" स " का " च " में बदल जाने की इसी प्रवृत्ति के कारण शाक्य लोग उधर जाकर चकमा हो गए।

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बांग्लादेश देश के चटगाँव पहाड़ी क्षेत्र, म्यांमार के रखाइन क्षेत्र और भारत के त्रिपुरा, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल राज्यों में चकमा लोग रहते हैं।

चकमा लोग प्राचीन मगध से असम होते म्यांमार तक पहुँचे हैं।
चकमा लोगों का संबंध शाक्य लोगों से है। मा का अर्थ लोग है। चक का संबंध सक्क ( शाक्य ) से है। चकमा का अर्थ हुआ - शाक्य लोग।

चकमा लोग तथागत बुद्ध के वंशज हैं। ये बौद्ध धम्म को मानते हैं। इनके हर गाँवों में बुद्ध विहार हैं। बुद्ध पूर्णिमा इनका प्रिय पूर्णिमा है। इनके पुरोहित भिक्खु कहे जाते हैं।

असम प्रवास के दौरान शाक्य का परिवर्तन चकमा में हुआ। असमिया में " स " को " च " में बदलने की प्रबल प्रवृति है यथा संदूक - चंदुक/  साबुन - चाबोन/ सजा - चाजा/ सुराही- चुराइ आदि।

पूर्वोत्तर की अन्य भाषाओं में भी यह प्रवृत्ति है। मिसाल के तौर पर, मिरी भाषा में पुलिस को पुलिच, पेंसिल को पेंचिल और कसाई को कचाई बोलते हैं।

" स " का " च " में बदल जाने की इसी प्रवृत्ति के कारण शाक्य लोग उधर जाकर चकमा हो गए।

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