मारा का मतलब क्या है?

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मारा का मतलब क्या है? 

बौद्ध धर्म में बुद्ध अच्छाई (Righteousness) का प्रतीक  है और मारा बुराई (Evil) का प्रतीक है| बौद्ध परंपरा में राजपुत्र गोतम ने मारा को हराकर बुद्धत्व हासिल किया था और बुद्ध बन गए थे|

तथागत बुद्ध के अनुसार मारा मनुष्य का अनियंत्रित मन है (Mara is the free will of mankind)| अनियंत्रित मन (Uncontrolled Mind) पशु समान होता है| अगर उसे नियंत्रित नहीं किया तो मनुष्य का पशु अवस्था में पतन होता है| कुछ अच्छी चीज मिले तो उसे बार बार पाने की इच्छा होती है जिसे तृष्णा या वासना (Desire) कहते हैं| इस तृष्णा के कारण मनुष्य का मन हमेशा असंतुष्ट और असंतुलित रहता है और यही दुख है| अर्थात, अनियंत्रित मन या मारा दुखों का मूल कारण है|

मनुष्य के मन पर नियंत्रण पाने के लिए बुद्ध ने आर्य अष्टांगिक मार्ग विकसित किया था| सम्यक् विचार,  सम्यक् आचार और सम्यक् ध्यान से मनुष्य अपने अनियंत्रित मन अर्थात मारा पर विजय पा सकता है और पशु अवस्था से उठकर मनुष्य तथा उसके उपर अरहत (देव अवस्था) में पहुँच सकता है| 

पशु अवस्था से उपर उठना मतलब सभ्य समाज का निर्माण करना है| हर व्यक्ति के अंदर अच्छाई (तथागत गर्भ या बोधिचित्त) सुप्त अवस्था में होती है| अष्टांगिक मार्ग पर चलकर किसी भी जाति, रंग, वर्ण या धर्म का व्यक्ति अपने मन के अंदर बोधिचित्त को विकसित कर सकता है और सद्गुणी व्यक्ति (सभ्य) बन सकता है और इससे सभ्य समाज का निर्माण होता है| सभ्य समाज का निर्माण करना ही असली "धम्मराज्य" है जहाँ पर कोई किसी का शोषक नहीं है और सभी लोग समता, स्वतंत्रता, बंधुता, न्याय इन नैतिक मूल्यों पर चलकर एक आदर्श सुखमय जीवन (सुखावती स्वर्ग Paradise upon the Earth) स्थापित कर सकते हैं| बुद्ध का, और उनके भिक्षुसंघ का यही उद्देश्य था|
जय मूलनिवासी
#Nayak1


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