बोरलाम गाँव के टीले से पत्थर का बना एक भिक्खा - पात्र मिला है।
खुशी की बात है कि भिक्खा - पात्र पर पाँच लेटर्स लिखे हैं, जो प्राकृत भाषा की धम्म लिपि में हैं।
लिखा है --- " हिमा बुहिया "।
प्राकृत में " बुध " का रूप " बुह " मिलता है। बुहिया अर्थात बुधिया। बुधिया अर्थात बुध की महिला अनुयायी अर्थात भिक्खुणी।
मतलब कि यह भिक्खा - पात्र हिमा नामक भिक्खुणी को समर्पित है।
भिक्खा - पात्र पर लिखे पाँच लेटर्स में दो " हि " है, जैसा कि लिपि विशेषज्ञों ने पढ़ा है। मगर दोनों " हि " के लेखन में फर्क है, जबकि लिपिकार एक ही रहा होगा।
पहले " हि " को " टि " भी पढ़ा जा सकता है। तब भिक्खुणी का नाम " टिमा " हो जाएगा, जबकि प्राचीन दक्षिण की भाषाओं में " ट " से नाम का आरंभ नहीं होता था।
बात यही खत्म करते हैं, मगर विमर्श आगे इस पर जारी रहेगा। जय मूलनिवासी