सावन का महीना आडम्बर करे शोर, देवघर मन्दिर में कैसे पहुँचा ब्राह्मणी चोर"

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"सावन का महीना आडम्बर करे शोर, देवघर मन्दिर में कैसे पहुँचा ब्राह्मणी चोर"

          "बैजनाथ धाम उर्फ #देवघर"

     ब्राह्मणों के अनुसार भारत में बारह ज्योर्तिर्लिंग है, जिसमे एक "देवघर" भी है। ब्राह्मणी कथा अनुसार इसका स्थापना और निर्माण स्वयं लंकेस (रावण) और शिव के मिलन द्वारा हुआ था।
         यह देवघर मंदिर झारखंड राज्य में जसीडीह रेलवे स्टेशन से 8.6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
      अब प्रश्न उठता है कि रावण के समय बना मंदिर में "गौतम बुद्ध" की मूर्ति किस प्रकार से आ गयी ?
      मुख्‍य मंदिर परिसर में भोलेनाथ के दाएं " काल भैरव मंदिर " है। ये  "#काल_भैरव"  कौन है? यह काले चमकीले पत्थर से बनी भगवान बुद्ध की विशाल भव्य मूर्ति है। चित्र संख्या 1।  मंदिर के दूसरी बाई ओर  आनंद भैरव मंदिर है जो पूर्वाभिमुख है। चित्र संख्या 2। इस "#आनंद_भैरव" की काली पत्थर से बनी मूर्ति भी गौतम बुद्ध की है।
     अब इस देवघर प्रांगण में सभी मूर्ति में ये दोनों मूर्ति सबसे विशाल और पुरानी है। अब आप तय करें कि रावण कब आया? शिव कब आये? बुद्ध कब हुए? ऐसे बता दूं कि बुद्ध के पहले का आज तक कोई भी मूर्ति और कोई भी मंदिर नहीं मिला है।
   आपलोग तय करें कि आपके जिंदगी का काल कौन है? भैरव कौन है? और भोला कौन है?

#नोट :- भारत में 850 ईस्वी से पूर्व अनेको महान सम्राट हुए जिनका भव्य और विशाल सुंदर किला था। लेकिन आज एक भी किला नहीं बचा है फिर आज के तथाकथित धूर्त लेखक कैसे कहता है कि भारत में निर्मित सभी मंदिर 5000वर्ष पूर्व से आगे की है?

             ☸अत्त दीपो भव☸
जय मूलनिवासी
#Nayak1

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