भारतवर्ष_का_एक_एक_ईंट_एक_एक_पत्थर_कहता_है_की_भारत_बुद्धमय_है..!!

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#भारतवर्ष_का_एक_एक_ईंट_एक_एक_पत्थर_कहता_है_की_भारत_बुद्धमय_है...!!
तथागत बुद्ध से जुड़ी स्मृतिया, अवशेष व धरोहर की खोज निरंतर जारी है। उपरोक्त जानकारी से यह बात सामने है, कि भारत देश में जहां तहां वहीं बुद्ध विद्यमान हैं। यह स्थिति जब बौद्ध धम्म को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ा गया। भारतवर्ष का एक-एक ईंट, एक-एक पत्थर कहता है, की भारत बुद्धमय है। बुद्ध का शासन हमारे मन पर है। दुनिया के सभी देशों में खुदाई से बुद्ध अवशेष प्राप्त हुए हैं। कभी कभी तो युद्ध में विध्वंस के पश्चात बुद्ध की मुर्तिया भूमि के गर्भ से निकली। एक कहावत भी है कि ‘हुआ युद्ध निकले बुद्ध’।बुद्ध शालीनता से देश के हर राज्य में हर गांव-मुहल्ले में मौजूद हैं।

बुद्ध के परिनिर्वाण के लगभग पांच सौ वर्षो के पश्चात भारत में महायानी शाखा ने बुद्ध की मूर्तियों की स्थापना शुरू की और कालांतर में लगभग पुरे पश्चिम एशिया में बुद्ध फैल गये। चीन, जापान, कोरिया, ताइवान, थाईलैंड, म्यांमार, भूटान, तिब्बत, अफगानिस्तान, श्रीलंका इत्यादि सभी जगह। भारत में बुद्ध संस्कृति का प्रभाव एवं विस्तार देश के कोने कोने में है। यह बात प्रमाणिकता से इसलिए कही जा सकती है। क्योंकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा खुदाई में अब तक सबसे ज्यादा साक्ष्य बुद्ध धम्म के होने के ही मिले हैं। खुदाई की सतत प्रक्रिया और बुद्ध धम्म के विश्व व्यापकता के स्वतः प्रमाण इसी खुदाई में मिलते रहे हैं। बुद्ध धम्म के कारण आज भी भारत विश्व गुरु के वैभव से विभूषित है। सम्राट अशोक के काल में भारत बुद्ध धम्ममय एक अखंड देश था। भारत सांस्कृतिक, राजनीतिक (प्रजातांत्रिक) एवं आर्थिक रूप से समृद्ध था। इस धम्म का प्रसार भी यहीं से अन्य देशों में हुआ और खुदाई इसका प्रमाण भी देती हैं। आज दुनिया के १७० देशों में बौद्ध धम्म विद्यमान है। बांग्लादेश जैसे छोटे राष्ट्र में एक करोड़ बुद्धिस्ट हैं। इस आंकड़े से बौद्ध धम्म के प्रसार का अंदाजा लगाया जा सकता है। जहां तक भारत में बौद्ध धम्म के विभिन्न प्रमुख स्थलों की बात है| तो यह भारत देश बौद्धमय था और आज भी है। जागृत स्थल का विवरण केवल बुद्ध धम्म की एक छोटी सी भूमिका मात्र है।
जय मूलनिवासी 

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