"आ अब लौट चलें बुद्ध की ओर"

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बुद्ध धम्म का पतन नहीं हुआ है बल्कि शासक वर्ग के ब्राह्मणों द्वारा ब्राह्मणीकरण कर दिया गया है, अर्थात ब्राह्मण धर्म में परिवर्तित कर दिया गया है... 
बौद्ध साहित्य, बौद्ध प्रतीक, बौद्ध जातक कथाए, बौद्ध विहार, बौद्ध गुफाए एवं बौद्धों की विरासत चुराकर विदेशी ब्राह्मणों ने ब्राह्मण धर्म बनाया...
ब्राह्मण धर्म का हर उत्सव, हर प्रतीक, हर परंपरा बौद्ध विरासत की नकल है...

इस तरह संपुर्ण बौद्ध सभ्यता को ब्राह्मणीकरण की प्रक्रिया से ब्राह्मणवादी सभ्यता में तब्दील किया गया, जिससे बौद्ध समाज ब्राह्मणवादी समाज बना, वर्तमान SC, ST, OBC, Converted Minorities, और घुमंतू समुदाय जो खुद को ब्राह्मणवाद के प्रभाव में हिंदू कहते हैं, यह सभी लोग वास्तव में प्राचीन बौद्ध समुदाय है और यह लोग जिन राम, कृष्ण, शिव, अंबा, दुर्गा इन देवी-देवताओं को मानते हैं यह सभी देवी देवता वास्तव में बोधिसत्व राम, बोधिसत्व कृष्ण, बोधिसत्व शिव, बोधिसत्व तारा के बदले हुए रुप है... 

इस वास्तविकता को सभी लोगों ने समझना चाहिए और ब्राह्मणीकरण (Brahmanisation) के विरोध में अब्राम्हणीकरण (Debrahmanisation) की प्रक्रिया को बहुजनों ने गतिमान करना चाहिए...इससे इतिहास के अंधेरे में दबाया गया वास्तविक बौद्ध इतिहास सामने आ जाएगा और बहुजनों को प्राचीन बौद्धों के वंशज होने में गर्व महसूस होगा और भारत फिर से बौद्धमय भारत बन पाएगा... "आ अब लौट चलें बुद्ध की ओर"

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