देश में आत्महत्या का बढ़ता ग्राफ
एक साल में 32,563 दिहाड़ी मजदूर कर चुके
हैं आत्महत्या : एनसीआरबी
गरीब, किसान, मजदूरों के आत्महत्या करने का सिलसिला न तो कांग्रेस सरकार में रूका और न ही बीजेपी सरकार में रूका, बल्कि दोनों की सरकारों में आत्महत्या करने का ग्राफ दिन व दिन बढ़ता ही गया है. इस बात की गवाही राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी रिपोर्ट दे रहा है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में कुल 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की है, जिसमें दिहाड़ी मज़दूरों की संख्या लगभग एक चौथाई है यानी 32,563 दिहाड़ी मजदूर आत्महत्या कर चुके हैं. इसके बाद गृहिणियों द्वारा आत्महत्या के सर्वाधिक मामले आए हैं. यह मामला यही नहीं रूका है, बलिक 2019 में 14,019 बेरोज़गार भी आत्महत्या कर चुके हैं जो 2018 की तुलना में 8.37 प्रतिशत अधिक है.
गौरतलब है
कि देश में साल 2019 में
आत्महत्या करने वाले दिहाड़ी मजदूरों की संख्या 23.4 फीसदी बढ़ी है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड
ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में कुल 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की है, जिसमें दिहाड़ी मजदूरों की संख्या लगभग
एक चौथाई यानी 32,563 है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, छह साल पहले की तुलना में 2019 में यह संख्या दोगुनी होकर 23.4 फीसदी हो गई है. हालांकि, इन आंकड़ों में से कृषि क्षेत्र में काम
करने वाले मजदूर शामिल नहीं हैं. मालूम हो कि 2019 में तमिलनाडु में सबसे अधिक 5,186 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की थी.
इसके बाद महाराष्ट्र में 4,128 मजदूर, मध्य प्रदेश में 3,964, तेलंगाना में 2,858 और केरल में 2,809 मजदूरों ने आत्महत्या की.
आंकड़ों के
मुताबिक, 2019 में
दिहाड़ी मजदूरों के बाद दूसरे स्थान पर गृहिणियों ने आत्महत्या की है. इस दौरान 21,359 यानी 15.4 फीसदी गृहिणियों ने आत्महत्या की.
हालांकि, गृहिणियों
और कृषि सेक्टर में काम करने वाले मजदूरों के आत्महत्या के मामलों में कमी आई है.
कृषि क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के लिए एक अलग उप-श्रेणी है और 2019 में हुई कुल आत्महत्याओं में से 3.1 फीसदी इसी से जुड़े हुए लोग हैं.
एनसीआरबी ने 2014 से ही
‘एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स’ श्रेणी में मजदूरों की आत्महत्याओं को वर्गीकृत
करना शुरू कर दिया था. 2014 में इस
श्रेणी के तहत 12 फीसदी
आत्महत्या हुईं, लेकिन 2015 के बाद से इसमें इजाफा होता आ रहा है.
जबकि, साल 2015 में इसमें 17.8 फीसदी की वृद्धि देखी गई थी, वहीं 2016 में 19.2 फीसदी, 2017 में 22.1 फीसदी, 2018 में 22.4 फीसदी और 2019 में 23.4 फीसदी दर्ज हुई.
एनसीआरबी
ने अपनी रिपोर्ट में आत्महत्याओं को नौ श्रेणियों में बांट दिया है, जिसमें दिहाड़ी मजदूर, गृहिणियों और कृषि क्षेत्र में काम
करने वाले लोगों के अलावा पेशेवर/वेतनभोगी, छात्र, स्वरोजगार, सेवानिवृत्त, बेरोजगार और अन्य लोग शामिल हैं.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘इन आंकड़ों
में सिर्फ आत्महत्या करने वाले लोगों के पेशों को दर्शाया गया है. आंकड़ों के
मुताबिक, 2019 में
आत्महत्या करने वाले बेरोजगारों का अनुपात 10.1 फीसदी तक पहुंच गया है, जो 1995 में एनसीआरबी के आंकड़े जारी करने के बाद
से यानी बीते 25 सालों में
पहली बार दोहरे अंकों तक पहुंचा है. 2019 में 14,019 बेरोजगारों ने आत्महत्या की थी, जिसमें 2018 में 12,936 बेरोजगारों की आत्महत्या की तुलना में 8.37 फीसदी का उछाल आया है.
