बौद्ध लोग खुद को "हारिती पुत्र" कहते थे|

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बौद्ध लोग खुद को "हारिती पुत्र" कहते थे|

हारिती बौद्ध देवता है और हर विहार में हारिती माता की मुर्ति रखीं जाती थी| मध्य प्रदेश में रेवा शहर के 21 मैल उत्तर पश्चिम दिशा में "केवती कुंड" नामक वॉटर फॉल महानदी पर स्थित है| वहाँ पर केवती कुंड के नजदीक बौद्ध गुफा है जिसे "महादेव गुफा" कहा जाता है| उस गुफा मे बौद्ध स्तुप है जिसे आजकल महादेव का शिवलिंग समझा जाता है और इसलिए उसे महादेव गुफा कहा जाता है| (Tours of Bundelkhand, p. 142) अंदर की तरह उस गुफा के बाहर भी दो बौद्ध स्तुप मौजूद है, जो इसा पुर्व 2 री सदीं के है| उनमें से एक स्तुप पर पाली भाषा में लिखा है-

"हारिती पुतेनम सोनकेन कारिता पुखारिनी" (IA, Vol. IX, p. 121) 

मतलब

"हारितीपुत्र सोनक ने यह पुष्करणी (कुंड) बनवाया है|"

बौद्ध भिक्खुओं के लिए पानी का कुंड बौद्ध गुफा के नजदीक बनवाया जाता था, जिसे पुष्करणी कहा जाता था| 

उपरोक्त अभिलेख में बौद्ध अनुयायी सोनक ने खुद को "हारितीपुत्र" बताया है| इससे पता चलता है कि, बौद्ध लोग खुद को बौद्ध देवता हारिती के वंशज मानते थे| आज भी महाराष्ट्र के मराठा लोग खुद को "हारितीपुत्र" मानते है, जिससे स्पष्ट होता है की महाराष्ट्र के मराठा प्राचीन बौद्ध लोग है|

जय मूलनिवासी 

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