भ्रष्टाचार के मामले
में आगे देश
करप्शन इंडेक्स में 198 देशों की सूची में 80वें नंबर पर भारत
गूगल से ली गई छायाचित्र
भ्रष्टाचार से नेताओं की कमाई में
बेतहासा बढ़ोत्तरी : राज्यसभा के 203 और लोकसभा के 475 सांसद करोड़पति
‘‘अगर देश
में आम नागरिक के पास इतनी बड़ी रकम आ जाए तो आयकर विभाग की ओर से तुरंत कार्रवाई
की जाती है. लेकिन, ये नेता
इससे बड़ी आसानी से बच जाते हैं. इन नेताओं की संपत्ति में इतनी ज्यादा बढ़ोत्तरी
कैसे हो रही है? नेताओं की
संपत्ति में बेतहासा बढ़ोत्तरी का सबसे अहम कारण भ्रष्टाचार है.’’
भले ही देश शिक्षा, स्वास्थ्य या खुशहाल देश और वैश्विक
स्वतंत्रता की तुलना में अन्य देशों से कोसों दूर है. लेकिन हत्या, बलात्कार, बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी और भ्रष्टाचार जैसे कई और
मामलों में रिकार्ड तोड़ते हुए अन्य देशों को पीछे छोड़ दिया है. अभी हाल ही में
जहां ग्लोबल इंडेक्स में भारत को 104 देशों की सूची में 94वां स्थान मिला है तो वहीं वैश्विक
प्रेस स्वतंत्रा सूचकांक में भारत दो पायदान नीचे खिसकर 180 देशों की सूची में 142वें स्थान पर आ पहुंचा है. इसी तरह से
अगर जीडीपी की बात करें तो यह बात किसी से छुपी नहीं है. उपरोक्त सभी रिपोर्टों से
जहां मौजूदा सरकार पूरी तरह से घिर चुकी है तो वहीं भ्रष्टचार के मामले में आई एक
खबर ने मोदी सरकार को और ज्यादा मुसिबत में डाल दिया है.
खबर के अनुसार करप्शन इंडेक्स में 198 देशों की सूची में भारत को 80वां स्थान प्राप्त हुआ है. यानी
भ्रष्टाचार के मामले में अन्य देशों से बहुत आगे है. यह खबर उस वक्त आई है जब
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्यसभा के 203 और लोकसभा के 475 सांसद करोड़पति हैं. इससे भी ज्यादा
चौंका देने वाली बात है कि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उपरोक्त सांसदों की
दौलत में अकूत बढ़ोत्तरी ईमानदारी से नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार से हुआ है.
गौरतलब है कि बिहार में बुधवार को पहले
चरण का मतदान संपन्न हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण में 1,066 में से 375 यानी 35 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं. इनमें से
एक प्रत्याशी की औसत संपत्ति दो करोड़ रुपये है. अगर विदेशों से इसकी तुलना करें तो
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को एक साल में 1.44 करोड़ रुपये वेतन मिलता है. सवाल है कि
भारत में राजनीति सबसे अच्छा निवेश क्यों? राजनीति में नेताओं की संपत्ति दिन
दोगुनी और रात चौगुनी गति से बढ़ती है. इसका अंजादा इसी से लगाया जा सकता है कि साल
2019 में दोबारा लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले
भाजपा के 170 सांसदों
की संपत्ति 13 करोड़ से 17 करोड़ बढ़ी. यही नहीं पिछले पांच सालों
में जहां शिरोमणि अकाली दल के दो नेताओं की संपत्ति 115 करोड़ रुपये तक बढ़ गई तो वहीं एनसीपी के
चार सांसदों की संपत्ति 102 करोड़
रुपये तक बढ़ गई.
यह ममला यही नहीं रूका है बल्कि
कांग्रेस भी इससे अछूता नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के 38 सांसदों की संपत्ति में औसतन 60 करोड़ रुपये की तेजी देखी गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, राज्यसभा
के 203 यानी 89 फीसदी सांसद करोड़पति हैं. राज्यसभा में
एक सांसद की औसत संपत्ति 67 करोड़
रुपये है. इसी तरह लोकसभा में 475 यानी 88 फीसदी सांसद करोड़पति हैं. यहां एक
सांसद की औसत संपत्ति 93 करोड़
रुपये है. यहां पर एक बात गौर करने वाली है कि अगर देश में आम नागरिक के पास इतनी
बड़ी रकम आ जाए तो आयकर विभाग की ओर से तुरंत कार्रवाई की जाती है. लेकिन, ये नेता इससे बड़ी आसानी से बच जाते
हैं.
यहां पर फिर सवाल खड़ा होता है कि इन
नेताओं की संपत्ति में इतनी ज्यादा बढ़ोत्तरी कैसे हो रही है? इस सवाल का जवाब रिपोर्ट में दावे के
साथ जबवा दिया गया है कि नेताओं की संपत्ति में बेतहासा बढ़ोत्तरी का सबसे अहम कारण
भ्रष्टाचार है. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अमेरिका, इंग्लैंड और भारत के भ्रष्टाचार में
बहुत बड़ा अंतर है. यही कारण है कि करप्शन इंडेक्स 198 देशों की सूची में अमेरिका 23वें नंबर पर है तो वहीं इंग्लैंड 12वे नंबर पर है. जबकि, भारत 80वें नंबर पर है. इन आंकड़े के आधार पर
यह कहा जा सकता है कि भारत में बाकी देशों की तुलना में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार
है. यही नहीं भारत में वंशवाद भी एक बड़ी समस्या मानी जाती है. नेता का बेटा नेता, अभिनेता का बेटा अभिनेता और उद्योगपित
का बेटा उद्योगपति बनेगा. लेकिन पश्चिमी देशों में ऐसा नहीं होता है.
