एविएशन सेक्टर पर मंडरा रहा खतरा, जा सकती हैं और नौकरियां
गूगल से ली गई छायाचित्र
एयर इंडिया के कुछ
कर्मचारियों के लिए तो समस्या कोरोना महामारी से काफी पहले ही शुरू हो गई थी. अब
तक एयर इंडिया के करीब साठ पायलट तनख़्वाह और अलाउंस की माँग लेकर कोर्ट का रुख़
कर चुके हैं. इन पायलट्स का दावा है कि कंपनी ने गलत तरीके से उनका कॉन्ट्रैक्ट
खत्म किया है और अप्रैल के महीने से उन्हें तनख़्वाह और अलाउंस नहीं दिया गया है.
कुछ पायलट्स अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि उनके लिए घर का खर्च चलाना
अब मुश्किल हो रहा है. वहीं एक अन्य पायलट ने कहा, आप कह सकते हैं कि
हमें नौकरी से निकाल दिया गया है. हमने दिसंबर में ही इस्तीफा दे दिया था लेकिन
एयर इंडिया ने कहा कि वो चाहते हैं कि हम नौकरी न छोड़ें. उन्होंने हमारी तनख़्वाह
भी बढ़ाई थी लेकिन असल में ऐसा नहीं हुआ और कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया. अब
उन्होंने हमें बर्ख़ास्त कर दिया है. उनका कहना है कि मैंने पायलट बनने के लिए 60-70
लाख रूपये खर्च किए
हैं. इसकी ट्रेनिंग दो-तीन साल की होती है. पायलट की नौकरी मिलना आसान नहीं है.
एविएशन सेक्टर दूसरे सेक्टर की तरह नहीं है. यहां लोग आसानी से नौकरियां नहीं बदल
सकते. हमारे पास बेहद सीमित विकल्प होते हैं और अगर ये पूरा सेक्टर फ़िलहाल मुश्किल
के दौर से गुज़र रहा है तो हमें कहीं भी नौकरी नहीं मिलेगी.
कोर्ट का रुख करने
वाले एक पायलट ने बताया, दरअसल हम अब तक ट्रेनिंग के लिए लिया गया लोन चुका रहे हैं. बैंक अपना पैसा
वापस माँग रहे हैं. वो हमारे घर आकर हमसे लोन का पैसा माँग रहे हैं. मैं उन्हें
पैसे कैसे चुकाऊंगा? ये सब काफी तनावपूर्ण है. मुझे नहीं पता कि वो कब मेरी कार उठा कर ले जाएं.
सच कहूं तो मैं घर चलाने के लिए दो-तीन हजार रूपये तक उधार ले रहा हूं. मेरी
जिंदगी पूरी तरह पलट गई है, मुझे अब रातों को नींद नहीं आती. इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएशन के
महासचिव प्रवीण कीर्ति कहते हैं कि कोरोना महामारी ने पायलट्स को सबसे बुरी तरह
प्रभावित किया है. प्रवीण ने बीबीसी को बताया, अधिकांश कर्मचारी
चाहते हैं कि वो प्रोविडेंट फ़ंड में जमा अपने पैसों का इस्तेमाल करें लेकिन वो ऐसा
नहीं कर सकते क्योंकि इसके लिए कई सारे नियम हैं. वो कहते हैं कि इंडिगो के अलावा
शायद ही किसी और एयरलाइन कंपनी ने अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकालते वक़्त
उनकी बेहतरी के लिए कुछ किया हो. इंडिगो ने जिन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, उनके परिवारों के लिए
स्वास्थ्य बीमा दिया और उन्हें एडवांस में दो-तीन महीने की तनख़्वाह भी दी.
कितनी गंभीर है समस्या?
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन
(आईएटीए) के एक आकलन के मुताबिक देश में एविएशन और इससे जुड़े सेक्टर में काम करने
वाले क़रीब 30 लाख लोगों
की नौकरियां जा सकती हैं. केयर रेटिंग्स में रिसर्च एनालिस्ट उर्विशा जगशेठ कहती
हैं कि धंधा चालू रखने के लिए और बही-खाता दुरुस्त रखने के लिए एयरलाइन कंपनियों
के पास एक ही उपाय रह गया है कि वे अपनी उड़ान सेवाओं को संतुलित करें या फिर उनमें
कटौती करें. वे कहती हैं कि एयरलाइन कंपनियों के राजस्व में कोई बढ़ोतरी नहीं हो
रही. साथ ही कंपनियों के लिए एविएशन फ्यूल, एयरपोर्ट नेविगेशन चार्ज, पार्किंग, मेन्टेनेंस के खर्च में किसी तरह की
कटौती करना मुश्किल है. ऐसे में जिस मद में कटौती संभव है, वो है तनख़्वाह और कर्मचारियों का
अलाउंस. उर्वशी जगशेठ कहती हैं, विमानन
उद्योग में अभी जिस तरह काम चल रहा है उसे देखते हुए कहा नहीं जा सकता कि सभी
कर्मचारी बेहतर स्थिति में होंगे. आने वाले दिनों में अगर बिजनेस नहीं बढ़ा तो और
लोगों की नौकरियां भी जा सकती हैं.
