भीम प्रतिज्ञा याद करो सब, बाग बड़ौदा लेते है ।छुआछूत के कारण वापस, बाग पड़े जो चेते है ।।नही पास मे पैसा साथी, लेकिन हिम्मत भारी है ।दूर करूँ मै जातिवाद जग, रही प्रतिज्ञा म्हारी है ।।

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चक्रव्यूह सब तोड़ निकलना, भीमा सूर्य सुजानी हैं ।
अपना जीवन दिया लुटाकर, भीम श्रेष्ठ भगवानी हैं ।।
करुणाशाली बहुत जिंदगी, बिना माँग सुख बाँटा है ।
नभ नामित है नाम भीम का, आँख समंती काँटा है ।।
सिखा गये पथ दिखा गये पर, चलती नही जवानी है ।
नही सुधरता जग अछूत यदि, बिगड़ी लगे कहानी है ।।
नही निरक्षर पढे लिखे अति, भयाक्रांत भ्रमजालो में ।
भीम बात स्वीकार नही जो, स्वार्थ शिखंडी चालों में ।।

अभी बहुत अच्छा लगता सब, आगे फिर वीरानी है ।
जग शिक्षित सब देख रहे है, मिटना सभी कहानी है ।।
संविधान जब तक है भारत, हो रक्षित लो मान सभी ।
हुआ बेदखल जैसे दुनिया, नही शूद्र फिर शान कभी ।।

अभी समय है चेत रहो जग, खतरा सिर पर भारी है ।
बिखरो नही एक हो जाओ, दुश्मन जो व्यभिचारी है ।।
नही दया कुछ इन सबसे जग, समझो क्रूर कसाई है ।
सदियो से सब रहा सताता, आदत अधिक ढिठाई है ।।

तोड़ समितियाँ संघ बनाओ, भूल रहो अभिमान रहे ।
मिली संघ ताकत तब देखो, दुश्मन नही निशान रहे ।।
नतमस्तक सब अत्याचारी, छिपते दिखे गुफाओं में ।
जैसे मधुमक्खी जब हमला, मानव कंबल छाओं में ।।

भीम प्रतिज्ञा याद करो सब, बाग बड़ौदा लेते है ।
छुआछूत के कारण वापस, बाग पड़े जो चेते है ।।
नही पास मे पैसा साथी, लेकिन हिम्मत भारी है ।
दूर करूँ मै जातिवाद जग, रही प्रतिज्ञा म्हारी है ।।

सदा लड़ूँगा इससे जीवन, इसको मार भगाऊँगा ।
रहे मुसीबत परिवारी जब, नही कभी घबराऊँगा ।।
छुआछूत बस लड़ूँ जिंदगी, कानूनन मिटवाऊँगा ।
कामयाब यदि नही रहा तो, मै गोली मर जाऊँगा ।।

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