"बुद्धि विक्रय केंद्र "

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*🔥किसी मेले में एक स्टाल लगा था जिस पर लिखा था।  "बुद्धि विक्रय केंद्र "  !*
लोगों की भीड उस स्टाल पर लगी थी !

मै भी पहुंचा तो देखा कि उस स्टाल पर अलग अलग शीशे के जार में कुछ रखा हुआ था !

● एक जार पर लिखा था-
 *ब्राम्हण की बुद्धि- 1,00,000 रुपये किलो*

● दूसरे जार पर लिखा था - 
*वैश्य (बनिया) की बुद्धि- 50,000 रुपये किलो*

●  तीसरे जार पर लिखा था- 
*क्षत्रिय की बुद्धि- 20,000 रुपये किलो*

●  चौथे जार पर लिखा था- 
*ओबीसी/एससी/एसटी की बुद्धि- 100 रुपये किलो।*

मैं हैरान हो गया कि इस दुष्ट ने ओ बी सी/एस सी/एस टी की 
बुद्धि की इतनी कम कीमत क्यों लगाई ? 

गुस्सा भी आया कि इसकी इतनी मजाल, अभी मजा चखाता हूँ।

गुस्से से लाल मैं भीड को चीरता हुआ दुकानदार के पास पहुंचा और उससे पूछा कि तेरी हिम्मत कैसे हुई
*ओ बी सी/एस सी/एस टी की बुद्धि इतनी सस्ती बेचने की ?*

उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कराते हुए बोला, हुजूर बाजार के नियमानुसार बेच रहा हूं...
बाजार में जो चीज ज्यादा उत्पादित होती है, उसका भाव गिर जाता है !

★ आप लोगों की इसी बहुतायत बुद्धि के कारण ही तो आप लोग दीनहीन पडे हैं। कोई पूछने वाला भी नहीं है आप लोगों को ?

*★ एक साड़ी, बर्तन या एक बोतल दारू और मुर्गा और 500 की पत्ती में अपना ज़मीर और वोट दोनों बेच देते हैं।*
*★ जो आपका शोषण करता है, उसके ही तलवे चाटते हैं।*
*★ अपने गांव या समाज के लोगों को छोड़कर बाहरी लोगों का समर्थन करते हैं। आप सभी लोग अपने ही समाज के लोगों की टांग खिंचाई और उनका विरोध भी करते हैं।*
*★ अपनी वैभवशाली इतिहास और संस्कृति को छोड़कर काल्पनिक धार्मिक कहानियों की ओर आकर्षित होते हैं।*
*पाखंड और अंधविश्वास को धर्म मानकर निर्जीव मूर्तियों से धन, वैभव, शिक्षा की कामना करते हैं।*
*★ डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, शिक्षक और उच्च शिक्षित होकर भी अपने बच्चों का नामकरण, गृह प्रवेश, विवाह का शुभ मुहूर्त मैट्रिक पास ब्राह्मण से पूछते हैं।*
*★ 10% लोग 90% लोगों पर सदियों से राज तुम्हारी मानसिक गुलामी के कारण ही कर रहे हैं।*

*● सब एक दूसरे की टांग खींचते हैं और सिर्फ अपना नाम बड़ा देखना चाहते हैं !*

*● आप लोग एक-दूसरे का सहयोग नहीं करते, काम करने वाले की आलोचना करते हैं और उसे नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं !*

जाइये साहब...पहले अपने समाज को समझाइये और वो मुकाम हासिल करिए !

फिर आइयेगा मेरे पास... तो आप
जिस भाव में कहेंगे, मैं उस भाव में आपकी यानी ओ बी सी/एस सी/एस टी की बुद्धि बेचूंगा !!

सच्चाई सुनकर मेरी जुबान पर ताला लग गया और मैं अपना सा मुंह लेकर वहां से चला आया !

*पिछड़े अछूत भाइयों,*
*अब तो सुधर जाओ, इस छोटी सी कहानी के माध्यम से मैं जो कुछ कहना चाह रहा हूं। आशा करता हूँ कि समझने वाले मेरा अभिप्राय समझ गये होंगे !*


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