महामारी से पहले भी कम नहीं थी
मुश्किलें
लेकिन ऐसा नहीं है कि एविएशन सेक्टर के
लिए मुश्किलें कोरोना महामारी के कारण आई हैं. भारत में कोरोना महामारी के दस्तक
देने से पहले से ही ये सेक्टर मुश्किलों के दौर से गुज़र रहा था. वित्त वर्ष 2020 में एक के बाद एक कई ऐसी घटनाएं हुई
जिनका असर इंडस्ट्री की क्षमता और विकास के साथ-साथ लोगों की यात्रा पर पड़ा. इस
साल जेट एयरवेज़ ने काम बंद कर दिया, फ्लाइट कंट्रोल सॉफ्टवेयर में तकनीकी
गड़बड़ी के कारण बोइंग मैक्स 737 विमानों
को उड़ान भरने से रोक दिया गया, एयरबस ए320 नियोज के प्रैट्ट एंड व्हिट्नी इंजन
में समस्या के कारण इन विमानों के उड़ने पर रोक लगा दी गई.
जेट एयरवेज की हालत कैसे ख़राब हुई?
वित्त वर्ष 2020 में एविएशन टर्बाइन फ्यूल की क़ीमतों
में थोड़ी कमी ज़रूर आई और उम्मीद की गई कि इंडस्ट्री को इससे फ़ायदा होगा. लेकिन
यात्रियों के लिए टिकट की क़ीमतें कम रखने की चुनौती के चलते कुछ तिमाही में
कंपनियों को नुक़सान झेलना पड़ा. जानकार मानते हैं कि दुनिया भर में देशों की
अर्थव्यवस्था के साथ-साथ विमानन कंपनियों के काम करने के तरीके, यात्रा और पर्यटन पर कोरोना महामारी का
व्यापक असर पड़ा है. महामारी के बाद भी एविएशन सेक्टर को इस झटके से उबरने में अभी
लंबा वक्त लगेगा. देश में उड़ानें एक बार फिर चालू कर दी गई हैं लेकिन
जिस तरह ये वायरस रुकने का नाम नहीं ले रहा, उसका असर लोगों की यात्रा पर पड़ रहा
है. इंडिया क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (आईसीआरए) की उपाध्यक्ष किंजल शाह कहती हैं कि
आईसीआरए के आकलन की मानें तो वित्त वर्ष 2021 में घरेलू यात्रियों की संख्या 41 फीसद से घट कर 46 फीसद तक हो जाएगी. ये आंकड़ा वित्त वर्ष
2016 से भी निचले स्तर पर पहुँच जाएगा.
इंडस्ट्री
के सामने चुनौतियां
एविएशन सेक्टर के सामने फिलहाल सबसे
बड़ी चुनौती है यात्रियों की संख्या. आईसीआरए की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में यानी 25 मई 2020 से 30 सितंबर 2020 के बीच घरेलू यात्रियों की संख्या 110 लाख थी. वहीं वित्त वर्ष 2020 में इस दौरान यात्रियों की संख्या 702 लाख थी. यानी यात्रियों की संख्या में
साल भर में 84.2 फीसद की
गिरावट दर्ज की गई है. महामारी के दौर में घरेलू यात्रियों की संख्या का सीधा असर
इंडस्ट्री पर तो पड़ा ही है, इसके
अलावा दुनिया के दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था को लगे झटके का असर भी इंडस्ट्री पर
पड़ना तय है. माना जा रहा है कि आर्थिक मुश्किलों के कारण कम ही लोग यात्रा करेंगे
और महामारी का खतरा खत्म होने के बाद भी धीमी रिकवरी की ही उम्मीद की जा सकती है.
ऐसी कंपनियां जो आर्थिक स्तर पर मजबूत
स्थिति में हैं वो इस मुश्किल दौर से कुछ वक़्त में निकाल पाएंगी लेकिन पहले से ही
मुश्किलें झेल रही कंपनियों के लिए अस्तित्व बचाए रखने का संकट पैदा हो सकता है.
सीएपीए-सेंटर फॉर एविएशन में दक्षिण भारत के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी कपिल कौल
ने बीबीसी को बताया, देखा जाए
तो पूरी इंडस्ट्री इस वक़्त मुश्किल स्थिति में है. वो कहते हैं, धीरे-धीरे माँग बढ़ रही है लेकिन फिलहाल
ये पर्याप्त नहीं है. बिजनेस के लिए यात्रा या पर्यटन के लिए यात्रा जैसे मुख्य
सेक्टर के बढ़ने जैसे कोई आसार नहीं दिख रहे. वित्त वर्ष 2022 के आख़रि तक किसी तरह के विस्तार की
कोई उम्मीद नहीं है. @ Nayak 1
Bad condition of job even after
lockdown, even before lockdown
Danger hovering on aviation sector,
may leave more jobs
Photograph taken from Google
For some employees of Air India, the
problem started long before the corona epidemic. So far, about sixty pilots of
Air India have moved the court demanding salary and allowance. These pilots
claim that the company wrongly ended their contract and they have not been paid
salary and allowance since the month of April. Some pilots, on the condition of
not disclosing their names, said that it is now difficult for them to run their
household expenses. At the same time, another pilot said, you can say that we
have been fired. We resigned in December itself but Air India said that they do
not want to leave the job. They also increased our salary but in reality it did
not happen and due to corona, lockdown was imposed. Now they have dismissed us.
