पिछड़े वर्ग का गौरवशाली इतिहास है।

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पिछड़े वर्ग का गौरवशाली इतिहास है। पिछड़ा वर्ग ब्रह्मणो का पिछलग्गू नहीं था बल्कि इस देश में ब्रह्मणवादी व्यवस्था के विरोध में पिछड़े वर्ग के महापुरुषो ने कड़ा संघर्ष किया है। तथागत बुद्ध के आन्दोलन से जहाँ प्राचीन काल में भारत 
गौरव के शिखर पर था। बुद्ध की बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय की विचारधारा ने ब्रह्मणो की असमानता की व्यवस्था को धवस्त करके समता स्वतन्त्रता, बन्धुत्व और न्याय स्थापित किया । वही मौर्य साम्राज्य के समय  भारत विश्व गुरु और सोने की चिड़िया बना। वही मध्यकालीन भारत में संत तुकाराम, संत कबीर, जैसे तमाम संतो ने ब्हमणवादी व्यवस्था को जड़ से हिलाने का काम किया छत्रपति शिवाजी महाराज ने एवं गुरू गोविन्द सिंह ने तलवार शूद्रों, अति शूद्रों के लिए शस्त्र, शिक्षा, सम्पति का द्वार खोलकर तलवार के बल पर भूमि पुत्रो का राज स्थापित ज्ञ करके ब्रह्मणवादी व्यवस्था को खुली चुनौती दिया। आधुनिक भारत में राष्ट्रपिता ज्योति राव फुले, माता सावित्री बाई फुले ने ब्रह्मणो की गुलामी से आजादी के लिए कठोर संघर्ष किया उनकी इस विरासत को बेहतरीन तरीके से संभालने का कार्य छत्रपति शाहू महाराज ने किया और बाबासाहेब डा अंबेडकर को नेतृत्व प्रदान किया और बाबासाहेब अम्बेडकर ने भारतीय संविधान लिख कर सभी महापुरुषों का सपना साकार करने का कार्य किया और हजारो वर्षों से हमारे जिन मौलिक अधिकारों को सीज किया गया था वे सभी अधिकार बहाल कर दिया।  इसके अलावा पेरियार रामास्वामी नायकर, डा.राम स्वरूप वर्मा, लल्ई सिंह यादव, जगदेव बाबू कुशवाहा, कर्पूरी ठाकुर संतराम बीए, सहित तमाम पिछड़े वर्ग के महापुरुषों एवं नेताओं ने लगातार संघर्ष किया जिसकी वजह से आज कुछ सीमित अधिकारो का उपयोग हम कर पा रहे हैं। लेकिन संविधान लागू करने वाली शक्तियो पर ब्रह्मणो का कब्जा होने के कारण हमारे संवैधानिक अधिकार भी हमें नहीं मिल रहे है। 
 इसलिए पिछड़े वर्ग के स्वाभिमानी आन्दोलन को पुनर्जीवित करने,संविधान में लिखे हुए हमारे अधिकारो को बहाल कराने के लिए, संख्या के अनुपात में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भागीदारी लेने के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा का संघर्ष आज भी जारी है। 
 सभी पिछड़े वर्ग के लोगों को अपील है कि इस आन्दोलन में तन, मन, धन से सहयोग करके इस आन्दोलन को सफल बनाये। 
      चौधरी विकास पटेल
राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा न्ई दिल्ली।

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