एसबीआई सहित
सिर्फ 4 बैंक रहेंगे सरकारी
बाकी बैंकों
का निजीकरण करेगी मोदी सरकार
यदि
केंन्द्र की सत्ता पर मोदी सरकार कुछ दिन और रह गई तो देश बर्बाद होने में समय
नहीं लगेगा. केन्द्र की मोदी सरकार लॉकडाउन की आड़ में ताबड़तोड़ बैंकों का निजीकरण
कर रही है. केवल बैंकों का ही नहीं, बल्कि सरकरी कपंनियों से लेकर रेलवे, एयरपोर्ट सहित अन्य विभागों का भी निजीकरण कर रही है. केवल बैंकिंग सेक्टर
की बात करें तो बीते 3 सालों में विलय और निजीकरण के चलते
सरकारी बैंकों की संख्या 27 से 12 ही रह गई है, जिसे अब 4 तक ही सीमित करने की तैयारी है.
लॉकडाउन में
केन्द्र सरकार बैंकिंग सेक्टर में निजीकरण की राह पर तेजी से आगे बढ़ रही है. नीति
आयोग ने बैंकों के निजीकरण का ब्लूप्रिंट भी तैयार कर लिया है. आयोग ने केंद्र
सरकार को 4 सरकारी बैंकों पर ही अपना नियंत्रण
रखने का सुझाव दिया है. इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक शामिल हैं. इसके अलावा आयोग ने तीन छोटे
सरकारी बैंकों पंजाब ऐंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूको बैंक का प्राथमिकता के आधार पर निजीकरण करने की
सलाह दी है. अन्य सरकारी बैंकों (बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक और इंडियन बैंक) का सरकार या तो 4 बचे हुए बैंकों में विलय करेगी या फिर उनमें
हिस्सेदारी घटाएगी. इन बैंकों में सरकार अपनी हिस्सेदारी को 26 पर्सेंट तक सीमित कर सकती है.
दरअसल पिछले
दिनों निजीकरण के लिहाज से केंद्र सरकार ने स्ट्रेटेजिक और नॉन-स्ट्रेटेजिक
सेक्टर्स तय किए थे. इसके मुताबिक बैंकिंग भी स्ट्रेटेजिक सेक्टर में है और अधिकतर
4 सरकारी संस्थाओं को ही इसमें
मंजूरी दी जा सकती है. ऐसे में स्पष्ट है कि सरकार 4 बैंकों को ही अपने पास रखेगी. इस प्रस्ताव को जल्दी ही कैबिनेट के समक्ष
पेश किया जा सकता है. बैंकों के निजीकरण को जरूरी बताते हुए एक सरकारी सूत्र ने
कहा कि 31 अगस्त तक लागू किए गए मोराटोरियम
और फिर 2 साल के लिए कर्जों के पुनर्गठन के
बाद बैंकों में बड़े पैमाने पर पूंजी के निवेश की जरूरत है.
सरकारी
सूत्र ने कहा कि कमजोर आर्थिक स्थिति वाले सरकारी बैंकों के निजीकरण से सरकार को
राहत मिलेगी क्योंकि उन बैंकों में उसे साल दर साल पूंजी डालनी पड़ती है. हालांकि
सरकार निजीकरण पर धीरे-धीरे आगे बढ़ने का प्लान तैयार कर रही है ताकि ज्यादा से
ज्यादा रकम हासिल की जा सके. 2015 से लेकर 2020 तक केंद्र सरकार ने बैड लोन के संकट से घिरे सरकारी
बैंकों में 3.2 लाख करोड़ रुपये का पूंजी निवेश
किया था. इसके बाद भी इन बैंकों का मार्केट कैपिटलाइजेशन तेजी से कम हुआ है.
कोरोना काल में तो यह संकट और गहरा हुआ है.
