ब्राह्मण धर्म की उत्पत्ति कब और कैसे हुई?

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ब्राह्मण धर्म की उत्पत्ति कब और कैसे हुई|
ब्राह्मण जब इसा पूर्व दुसरी सहस्त्राब्दी में युरेशियन स्टेप्स प्रदेश से भारत आए थे, तब भारत में विकसित सिंधु घाटी सभ्यता थी और उस सभ्यता में उच्चकोटि की धार्मिक तथा सांस्कृतिक सभ्यता विकसित हुई थी| सिंधु सभ्यता के उत्खनन में संशोधकों को बौद्ध स्तुप जैसा विशालकाय स्तुप मिला है और अन्य स्तुपों की तरह वहाँ विशालकाय पानी का तालाब है| प्राचीन बौद्ध परंपरा में पानी का बड़ा महत्व था, जो शुद्धता तथा बप्तिस्मा के लिए बौद्ध भिक्षु इस्तेमाल करते थे| तथागत बुद्ध के पहले भी पूर्व बुद्ध होकर गए हैं और बुद्ध ने भी कबूल किया था की वह पूर्व बुद्धों की परंपरा के वंशज हैं| इससे स्पष्ट होता है कि, सिंधु सभ्यता प्राचीन बौद्ध सभ्यता थी और उसका धर्म अनादिकालीन सनातन बौद्ध धर्म था| इसलिए बौद्ध धर्म को "एस धम्मो सनन्तनो" अर्थात सनातन धम्म कहा जाता है|

ब्राह्मण जब इसा पूर्व 1900 से 1000 के आसपास भारत आए थे, तब उनके पास कोई विकसित सभ्यता, धर्म या संस्कृति नहीं थी| वो एक घुमंतू कबिलाई जीवन जिते थे, जिसमें दिन के समय प्राणियों की शिकार करना और रात को सोमरस पिते हुए अग्नि पर शिकार प्राणियों का मांस भुनकर खाना आम बात थी| खाते पिते समय यह लोग खुशी से गाणे गाते थे, जो आगे चलकर छंदबद्ध किए गए और उन्हें छांदस कहा जाता था| बाद में इन छंदस को ऋचा नाम दिया गया| वेदों में यही छंदस तथा ऋचा शामिल हैं|

भारत आने पर ब्राह्मणों ने यहाँ की विकसित सभ्यता देखी और दंग रह गए| लेकिन यहाँ की परंपराओं में उन्हें कोई महत्व नहीं था, क्योंकि वे घुमंतू थे| सिंधु सभ्यता में सभी धार्मिक विधी महिलाएं करतीं थीं| इसलिए, यहाँ की व्यवस्था पर कब्जा करने के लिए ब्राह्मणों ने सबसे पहले महिलाओं को टार्गेट किया और उन्हें नीचा दिखाने का अभियान शुरू किया, ताकि उनकी धार्मिक जगह उन्हें मिल सकें|

इसा पूर्व 6 ठी सदीं में बुद्ध के समय तक ब्राह्मण अच्छी तरह से भारतीय जीवन व्यवस्था में स्थापित हो चुके थे और उन्होंने धार्मिक क्षेत्र में अपना वर्चस्व जमा लिया था| बौद्ध साहित्य से हमें पता चलता है कि, ब्राह्मणों ने धार्मिक परंपराओं पर पुर्णतः कब्जा कर लिया था और उसके द्वारा उन्होंने राजा तथा प्रजा पर अपना वर्चस्व जमा लिया था| राजा प्रसेनजित के सभी मंत्री ब्राह्मण थे और राजपद पाने के लिए राजाओं को ब्राह्मणों के हाथों यज्ञ करवाने पडते थे| खुद राजा प्रसेनजित ने भी एक हजार जानवरों के बलि का यज्ञ आयोजित किया था, जिसे बुद्ध ने खुद जाकर रुकवा दिया था| 

मूलनिवासी राजाओं तथा प्रजा को ब्राह्मणों के धार्मिक वर्चस्व से मुक्त करने के लिए ही राजपुत्र महावीर और बुद्ध ने राजत्याग कर मूलनिवासियों की स्वतंत्र धार्मिक परंपरा प्राचीन सिंधु सभ्यता के आधार पर पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से गृहत्याग कर दिया था| बुद्ध ने लगातार 6 साल प्राचीन सिंधु सभ्यता अध्ययन कर उसके आधार पर धम्म निर्माण किया था और उसके तहत प्रशिक्षित भिक्षुसंघ बनाकर नयी धार्मिक व्यवस्था बनाई थी| 

