कोई दे'वता नहीं आया!

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जब शूद्र जोहड़ का पानी पीते थे तब कोई देवता नहीं आया, जब देवदासी के नाम पर शूद्र लड़कियाँ वै'श्या बनायी गयी तब कोई देवता नहीं आया।

जब सेवा के नाम पर शू'द्रों से मैला उठवाया गया तब कोई देवता नहीं आया!
जब पुण्य के नाम पर शू'द्रों को शिक्षा और धन रखने से रोका गया तब कोई देवता नहीं आया!

जब ध'र्म के नाम पर तुम्हारे स्वस्थ बच्चों की बलि ली गयी तब कोई दे'वता नहीं आया!
जब कर्तव्य के नाम पर तुमसे बेगारी कराई गई तब कोई दे'वता नहीं आया!
  
तो बहुजन मूलनिवासीयो तुम सब कौन से दे'वता की पू'जा करते हो?
हम भी तो जाने उस दे'वता को जो तुम्हारा उद्धार करता हो, जिसके लिए तुम मंदि'रों में भटकते हो..!

सदियों से सोये हुए ये देवी देवता कब जाग गए?
 
तुम्हारी परछाईं से तो मंदि'र और देवता अ'पवित्र हो जाते थे उन फिर शू'द्रों को पूजा करने का अधिकार किस देवता ने दे दिया ?

बहुजन मूलनिवासीयो तुम्हारा मंदि'रों से कोई मतलब नही होना चाइए, बाबा साहब ने तुम्हे संविधान का ऐसा कवच दे रखा है जिसके बलबूते पर तुम अपने हक अधिकार शिक्षा के लिए लड़ाई लड़ सकते हो।
जय मूलनिवासी 

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