव में पानी की आपूर्ति की समस्या है, इस महामारी के समय में हम पानी लाने के
लिए बाहर जाने में असमर्थ हैं. इसके साथ ही झारखंड के कई ग्रामीण परिवारों ने दावा
किया कि उनके पास पानी की आपूर्ति नहीं है. सर्वेक्षण में पाया गया कि राज्य के 55 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को महामारी
में अतिरिक्त पानी के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है.
छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड के अलावा उत्तर
प्रदेश के ग्रामीण परिवारों ने भी लॉकडाउन के दौरान पानी की कमी की शिकायत की है.
राज्य के कई क्षेत्रों जैसे बुंदेलखंड, सोनभद्र और मथुरा पानी की कमी झेल रहे
हैं. सर्वे में पाया गया कि राज्य के प्रत्येक 10 ग्रामीण परिवारों में लगभग तीन (27 प्रतिशत) को अतिरिक्त पानी पाने के लिए
कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. उत्तर प्रदेश के मथुरा निवासियों का कहना है कि महामारी
में पानी की कमी के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. लेकिन उनकी यह परेशानी
सिर्फ महामारी के समय ही नहीं था, वे लंबे
समय से पानी की समस्या झेल रहे हैं. उन्होंने दुःखी मन से कहा उन्होंने पानी का
सुख कभी देखा ही नहीं. असल में पहले से ही पानी की समस्या झेल रही एक बड़ी आबादी के
लिए हाथ धोने के लिए पानी की व्यवस्था करना एक ना पूरा होने वाले सपने के जैसा है.
छत्तीसगढ़
की ग्रामीण महिलाओं पर सबसे ज्यादा पानी का बोझ
छत्तीसगढ़ में 10 में से 8 घरों में महिलाओं को लॉकडाउन के दौरान
पानी के लिए अतिरिक्त प्रयास करना पड़ा. स्थानीय विशेषज्ञों ने दो कारकों को इसका
जिम्मेदार बताया है. पहला है राज्य के कई स्थानों में तेजी से घटता भूजल स्तर और
दूसरा प्रदूषकों जैसे कि फ्लोराइड, आर्सेनिक, लोहा और अन्य भारी धातुओं द्वारा पानी
का रासायनिक प्रदूषण. छत्तीसगढ़ के बस्तर निवासियों का कहना है कि आदिवासी लोगों को
पानी की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. चूंकि यहां कई खदानें हैं इसलिए लोगों को
लाल पानी इस्तेमाल करना पड़ता है, जिसके
कारण वह कई बार गंभीर बीमारियों से पीड़ित भी हो जाते हैं, इसके बाद भी वही पानी पीने के लिए
मजबूर हैं. हालांकि, पानी की
समस्या सिर्फ खनन क्षेत्रों में ही नहीं है बल्कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में भी
है.
उत्तराखंड में पानी लाना एक कठिन कार्य
पानी की समस्या सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही
नहीं है, सर्वे में
पता चला है कि उत्तराखंड में 67 प्रतिशत
ऐसे ग्रामीण परिवार हैं जहां महिलाओं को पानी के लिए अतिरिक्त प्रयास करना पड़ा.
उत्तराखंड के लोगों को कहना है कि पानी की व्यवस्था करने के लिए हमें कई समस्याओं
का सामना करना पड़ता है. यहां पानी की आपूर्ति दो दिनों में एक बार की जाती है.
हमें पानी की व्यवस्था सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि अपनी गायों और बकरियों के लिए भी
पड़ती है.@Nayak1
Outcry for water
40 percent of rural women had to struggle for water due to lockdown:
survey
In the last few months, this crisis has increased due to Corona epidemic
because the government and health agencies have advised to wash hands
frequently to avoid the spread of corona virus. This means that the daily water
needs of the family have increased and more water will have to be transported.
A survey was conducted in 23 states and three union territories of this
country. The survey tried to find out whether there was enough water to wash
hands in rural areas. Overall, two-thirds of the households found that they had
proper water supply, but 38 percent of the families complained that women had
to travel more distance to meet the extra water needs of the family.
At present, a large part of India is facing the situation of water
crisis. According to NITI Aayog's recent 'Composite Water Management Index',
about 82 percent of rural households in India do not have a separate pipeline
for water supply. At the same time, the water near the houses of 16.30 crore
people is not potable. In rural India, women often work to carry water for
their families. Every year, bringing water for women is becoming a burden.
Also, during the months of April and May, when the heat was at its peak, the
burden on women increased due to the lockdown.
On the one hand, where sufficient water was recorded for
washing hands in states like Himachal Pradesh, Rajasthan, Haryana, Jammu
Kashmir and Gujarat. At the same time, water shortage has been reported in
Odisha, Jharkhand, Tripura and West Bengal. According to the survey, 65 percent
of Odisha's rural families did not have enough water to wash their hands during
the time of the epidemic. Puri local people of Odisha say that there is a
problem of water supply in the village, in the time of this epidemic we are
unable to go out to fetch water. With this, many rural families of Jharkhand
claimed that they do not have water supply. The survey found that 55 percent of
the rural households in the state have to work hard for additional water in the
epidemic.
Apart from Chhattisgarh, Uttarakhand and Jharkhand, rural
families of Uttar Pradesh have also complained of water shortage during the
lockdown. Many areas of the state like Bundelkhand, Sonbhadra and Mathura are
facing water scarcity. The survey found that about three (27 percent) of every
10 rural households in the state have to work hard to get additional water.
Mathura residents of Uttar Pradesh say that due to lack of water in the
epidemic, they faced a lot of trouble. But this problem was not just during the
pandemic, they have been facing water problem for a long time. He said with a
sad heart, he never saw the happiness of water. In fact, for a large population
already facing water problems, arranging water for washing hands is like an
unfulfilled dream.
Rural women of Chhattisgarh have maximum water
burden
In 8 out of 10 houses in Chhattisgarh, women had to make
extra efforts for water during lockdown. Local experts have attributed two
factors to this. The first is the rapidly decreasing groundwater level in many
places of the state and the second is the chemical pollution of water by
pollutants such as fluoride, arsenic, iron and other heavy metals. Bastar
residents of Chhattisgarh say that tribal people have to face water problems.
Since there are many mines here, people have to use red water, due to which
they often suffer from serious diseases, even after that they are forced to
drink the same water. However, the problem of water is not only in the mining
areas but also in different parts of the state.
Bringing water to Uttarakhand is a difficult
task
The problem of water is not only in Chhattisgarh, it has
been found in the survey that 67 percent of such rural families in Uttarakhand
are where women had to make extra efforts for water. The people of Uttarakhand
have to say that we have to face many problems in order to arrange water. Here
water is supplied once in two days. We not only have water system for ourselves
but also for our cows and goats. @ Nayak1
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