बुद्ध_की_जाति

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#बुद्ध_की_जाति...!

जो कहते हैं, कि बुद्ध भी तो क्षत्रिय थे ,उनसे पूछना कि, आज के क्षत्रियों ने क्यों नहीं अपनाया बुद्धिज्म को ? बुद्ध शाक्य थे/ खत्तीय थे (खेती करने वाले) उन्ही का रूपांतर ब्राम्हणो द्वारा क्षत्रिय मै हुआ. वैसे भी जाती / वर्ण ब्राम्हणो का एक षडयंत्र है.और कुछ भी नही|

सवाल तो यह है कि उस जाति ने उनसे क्या प्रेरणा ली ? क्या उनके विचारों को अपनाया या उनको सिर्फ जाति के फ़र्ज़ी गर्व का साधन बनाया ? जाति चिंतन ने बुद्ध को क्षत्रिय ,कबीर को जुलाहा, रविदास को चमार, फुले को माली और अम्बेडकर जी को महार बना डाला पर उनसे सीखा कुछ भी नहीं| अगली बार कोई यह कहे कि बुद्ध, महावीर सबके सब क्षत्रिय थे, तो उनसे पूछियेगा जरूर कि थे तो क्या सीखा उनका क्या  अपनाया? उनके आदर्श नहीं अपनाते ,सिर्फ महापुरुषों का जातीयकरण करते हैं. सिर्फ और सिर्फ अपने घृणित जाति दम्भ की संतुष्टि के लिए महापुरुषों के नामों का इस्तेमाल करते है. उनको अपनाते नहीं है. तो सुनो महापुरुष व महा स्त्रियां उन्हीं के होते हैं, जो उनको अपनाते हैं, न कि उनके जिस जाति के खांचे में वे पैदा होते हैं. जाति, वर्ण, कुल की फर्जी मान मर्यादाओं को तोड़ कर नया पथ प्रशस्त करना ही उनका काम होता है"|

जय मूलनिवासी 

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