मूलनिवासी क्षत्रिय महासंघ में शामिल हो जाओ

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मूलनिवासी क्षत्रिय महासंघ में शामिल हो जाओ|
क्षत्रिय भारत के मूलनिवासी है, जिन्हें प्राचीन काल में खत्तिय कहा जाता था| खत्तिय इस पाली शब्द से क्षत्रिय शब्द बना है| इसी तरह, दुर्गा, राम, कृष्ण, शिव, यह सभी देवी देवताएं मूलनिवासी क्षत्रियों की बौद्ध देवताएं है| राम, कृष्ण, शिव यह सभी बोधिसत्व है|

ब्राम्हणों ने क्षत्रियों को आपस में भिडाकर मौर्योत्तर काल में भारत पर वर्चस्व स्थापित किया है| रामायण, महाभारत और सभी पुराण क्षत्रियों के आपसी संघर्ष से भरे पड़े है| इन संघर्षों में विजेता क्षत्रियों को ब्राम्हणों ने ब्राह्मणवादी क्षत्रिय घोषित किया और पराजित क्षत्रियों को शुद्र, अतिशुद्र और आदिवासी बनाकर उन्हें हक अधिकारों से वंचित किया| 

वशिष्ठ बनाम विश्वामित्र संघर्ष, परशुराम बनाम राम संघर्ष, यह संघर्ष वास्तव में ब्राम्हण बनाम क्षत्रिय संघर्ष के प्रतीक है| इस ऐतिहासिक ब्राह्मण बनाम क्षत्रिय संघर्ष को भुलाने के लिए ब्राम्हणों ने काल्पनिक पुराणों में क्षत्रिय बनाम क्षत्रिय संघर्ष का अतिरंजित वर्णन किया| रामायण में राम रावण संघर्ष तथा महाभारत में कौरव बनाम पांडव संघर्ष क्षत्रियों को आपस में भिडाकर खत्म करने का संदेश देता है| भगवद गीता को बोधिसत्व कृष्ण के मुंह में डालकर ब्राम्हणों ने यह बताने का प्रयास किया की कृष्ण ने ही क्षत्रियों को आपस में युद्ध करने के लिए प्रेरित किया था| वास्तव में परशुराम के क्षत्रिय नरसंहार को छुपाने के लिए कौरव पांडव संघर्ष अतिरंजित रुप में बताया गया|

ब्राम्हणों ने मिसगाईड कर मूलनिवासी नागवंशी क्षत्रिय आपस में लडाते रखा, जिसका फायदा उठाते हुए ब्राह्मण मध्ययुगीन भारत में शासक बने रहे| क्षत्रियों को आपस में जातीयों में बांटा गया और फिर उनपर ब्राम्हणों ने राज किया| इस Devide and Rule policy के तहत ब्राम्हणों ने अभीतक मूलनिवासी क्षत्रियों के साथ खिलवाड़ किया है| 

भारत को सम्राट अशोक मौर्य का शक्तिशाली तथा संपन्न अखंड भारत बनाना है तो सबसे पहले जाती तथा धर्मों में विभाजित सभी क्षत्रियों को एकजुट करना होगा| इस महान उद्देश्य को ध्यान में लेकर "मूलनिवासी क्षत्रिय महासंघ" इस देशव्यापी संगठन का निर्माण बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. वामन मेश्राम सहाब ने किया है| 

क्षत्रिय मूलनिवासी महासंघ में शामिल हो जाओ| 

जय मूलनिवासी| जय क्षात्रधर्म||

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