He says that I have spent 60-70 lakhs to become a pilot. Its training is two to
three years old. Getting a pilot job is not easy. Aviation sector is not like
other sector. People here cannot change jobs easily. We have very limited
options and if this entire sector is going through a difficult phase then we
will not get a job anywhere.
A pilot who approached the court
said, "Actually, we are still paying the loan taken for training."
Banks are asking for their money back. They come to our house and ask for loan
money from us. How will I pay them money? It is all very stressful. I do not
know when they pick up my car. To be honest, I am borrowing up to two-three
thousand rupees to run a house. My life has completely changed, I no longer
sleep at night. Pravin Kirti, general secretary of the Indian Commercial Pilots
Association, says the Corona epidemic has affected pilots the worst. Praveen
told the BBC, most of the employees want to use their money deposited in the
provident fund but they cannot do it because there are many rules for this. He
says that apart from IndiGo, hardly any other airline company has done anything
for the betterment of their employees when they are fired. Indigo gave health
insurance to the families of the employees who were fired and also paid them
two-three months in advance.
How serious is the problem?
According to an assessment by the
International Air Transport Association (IATA), the jobs of about 3 million
people working in aviation and related sectors in the country can be lost.
Urvisha Jagseth, research analyst at CARE Ratings, says airline companies have
only one solution to balance or cut their flight services in order to keep the
business running and to keep the balance well. She says that there is no
increase in the revenue of airline companies. Also, it is difficult for
companies to cut any kind of expenses of aviation fuel, airport navigation
charge, parking, maintenance. In such a situation, the item which is possible
to cut is salary and employee allowance. Urvashi Jagasheth says, "Given
the way work is going on in the aviation industry right now, it cannot be said
that all the employees will be in better condition." If the business does
not grow in the coming days, then the jobs of other people can also go.
Troubles were not less even before
the epidemic
But it is not that difficulties for
the aviation sector have come due to Corona epidemic. The sector was going
through difficulties even before the Corona epidemic was knocked out in India.
In FY 2020, several such incidents occurred one after the other which impacted
the capacity and development of the industry as well as the journey of the
people. Jet Airways ceased operations this year, a Boeing Max 737 aircraft was
stopped from flying due to a technical glitch in flight control software, a
problem with the Pratt & Whitney engine of the Airbus A320 Neoze. Has gone.
How did Jet Airways's condition
deteriorate?
Aviation turbine fuel prices
decreased slightly in FY 2020 and it was expected that the industry would benefit
from this. But due to the challenge of keeping ticket prices low for
passengers, companies had to suffer losses in some quarters. Experts believe
that the corona epidemic has had a major impact on the economy of countries
around the world as well as the way airlines operate, travel and tourism. Even
after the epidemic, the aviation sector will take a long time to recover from
this setback. Flights in the country have been started once again, but the way
this virus is not taking the name of stopping, it is affecting the journey of
the people. Kinjal Shah, vice-president of the India Credit Rating Agency
(ICRA), says that if the ICRA estimates, the number of domestic passengers will
be reduced from 41 per cent to 46 per cent in FY 2021. This figure will also
reach a lower level from FY 2016.
Challenges before the industry
The number of passengers is currently
the biggest challenge facing the aviation sector. According to an ICRA report,
in the financial year 2020-21, between 25 May 2020 to 30 September 2020, the
number of domestic passengers was 110 lakhs. At the same time in the fiscal
year 2020, the number of passengers was 702 lakhs. That is, the number of
passengers has registered a decrease of 84.2 percent in a year. In the period
of epidemic, the number of domestic passengers has had a direct impact on the
industry, in addition to the shock of the economy of other countries of the
world is also going to affect the industry. It is believed that due to economic
difficulties, fewer people will travel and after the threat of epidemic is
over, only a slow recovery can be expected.
Such companies, which are in a strong
financial position, will be able to get out of this difficult period in some
time, but for companies already facing difficulties, survival crisis may arise.
Kapil Kaul, Chief Executive Officer for South India at the CAPA-Center for
Aviation, told the BBC, "The whole industry is in a difficult situation at
this time. He says, the demand is increasing slowly but at the moment it is not
enough. There are no chances of growing the main sector like travel for
business or travel for tourism. There is no hope of any expansion till the end
of FY 2022. @ Nayak 1
Thank you google