बता दें कि अमेरिका, यूके और कनाडा में लिस्टेड कंपनियों का
मालिकाना हक निवेशकों के पास होता है. जबकि, भारत में बड़े-बड़े उद्योगपति अपने
बच्चों को उनकी विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी सौंपते हैं. जब तक बच्चा
आत्मनिर्भर नहीं हो जाता, तब तक
माता-पिता उनकी जिम्मेदारी संभालते हैं. वहीं अमेरिका और इंग्लैंड में ऐसा नहीं
है. वहां बच्चा 18 साल का
होते ही आत्मनिर्भर हो जाता है. अमेरिका में 26 फीसदी, इंग्लैंड में 30 फीसदी और भारत में 55 फीसदी माता-पिता अपने बालिग बच्चों की
आर्थिक मदद करते हैं.
इन आंकड़ों पर भी डाले नज़र
राज्यसभा के 203 यानी 89 फीसदी सांसद करोड़पति, राज्यसभा में एक सांसद की औसत संपत्ति 67 करोड़ रुपये
लोकसभा में भी 475 यानी 88 फीसदी सांसद करोड़पति, एक सांसद की औसत संपत्ति 93 करोड़ रुपये @Nayak 1
Country
ahead in case of corruption
India at
number 80 in the list of 198 countries in corruption index
Photograph
taken from Google
There is
a huge increase in the earning of politicians from corruption: 203 Rajya Sabha
and 475 MPs of Lok Sabha millionaires
"If
such a large amount comes to the common citizen in the country, immediate
action is taken by the Income Tax Department. But, these leaders escape from
this very easily. How is the wealth of these leaders increasing so much?
Corruption is the most important reason for the huge increase in the wealth of
politicians. "
Even if the
country is far from other countries than education, health or a prosperous
country and global freedom. But in many other cases like murder, rape,
unemployment, poverty, hunger and corruption, it has left other countries
behind, breaking records. Recently, India has been ranked 94th in the list of
104 countries in the Global Index, while in the Global Press Freedom Index,
India has dropped two places to 142nd in the list of 180 countries. Similarly,
if we talk about GDP, then this thing is not hidden from anyone. While all the
above reports have completely surrounded the present government, a news in the
matter of corruption has put the Modi government in more trouble.
According to
the news, India has been ranked 80 in the list of 198 countries in the
Corruption Index. That is, it is far ahead of other countries in the matter of
corruption. This news came at a time when a report during the Bihar assembly
elections claimed that 203 Rajya Sabha and 475 Lok Sabha MPs are crorepatis.
Even more shocking is that the report has claimed that the increase in the
wealth of the above MPs is not due to honesty but to corruption.
Significantly,
the first phase of voting was held in Bihar on Wednesday. According to the
report, out of 1,066 in the first phase, 375 i.e. 35 percent of the candidates
are crorepatis. The average assets of one of these candidates is two crore
rupees. If we compare this with foreign countries, then British Prime Minister
Boris Johnson gets a salary of 1.44 crore rupees in a year. The question is,
why is politics the best investment in India? In politics, the wealth of
leaders doubles by the day and by four times by night. Its result can be gauged
from this that the assets of 170 BJP MPs who contested the Lok Sabha again in
the year 2019 increased from 13 crores to 17 crores. Not only this, where the
wealth of two Shiromani Akali Dal leaders increased by Rs 115 crore in the last
five years, the assets of four NCP MPs increased by Rs 102 crore.
This Mamla
has not stopped, but the Congress is also not untouched by this. According to
the report, an average of Rs 60 crore has been seen in the assets of 38
Congress MPs. According to the report, 203 i.e. 89 percent of the MPs of Rajya
Sabha are crorepatis. The average assets of an MP in Rajya Sabha is Rs 67
crore. Similarly, 475 i.e. 88 percent of the MPs in the Lok Sabha are
crorepatis. The average assets of an MP here is Rs 93 crore. One thing to note
here is that if such a large amount comes to the common citizen in the country,
immediate action is taken by the Income Tax Department. But, these leaders
escape from this very easily.
Here again,
the question arises that how is the wealth of these leaders increasing so much?
The answer to this question has been answered in the report with the claim that
corruption is the most important reason for the huge increase in the wealth of
politicians. The report has also claimed that there is a big difference in
corruption of America, England and India. This is the reason that America is at
number 23 in the list of 198 countries, while England is at number 12. Whereas,
India is at number 80. On the basis of these figures, it can be said that India
has more corruption than the rest of the countries. Not only this, dynasty is
also considered a big problem in India. The leader's son will become the leader,
the actor's son the actor and the industrialist's son the industrialist. But
this does not happen in Western countries.
Explain that
the ownership of listed companies in the US, UK and Canada is with the
investors. Whereas, big industrialists in India entrust their children to carry
forward their legacy. Until the child becomes self-sufficient, the parents take
care of them. This is not the case in America and England. There the child
becomes self-sufficient as soon as he turns 18. 26 percent of parents in
America, 30 percent in England and 55 percent in India provide financial help
to their adult children.
Look at
these figures too
203 in Rajya
Sabha i.e. 89% MP crorepati, average wealth of one MP in Rajya Sabha is Rs 67
crore
475 i.e. 88
per cent MP crorepatis in Lok Sabha, average assets of one MP is Rs 93 crores @Nayak
1
Thank you google