धार्मिक निडरता" वर्तमान भारत में क्रांति की पूर्वशर्त है

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"धार्मिक निडरता" वर्तमान भारत में क्रांति की पूर्वशर्त है|
तथागत बुद्ध ने तर्कसंगत धम्म का निर्माण कर सभी बहुजनों को धार्मिक डर से मुक्त किया था| धार्मिक डर को बौद्ध परंपरा में "मारा" कहते हैं| बुद्ध ने मारा को हराकर धार्मिक डर को पराजित किया और अपने जैसे निडर (भयंत) भिक्षुओं का संघ बनाकर निडर समाज का निर्माण किया जिससे प्राचीन भारत में विशालकाय मौर्य साम्राज्य स्थापित हो सका| तथागत बुद्ध निडर क्रांतिकारी थे इसलिए उन्हें शाक्यसिंह कहा जाता है और उनके अनुयायियों को भदंत/भंते (भयंत) कहा जाता था| भयंत मतलब जो धार्मिक भय से मुक्त है| 

धार्मिक डर बहुजनों के गुलामी का आज भी मुख्य कारण है| ओबीसी तथा अन्य समुदाय धर्मग्रंथों की काल्पनिक देवी देवताओं से तथा पुरोहितों से भयंकर डरते हैं| यह धार्मिक डर ही उनका शोषण तथा शिकार करता है| जंगल में हिरण का हमेशा शिकार होता है क्योंकि हिरण डरपोक प्राणी है| शेर निडर और बेखौफ घुमता है इसलिए जंगल का राजा कहलाता है| 

शासक बनने के लिए बहुजनों को भी पहले निडर होना पडेगा और इसके लिए ब्राह्मणों की धार्मिक गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले क्रांतिकारी बुद्ध का अनुयायी बनना पडेगा| बुद्ध अनुयायी बनने के बाद आपका धार्मिक डर खत्म होगा|

वर्तमान भारत में क्रांति सफल नहीं हो रही क्योंकि बहुजन लोग धार्मिक डरपोक बन गये हैं| सफल क्रांति के लिए सबसे पहले बहुजनों को धार्मिक भय से मुक्त करना होगा और इसी उद्देश्य से बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क का निर्माण किया गया है| बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क आपको तर्कवादी, बुद्धिवादी, बनाएगा और धार्मिक खौफ तथा धार्मिक गुलामी से आपको आजाद करेगा| 

पिछले दो हजार सालों से हमारे बहुजन लोग केवल मार खाते आ रहे हैं, कोई सिर पर पिशाब कर रहा है तो कोई पिशाब पिला रहा है| सौ दिन हिरण के जीने की बजाए एक दिन शेर बनकर देखो| आप भी सामनेवाले पर हाथ उठाकर देखो.... बेरहम दुनिया पर एक पत्थर तबियत से उठाकर तो देखो यारों.... 
@Nayak1

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