सवर्णों को आरक्षण, मराठों के आरक्षण पर रोक
शिक्षण संस्थानों में दाखिले और नौकरियों में मराठा आरक्षण पर सुप्रीम
कोर्ट ने लगाई रोक
वामन मेश्राम
साहब ने कहा,पहली बात -हम मराठा आरक्षण का समर्थन करते है मगर OBC को दिया
हुआ रिजर्वेशन है उसमे से किसी भी प्रकार का एक टका भी काटकर भी मराठा लोगोको दिया जाए
इस तरह का हम समर्थन नहीं करते.जो 27% रिजर्वेशन महाराष्ट्रा में OBC को मिल रहा है वो वैसे के
वैसे बना
रहना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा दूसरी बात,50% उनके बहार का जो एरिया है उस एरिया से ये 16% देने की बात थी
और महाराष्ट्रा के हाई कौर्ट ने 12% नोकरीयो में और 13% एजुकेशन में देने का उन्होंने निर्णय लिया
उस निर्णय को वहा सुप्रीमकोर्ट में चुनोती दी है और चुकी इसमें संवेधानिक मुद्दे सामिल है इसलिए
संवेधानिक मुद्दों पर जब तक फैसला नहीं होता है और ये दो जज का या दो-तीन जज का बेच था.यह
संवेधानिक पीठ नहीं थी इसलिए उन्होंने उन मुद्दों पर वो फैसला नहीं दे सकते थे इसलिए उन्होंने बड़े
बेच की तरफ
भेजा है.तो जो संवेधानिक मुद्दों पर अभी फैसला नहीं हुआ है.
संवेधानिक मुद्दों पर फैसला नहीं हुआ है मगर यह थोड़ी हेरान करने वाली बात है,जब आर्थिक आधार
पर 10% रिजर्वेशन नरेंद्र मोदी ने दिया तो उसमे कौर्ट ने कोई स्थगित नहीं दी मगर इस मुद्दे पर
स्थगिती दी.तो ये कुछ संवेधानिक बाते है जो समस्याए पैदा कर रहे है.तो हम लीग जल्द ही इसके
बारे में इस पर भी आंदोलन करने की भूमिका घोषित करेगे.ऐसा हम
लोग विचार विनिमय कर रहे है.
संघी
सरकार एक तरफ संविधान के खिलाफ सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दे रही है तो दूसरी तरह
मूलनिवासी बहुजनों का आरक्षण खत्म कर रही है. जब तक देश की सत्ता ब्राह्मणों की
हाथों में रहेगी तब तक इसी तरह से 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजन समाज (एससी, एसटी, ओबासी, मराठा, अल्पसंख्यांकों) का आरक्षण खत्म होता
रहेगा. अगर इसे बचाना है तो ब्राह्मणवादी सरकार के खिलाफ मूलनिवासी बहुजन समाज के
लोगों को एक साथ मिलकर आंदोलन करना होगा. केन्द्र की मोदी सरकार ने अभी हाल ही में
ओबीसी को उच्च शिक्षा एवं हाईकोर्ट में आरक्षण देने पर रोक लगा चुकी है. इसके बाद
अब मराठाओं को शिक्षण संस्थानों में दाखिले और नौकरियों में मराठा आरक्षण पर
सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. शीर्ष अदालत की बेंच ने कहा कि फिलहाल इसे मंजूरी
नहीं दी जा सकती है. इस केस पर बड़ी बेंच की ओर से फैसला लिया जाएगा, जिसका गठन मुख्य न्यायाधीश की ओर से
होगा. अदालत ने यह भी साफ किया है कि इस आदेश का असर पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल
कोर्सेज के दाखिलों पर नहीं होगा, जो पहले ही हो चुके हैं.
मामले की
सुनवाई करते हुए जस्टिस एल.एन राव के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा कि इस फैसले से अब
तक इस कोटे का लाभ ले चुके लोगों के स्टेटस पर कोई असर नहीं होगा. कोर्ट के इस
आदेश से उन लोगों को राहत मिली है, जिन्हें बीते करीब दो सालों में अब तक
इस कोटे का लाभ मिला था. कोर्ट के इस फैसले से मौजूदा शैक्षणिक सत्र में छात्रों
को कोटे का फायदा नहीं मिल पाएगा. बेंच ने कहा है कि फिलहाल इस पर रोक लगाई जाती
है और संवैधानिक बेंच की ओर से इसकी वैधता पर फैसला लिया जाएगा. संवैधानिक बेंच का
अर्थ 5 या फिर
उससे ज्यादा जजों की बेंच से है. इस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस.ए. बोबडे फैसला
लेंगे.
सूत्रों
ने बताया कि महाराष्ट्र में 2018 में तत्कालीन बीजेपी सरकार के नेतृत्व में सामाजिक एवं शैक्षिणिक पिछड़ा
वर्ग ऐक्ट को मंजूरी दी गई थी. इस कानून के तहत मराठा समुदाय को पिछड़े वर्ग में
शामिल करते हुए ओबीसी रिजर्वेशन का फैसला लिया गया था. इससे पहले जून 2019 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कानून की
वैधता को बरकरार रखा था. हालांकि उच्च न्यायालय ने कहा था कि नौकरियों में यह कोटा
12 पर्सेंट से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
इसके अलावा शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए इसकी लिमिट 13 पर्सेंट तय की जानी चाहिए.@Nayak1
Reservation
to upper castes, reservation on Marathas
Supreme
court bans Maratha reservation in educational institutions and jobs
Waman Meshram Saheb said the first
thing, we support Maratha reservation, but the reservation given to the OBC is
to be given to the Maratha people even after cutting a taka of any kind, which
is 27% reservation Maharashtra I am getting
OBC, it should remain like that.
On the
one hand the Sangh government is giving 10 percent reservation to the upper
castes against the constitution and on the other hand the reservation of the
indigenous Bahujans is ending. As long as the power of the country remains in
the hands of the Brahmins, in the same way, the reservation of 85 percent
indigenous Bahujan Samaj (SC, ST, Obasi, Maratha, minority) will continue to
end. If it is to be saved, the people of the indigenous Bahujan Samaj will have
to come together against the Brahminical government. The Modi government at the
center has recently banned OBCs from giving reservation in higher education and
high courts. After this, the Supreme Court has banned Marathas for admission in
educational institutions and Maratha reservation in jobs. The apex court bench
said that it cannot be sanctioned at the moment. This case will be decided by a
large bench, which will be formed by the Chief Justice. The court has also made
it clear that this order will not affect the admissions of Post Graduate
Medical Courses, which have already taken place.
While
hearing the case, a bench headed by Justice LN Rao said that this decision will
not affect the status of the people who have availed this quota so far. This
court order has given relief to those who had received the benefit of this
quota in the last nearly two years. Due to this decision of the court, students
will not get the benefit of quota in the current academic session. The Bench
has said that currently it is banned and a decision will be taken by the
Constitutional Bench on its validity. Constitutional Bench means the Bench of 5
or more judges. On this, Chief Justice of India S.A. Bobde will decide.
Sources
said that in 2018, the Social and Educational Backward Classes Act was approved
in Maharashtra under the leadership of the then BJP government. Under this law,
the OBC reservation was decided to include the Maratha community in the
backward classes. Earlier in June 2019, the Bombay High Court upheld the
validity of the law. However, the High Court had said that this quota in jobs
should not exceed 12%. Apart from this, its limit for admission to educational
institutions should be set at 13%. @ Nayak1
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