RSS का असली इतिहास और गृहयुद्ध का प्रयास :

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RSS का असली इतिहास और गृहयुद्ध का प्रयास :-
1. मुंजे , हेडगेवार का गुरु था।
2. मुंजे 1920 से 1948 तक हिंदू महासभा का अध्यक्ष रहा।
3. हेडगेवार ने 1925 में 'रायल सीक्रेट सर्विस' का नाम 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' किया।
4. 1928 में जब देश के हिन्दू मुसलमान मिलकर अंग्रेज़ों के खिलाफ देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे तब "सावरकर" ने खुलेआम यह ऐलान किया था कि भारत में दो राष्ट्र, हिन्दू और मुसलमान बसते हैं, भारत के बँटवारे का विचार यहीं से जन्म लेता है।
5. 1930-31 में लंदन में हुए गोलमेज सम्मेलन से लौटते हुए मुंजे इटली के तानाशाह मुसोलिनी से मिला।
6. इसमें उसने भारत को इटली का गुलाम बना देने का वायदा किया।
7. आरएसएस का ढांचा और शाखाओं की रचना 1931 में मुंजे ने की।
8. संघियों ने 1930-31 में भगतसिंह के खिलाफ गवाही दी।
9. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को १९३४ में अंग्रेजों ने कलकत्ता विवि का कुलपति बनाया। उन दिनों बंगाल में बहुत से वरिष्ठ शिक्षाविदों का नजरअंदाज कर अंग्रेजों ने सिर्फ 33 साल की श्यामा प्रसाद मुखर्जी को इसलिए VC बना दिया था , ताकि गांधी के आह्वान पर हज़ारों की तादाद में विश्वविद्यालय के होनहार छात्रों द्वारा आज़ादी के लड़ाई में शामिल होने से रोका जा सकें।
10. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1937 में मुहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ सरकार बनाई।
11. सावरकर ने 1940-41 नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी का साथ छोड़ा।
12. 1940-41 में ही संघ ने घोषणा की कि कोई भी हिन्दू 'आज़ाद हिन्द सेना' में भर्ती न हो।
13. 1940-41 में ही सावरकर ने 'आज़ाद हिन्द सेना' के खिलाफ अंग्रेजों की सेना में हिन्दुओं की भर्ती की।
14. 1942 में अटल बिहारी बाजपाई ने देश के क्रांतिकारियों के खिलाफ गवाही दी और २ क्रांतिकारियों को 'कालापानी की सजा' हुई।
15. 11 फरवरी 1943, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था
"a Hindu rally that if Muslims wanted to live in Pakistan they should "pack their bag and baggage and leave India"
16. महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 1942 में 9 अगस्त को जब ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का नारा दिया, तो हिंदु महासभा ने उसका विरोध किया था।
17. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल में मुस्लिम लीग के नेतृत्व में बनी सरकार के मंत्री के रूप में अंग्रेज सरकार को 26 जुलाई 42 को पत्र लिखकर कहा था कि युद्धकाल में ऐसे आंदोलन का दमन कर देना किसी भी सरकार का फ़र्ज़ है।
18. 1941-42 में हिंदु महासभा मुस्लिम लीग के साथ बंगाल मे फजलुल हक़ सरकार में शामिल थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी उस सरकार में वित्त मंत्री थे।
19. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1946 में बंगाल को विभाजित कर देने की मांग रखी।
20. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1946 में कहा, "बिना गृहयुद्ध के हिंदु-मुस्लिम समस्या का हल नहीं"।
21. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1947 में सरत बोस के बंगाल को एक करने के प्रयास का विरोध किया।
बताइए आज़ादी की लड़ाई में कौन शामिल था और कौन गद्दार थे ? आज यह देशप्रेम का प्रमाणपत्र बाँटने वाले अंग्रेजों की कभी आलोचना और निन्दा क्युँ नहीं करते ? सोचिएगा
ध्यान दें - अंग्रेजों ने हिन्दू महासभा और आरएसएस पर कभी प्रतिबन्ध नहीं लगाया - क्यों ???
प्वाईंट नंबर 21 पर ध्यान दीजिए "श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1946 में कहा,
"बिना गृहयुद्ध के हिंदु-मुस्लिम समस्या का हल नहीं"
और संघी आजतक यही कोशिश लगातार कर रहे हैं , कभी मंदिर-मस्जिद तो कभी गाय , लव जिहाद और धर्मान्तरण के नाम पर , परन्तु गृहयुद्ध तब होगा जब इस देश का मुसलमान अनियंत्रित होगा जो कि नहीं होगा क्युँकि उसे कुरान में अल्लाह ने हुक्म दिया है
"इन्नल्लाह मा अस्सा बेरीन"
अर्थात अल्लाह "सब्र" करने वालों के साथ है।
मुसलमान इस देश में कभी गृह युद्ध नहीं होने देगा श्यामा प्रसाद मुखर्जी के वंशजों । गाय के नाम पर चाहे जितने पहलू-उमर मार डालो।

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