बैंकिंग
कंपनीज ऐक्ट-1970 खत्म करेगी सरकार
बैंकों के
निजीकरण के लिए मोदी सरकार 1970 में बैंकों
के राष्ट्रीयकरण के मकसद से बने कानून बैंकिंग कंपनीज ऐक्ट को निरस्त कर सकती है.
ऐसा करना सरकार के लिए मुश्किल भी नहीं होगा क्योंकि संसद के दोनों सदनों से वह
बिल को पारित कराने में सक्षम है. मालूम हो कि 1970 में 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया
था और फिर 1980 में एक बार फिर से 6 निजी बैंक सरकारी क्षेत्र का हिस्सा बन गए थे.
अन्य
क्षेत्रों में भी निजीकरण को बढ़ावा
बैंकों के
अलावा मोदी सरकार अन्य सेक्टर्स में भी निजीकरण को बढ़ावा दे रही है. तेल
मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड के निजीकरण के अलावा सरकार ने
कोयला खनन के क्षेत्र में भी निजी कंपनियों को मंजूरी देने की तैयारी की है. इसके
अलावा ऐयरपोर्ट, रेलवे, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, स्कूल-कॉलेज एवं कई सरकारी विभाग
का भी निजीकरण करने जा रही है.@Nayak1
Only 4 banks including SBI will remain government
Modi government will privatize the remaining banks
If the Modi
government remains on the power of the Center for a few more days, then the
country will not take time to waste. The Modi government at the center is
privatizing the backward banks under the cover of lockdown. Not only the banks,
but government departments are privatizing the railway, airport and other
departments as well. Talking about banking sector only, due to merger and
privatization in the last 3 years, the number of public sector banks has been
reduced from 27 to 12, which is now set to be limited to 4.
In the
lockdown, the central government is moving fast on the path of privatization in
the banking sector. NITI Aayog has also prepared the blueprint for
privatization of banks. The commission has suggested that the central
government should keep control over 4 public sector banks. These banks include
State Bank of India, Punjab National Bank, Bank of Baroda and Canara Bank.
Apart from this, the Commission has advised to privatize three small public
sector banks Punjab and Sindh Bank, Bank of Maharashtra and UCO Bank on
priority basis. Other government banks (Bank of India, Union Bank, Indian
Overseas Bank, Central Bank and Indian Bank) will either merge with the 4
remaining banks or reduce their stake. The government can limit its stake in
these banks to 26%.
In fact, in
the last few days, in terms of privatization, the central government had fixed
strategic and non-strategic sectors. According to this, banking is also in the
strategic sector and only 4 government institutions can be approved in it. In
such a situation, it is clear that the government will keep 4 banks with
itself. This proposal can be presented before the cabinet soon. Describing the
privatization of banks as necessary, a government source said that after the
Moratorium implemented till 31 August and then restructuring of loans for 2
years, there is a need to invest large amount of capital in banks.
The
government source said that the privatization of government banks with weak
economic condition will provide relief to the government as it has to invest
capital in those banks year after year. However, the government is preparing a
plan to move forward slowly on privatization so that maximum amount can be
obtained. From 2015 to 2020, the central government had invested capital of Rs
3.2 lakh crore in public sector banks surrounded by the bad loan crisis. Even
after this, the market capitalization of these banks has decreased rapidly.
This crisis has deepened during the Corona period.
Government
to end banking companies act-1970
For the
privatization of banks, the Modi government can repeal the Act of Banking
Companies Act, made in 1970 for the purpose of nationalization of banks. It
will not be difficult for the government to do so as it is able to pass the
bill from both houses of Parliament. It is known that in 1970, 14 private banks
were nationalized and then in 1980 once again 6 private banks became part of
the government sector.
Privatization
promoted in other areas as well
Apart from
banks, the Modi government is also promoting privatization in other sectors.
Apart from privatization of oil marketing company Bharat Petroleum Corporation
Limited, the government has also prepared to approve private companies in the
field of coal mining. Apart from this, the airport, railway, railway station,
bus station, school-college and many government departments are also going to
be privatized. @ Nayak1
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