वैक्सीन पर वैश्विक
मारामारी
लोगों की जिंदगी से ज्यादा अपने मुनाफे पर ध्यान दे रहे अमीर देश, वैक्सीन पर करना
चाहते हैं एकाधिकार
गूगल से
ली गई छायाचित्र
दुनिया भर के नेताओं ने कोरोना से जंग
में कई गलत फैसले लेकर पहले ही दुनिया और खुद अपने देशों को मुसीबत में डाल दिया
है. जिसका खामियाजा भारत समेत कई देशों को चुकाना पड़ा है. इसके बाद भी जहां एक तरफ
महामारी चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ वैक्सिन पर वैश्विक मारामारी भी चल रही है.
हर अमीर देश वैक्सिन पर एकाधिकार करना चाहता है. अमीर देश को लोगों की जिंदगी से
ज्यादा अपने मुनाफे पर ध्यान दे रहे हैं. भारत की राजधानी में मौतों के पिछले
आंकड़े पिछड़ते जा रहे हैं. लेकिन अब लग रहा है कि कुछ अमीर देश एक बार फिर बड़ी
मूर्खता करने जा रहे हैं. इस गलती की न सिर्फ दुनिया को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती
है बल्कि खुद उन देशों के लिए भी आत्मघाती साबित हो सकती है.
सूत्रों ने बताया कि चीन ने अपनी इमेज
बचाने के लिए कोरोना के प्रकोप के बारे में बताने में देरी की, आज दुनिया भुगत रही है. चीन का भी
कूटनीतिक से लेकर आर्थिक मोर्चे पर कम नुकसान नहीं हुआ. मामला दबाने की उसकी गलती
आत्मघाती साबित हुई. अमेरिका ने ट्रंप के नेतृत्व में इस महासंकट में महाशक्ति की
भूमिका निभाने के बजाय महामूर्ख की भूमिका निभाई. अपनी ऊर्जा चीन को गलत ठहराने
में लगाई. विश्व स्वास्थ्य संगठन के संसाधन रोके. आज दुनिया का सबसे संक्रमित देश
खुद अमेरिका है.
दुनिया के कई राष्ट्रध्यक्षों ने
कोरोना को लेकर दूरदृष्टि रखने के बजाय निकट के सियासी मुनाफे पर नजर गड़ाई, कोरोना से जंग में साधन जुटाने के बजाय
जुमलों से काम चलाया और आज उनके देश बड़ा खामियाजा भुगत रहे हैं. देशों के बीच
कोरोना के खिलाफ जंग में तालमेल की साफ कमी दिखी और नतीजा ये हुआ कि आज 13 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं
संक्रमितों की संख्या 6 करोड़ होने
वाली है.
अमीर देश का दृष्टिदोष ही है कि वो
सोचते हैं कि एक्सक्लूसिव राइट्स के चलते वो अपने देश के नागरिकों को पहले वैक्सीन
मुहैया कराकर वाहवाही लूट लेंगे. अपने देश की कंपनियों को मुनाफा दिलवाएंगे. लेकिन
इस वायरस पर वो पुराना विज्ञापन सटीक बैठता है- ’एक भी बच्चा छूटा तो सुरक्षा चक्र
टूटा’. जितना कोरोना का वायरस लोगों को मार रहा है उतना ही कोरोना के कारण आई
आर्थिक तबाही भी खतरनाक है. अब ज्यादा से ज्यादा देशों के लिए कारोबार और व्यापार
रोकना मुश्किल हो रहा है. आप वैक्सीन नहीं देंगे लेकिन व्यापार जारी रखेंगे और
जारी रखना होगा संक्रमण का जरिया.
अमीर देश चाहते हैं वैक्सीन पर
एकाधिकार
अमीर देश कोरोना की दवा या वैक्सीन पर
अपने इंटिलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स नहीं छोड़ना चाहते. इससे उन्हें कोई मतलब नहीं
कि मानवता को रोज कोरोना थोड़ा-थोड़ा कर लील रहा है. उन्हें अपने मुनाफे से मतलब है.
न्यूज एजेंसी राइटर्स के मुताबिक शुक्रवार को एक सीक्रेट मीटिंग में अमीर देशों
खासकर यूरोपीय यूनियन और अमेरिका ने इंटिलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स छोड़ने के
प्रस्ताव का विरोध किया. अगर उनका ये रुख जारी रहता है तो ये मुद्दा अगले महीने
होने जा रही विश्व व्यापार संगठन विश्व व्यापार जनरल काउंसिल में उठ सकता है. अगर
वहां इसपर आम सहमति नहीं बनी तो फिर इसका निपटारा वोट के जरिए होगा जो कि रेयर
होगा.