धार्मिक क्षेत्र का प्रभाव हमेशा राजनीति तथा राजाओं पर रहता है| धार्मिक बारे में राजाओं को ब्राह्मणों पर निर्भर रहना पडता था, और इसका फ़ायदा ब्राह्मण उठाते थे और राजाओं को तथा जनता को प्रताड़ित करते थे| इस धार्मिक गुलामी से सभी मुक्त होना चाहते थे| इसलिए, जैसे ही बुद्ध ने धम्म का निर्माण किया, वैसे ही राजाओं ने, व्यापारीयो ने तथा सामान्य जनता बड़ी खुशी से उसका स्वीकार किया था| धम्म के कारण राजाओं को तथा जनता को खास प्रशिक्षित भिक्षु धर्मकार्यों के लिए मिलने लगे और उनका ब्राह्मणों पर निर्भर रहना बंद हो गया| सम्राट अशोक ने तो अपने प्रशासन से 60 हजार ब्राह्मणों को निकाल दिया और उस स्थान पर बौद्ध भिक्षुओं को नियुक्त कर दिया था| इस तरह, बुद्ध ने प्राचीन सिंधु सभ्यता के आधार पर धम्म क्रांति कर ब्राह्मणों का धार्मिक वर्चस्व खत्म कर दिया था|

खास बात यह है कि, ब्राह्मणों ने उनका ब्राह्मण धर्म भारत में आकर स्थापित होने के बाद बनाया था, जिसे वैदिक धर्म कहते हैं| ब्राह्मणों ने उनके साथ कोई उनका पुराना धर्म नहीं लाया था| उन्होंने यहाँ की सिंधु सभ्यता तथा उसके धर्म का अध्ययन किया और उस धर्म की संचालक महिलाओं को हटाकर उनके प्राचीन धर्म पर कब्जा किया था| ब्राह्मणों ने उस प्राचीन सिंधु कालीन धर्म में सोमरस, अग्निपुजा प्राणियों की बलि जैसी उनकी घुमंतू कबिलाई परंपराएँ जोडकर उनका वैदिक धर्म बनाया था| अर्थात, वैदिक धर्म प्राचीन सिंधुकालीन धर्म नहीं है, बल्कि भारत में स्थापित होने के बाद लगभग 800 इसा पूर्व के बाद ब्राह्मणों ने उसे विकसित किया था| इसका मतलब यह है कि, ब्राह्मणों का वैदिक धर्म प्राचीन सनातन धर्म नहीं है, क्योंकि सिंधुकालीन धर्म में उसके कोई अवशेष नहीं मिलतें| इसके विपरीत, तथागत बुद्ध का धम्म वास्तविक सनातन धर्म है क्योंकि आतिप्राचीन सिंधु सभ्यता के धर्म के आधार पर बुद्ध ने उनका धम्म निर्माण किया था और सिंधुकालीन धर्म को धम्म के रूप में पुनर्जीवित किया था| सिंधुकालीन धर्म की तरह बुद्ध के धम्म में भी राजा का राज्याभिषेक महिलाएँ करती थी| सम्राट अशोक का राज्याभिषेक भी महिला भिक्षुणियों ने किया था| ब्राह्मणों के वैदिक धर्म में महिलाओं को कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं है, इसलिए वह सनातन धर्म नहीं है|

हमारे कुछ लोग यह सोचते हैं कि, पुष्यमित्र शुंग को ब्राह्मण बताने से ब्राह्मण धर्म प्राचीन सिद्ध हो जाएगा| इसलिए यह लोग यह बता रहे हैं कि, गुप्तकाल के पहले ब्राह्मण धर्म अस्तित्व में नहीं था| लेकिन, तह गलत तर्क है और इतिहास के बल पर टिकनेवाला नहीं है| वास्तव में, ब्राह्मण धर्म प्राचीन है, लेकिन वह बौद्ध धर्म तथा सिंधुकालीन धर्म की तरह अतिप्राचीन धर्म नहीं है| 

यह विषय गहन है लेकिन महत्वपूर्ण है| इसलिए सभी संदर्भों के साथ इस विषय पर हम बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क की तरफ से एक बुक पब्लिश करेंगे|

-डॉ. प्रताप चाटसे, बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क

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