बता दें क
वे पांच राज्य जहां बेरोजगारों ने सबसे ज्यादा आत्महत्या की हैं, उनमें केरल 10,963, महाराष्ट्र 1,511, तमिलनाडु 1,368, कर्नाटक 1,293 और ओडिशा 858 शामिल हैं. चौंका देने वाला आंकड़ा तो
यह है कि 2019 में
बेरोजगारों की आत्महत्याओं की संख्या ने 1997 में हुई बेरोजगारों की संख्या को बहुत
पीछे छोड़ दिया है. 1997 में 9.8 फीसदी बेरोजगारों ने आत्महत्या की थी, जबकि 2019 में यह 10.1 फीसदी पर पहुंच गया. वहीं साल 2007 में बेरोजगारों की आत्महत्या की दर
सबसे कम 6.9 प्रतिशत
रही, जबकि 1995 से लेकर 2004 तक यह 8 प्रतिशत से अधिक रही. 2005 से लेकर 2014 तक यह 8 प्रतिशत से कम रही और उसके बाद से
लगातार बढ़ रही है. .@Nayak1
Increasing graph of suicide in the country
32,563 daily wage laborers have committed suicide in a year: NCRB
The process of committing suicide of poor, farmers and laborers neither
stopped in the Congress government nor the BJP government, but the graph of
suicide in both the governments has increased day by day. The testimony of this
fact is given by the National Crime Records Bureau. According to the NCRB
report, a total of 1,39,123 people have committed suicide in 2019, of which
about a quarter of the daily wage laborers i.e. 32,563 daily wage workers have
committed suicide. After this, the maximum number of cases of suicide by
housewives. This case has not stopped, but in 2019, 14,019 unemployed have
committed suicide, which is 8.37 percent more than in 2018.
According to
the data, housewives committed suicide in the second place after daily wage
laborers in 2019. During this period, 21,359 or 15.4 percent housewives
committed suicide. However, there has been a decrease in suicide cases of
housewives and laborers working in the agricultural sector. There is a separate
sub-category for laborers working in agriculture and 3.1 percent of the total
suicides in 2019 are related to them. Since 2014, NCRB started categorizing the
suicides of workers in the category of 'Accidental Deaths and Suicides'. In
2014, 12 percent of suicides occurred under this category, but it has been
increasing since 2015. Whereas in the year 2015, it saw a growth of 17.8 per
cent, 19.2 per cent in 2016, 22.1 per cent in 2017, 22.4 per cent in 2018 and
23.4 per cent in 2019.
The NCRB in
its report has divided the suicides into nine categories, which include
professional / salaried, students, self-employed, retired, unemployed and
others besides daily wage laborers, housewives and people working in
agriculture. The report said, "These figures only show the occupations of those
who committed suicide." According to the data, the proportion of
unemployed suicides has reached 10.1 per cent in 2019, which has reached double
digits for the first time in the last 25 years since the release of the NCRB
data in 1995. There were 14,019 unemployed suicides in 2019, an increase of
8.37 percent compared to the suicide of 12,936 unemployed in 2018.
Explain that
the five states where unemployed have committed the most suicides include
Kerala 10,963, Maharashtra 1,511, Tamil Nadu 1,368, Karnataka 1,293 and Odisha
858. The staggering figure is that the number of suicides of unemployed in 2019
has left the number of unemployed in 1997 far behind. In 1997, 9.8 percent of
the unemployed had committed suicide, while in 2019 it reached 10.1 percent. At
the same time, the suicide rate of unemployed in the year 2007 was 6.9 percent,
while it was more than 8 percent from 1995 to 2004. It was less than 8 percent
from 2005 to 2014 and has been steadily increasing since then.@Nayak1
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