एकाधिकारों में ढील के पैरोकारों का
कहना है कि अगर अमीर देश नहीं माने तो ये कोरोना से जंग की राह में बड़ा रोड़ा साबित
हो सकता है. इनकी दलील है कि जैसे एड्स के मामले में अधिकार छोड़े गए, वैसे ही कोरोना के मामले में भी छोड़ने
चाहिए. इनका आरोप है कि ये देश लोगों की जिंदगी से ज्यादा अपने मुनाफे पर ध्यान दे
रहे हैं.
अधिकारों में छूट का प्रस्ताव सबसे
पहले भारत और साउथ अफ्रीका जैसे देशों ने किया था. पांच कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च
का दावा करने वाले चीन ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया है. दरअसल जिन देशों में
सबसे पहले वैक्सीन बनने की उम्मीद है कि उनमें से ज्यादातर अमीर देश हैं. किसी
आविष्कार पर आम तौर पर इस तरह के अधिकारों का दावा किया जाता है. इसमें होता ये है
कि आविष्कारक को एक तय समय तक उस चीज के इस्तेमाल के एक्सक्लूसिव राइट्स मिलते
हैं.
कैसे आत्मघाती साबित हो सकती है
अधिकारों की ये जिद
दुनिया अब सही मायने में एक ग्लोबल
विलेज है. अमेरिकी शेयर बाजार गिरेंगे तो उसका असर सुदूर पूर्व के इंडेक्स पर
दिखेगा. चीन में कोई वायरस हमला करेगा तो सबसे ज्यादा लोग पश्चिम के देश अमेरिका
में मारे जाएंगे. जैसे इंसानों का दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर में जाना आसान और
इस वजह से तेज हुआ है उसी तरह से किसी भी अच्छी और बुरी चीज का एक से दूसरी जगह
पहुंचना चंद घंटों की बात है. लेकिन दूरदृष्टि दोष से संक्रमित वर्ल्ड लीडर ये बात
नहीं समझ पाते. @Nayak1
Global outbreak on vaccine
Rich countries focusing on their profits more than
the lives of the people, want to monopolize the vaccine
Photograph taken from Google
Sources said that China delayed to tell about the
outbreak of Corona to save its image, today the world is suffering. China also
suffered little from diplomatic to economic. His mistake in suppressing the
case proved to be suicidal. Instead of playing the role of a superpower in this
catastrophe, America played the role of the head of the trump. Put their energy
into justifying China. World Health Organization resources held. Today America
is the most infected country in the world.
Many heads of state of the world, instead of having
a far-sighted view of Corona, kept an eye on the near-political profits,
instead of raising resources in the war against Corona, they used to work with
jumalas and today their countries are suffering big losses. There was a clear
lack of coordination between the countries in the war against Corona and as a
result, today more than 1.3 million deaths have been reported,
the number of infected is going to be 60 million.
The vision of the rich country is that they think
that due to exclusive rights, they will rob the applause by providing vaccine
to the citizens of their country first. We will provide profits to the companies
of our country. But that old advertisement on this virus fits accurately - 'If
even one child is left, the security cycle is broken'. As much as the corona
virus is killing people, the economic catastrophe caused by the corona is also
dangerous. Now it is becoming difficult for more and more countries to stop
trading and trading. You will not give the vaccine, but will continue the
business and will continue to be a means of infection.
Rich countries want a monopoly on vaccine
Wealthy countries do not want to give up their
intellectual property rights on Corona's medicine or vaccine. It makes no sense
to them that corona is taking humanity a little bit every day. They mean by
their profits. According to the news agency Writers, in a secret meeting on Friday,
the rich countries, especially the European Union and the United States,
opposed the proposal to give up intellectual property rights. If this trend
continues, then this issue may arise in the World Trade Organization, the World
Trade General Council, going to be held next month. If there is no consensus on
it, then it will be settled by vote which will be rare.
Advocates of the loopholes in monopolies say that
if rich countries do not agree, then this could prove to be a major obstacle in
the path of war from Corona. He argues that just as in the case of AIDS, the
rights should be relinquished, in the case of Corona also. They allege that
these countries are paying more attention to their profits than the lives of
the people.
The waiver of rights was first proposed by
countries like India and South Africa. China, which has claimed research on
five corona vaccines, has also supported the proposal. In fact, most of the
countries that are expected to be vaccinated first are rich countries. Such
rights are usually claimed on an invention. It happens that the inventor gets
exclusive rights to use that thing for a certain time.
How can this insistence of rights be proved
suicidal
The world is truly a global village. If the US
stock market falls, its effect will be seen on the index of the Far East. If a
virus strikes in China, most people will die in the western country of America.
Just as human beings go from one end of the world to the other, it is easy and
because of this has accelerated, in the same way it is a matter of few hours
for any good and bad thing to reach from one place to another. But world
leaders infected with the vision defect do not understand this. @ Nayak1
Thank you Google