ब्राह्मणों के मोहल्ले में एक ठाकुर साहब रहते थे
जो रोजाना चिकन बना कर खाते थे चिकन की खुशबू से परेशान होकर पंडितों ने महंत (मंदिर के बड़े पुजारी) से शिकायत कि
महंत ने ठाकुर साहब को कहा कि आप भी ब्राह्मण धर्म अपना लो जिससे किसी को आप से कोई शिकायत ना हो
ठाकुर साहब मान गए...
तो महंत ने ठाकुर साहब पर गंगाजल छिड़कते हुए संस्कृत में कहा कि तुम पैदा राजपूत हुए थे पर अब तुम ब्राम्हण हो
अगले दिन फिर ठाकुर साहब के घर से चिकन की खुशबू आई
तो सब पंडितों ने फिर महन्त से शिकायत की
अब महंत पंडितों को लेकर ठाकुर साहब के घर गए तो देखा ठाकुर साहब चिकन पर गंगाजल छिड़क रहे थे
और कह रहे थे... तुम पैदा तो मुर्गा हुए थे, पर अब तुम आलू हो..
जय मूलनिवासी