जब "" गांधी "" या गांधी के दादा, लक्कड़ दादा पैदा भी नहीं हुएं थें।तब से बुध्द मुर्ती के शिल्पकला मूर्तिकला मे मौजूद हैं ये तथागत बुध्द के तीन बंदर....!

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जब "" गांधी "" या गांधी के दादा, लक्कड़ दादा भी पैदा नहीं हुएं थें।तब से बुध्द मुर्ती के शिल्पकला मूर्तिकला मे मौजूद हैं ये
तथागत बुध्द के तीन बंदर....!
तथागत बुध्द की वाणी:-- बुरा मत करो..
बुरा मत देखो..
बुरा मत सुनो.
जापान देश के निको शहर में -- तोशो "ग"विहार में तीन बुध्दिप्रामाण्यवादी बंदर की फोटो कॉपी लगी हैं।
17 वी शताब्दी का शिन्तो चैत्य** विश्व धरोहर** हैं।1942-43 के दौरान जापान देश के बौद्ध भिक्खुगण (देवगण सिनियर भंते) भारत देश के दौरें पर.. बौद्ध भिक्खु निचीदत्सू फ्युजी गुरुजी की अगुवाई में आए थें। 
उस समय गांधी सेवाग्राम आश्रम में थे सारा देश अंग्रेज सरकार चले जाव के नारों से गुंज रहा था।उस दौरान बौद्ध भिक्खु निचीदत्सू फ्युजी गुरुजी ने गांधी को
तीन बंदर वाली ""तथागत बुध्द ""की मुर्ती भेट स्वरूप दी थी।
बौध्द भिक्खु निचीदत्सू फ्युजी गुरुजी ने ""गोपूरी वर्धा "" मे बुध्दिस्ट शांति स्तुप का निर्माण किया था।
   देश की राजधानी दिल्ली में भी बौद्ध धम्म शांति स्तूप का निर्माण किया है।और इस तरह जापान देश की दीवारों पर अंकित देश के मुर्तियों मे स्थापित -- तीन बंदर "गांधी" के तीन बंदर हो गएं ....
जय मूलनिवासी 
@Nayak1

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