औरतों का हद हाल है । इतनी रीढ़विहीन ! इतनी आत्मविहीन ! हद है !कभी खुद ही पढ़ लो कोई भी पुराण उठा कर । यदि जरा भी बुद्धि लगा कर पढ़ोगी तो अकस्मात बोल उठोगी कि यह क्या बकवास है । टोटल ही बकवास है ।

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औरतों का हद हाल है । इतनी रीढ़विहीन ! इतनी आत्मविहीन ! हद है !

कथावाचकों का धंधा ही इन औरतों से चलता है । ये औरतें ही आगे बैठ कर इनकी कथाएं सुनती हैं । 

कथावाचक सब पुराण, भागवद इत्यादि का रिफरेंस देते हुए औरतों को जलील करता है और ये औरतों सुनती रहती है । 

रीढ़ होता इनके पास तो जूती निकाल कर मारती इन कथावाचकों को । लेकिन रीढ़ ही नही है । 

सुनो स्त्रियों तुम में भी वही राम है जो मर्दों में । मर्द के देह में जिस तत्व की वजह से जिंदगी है, सेम वही तत्व तुमारे देह को भी जीवंत करती है । 

मत सुनों इन मूढ़ कथावाचकों के बकलोली को । ये तुम्हें आत्मविहीन सिद्ध कर देंगे  कथाओं के आधार पर ; पुराणों के आधार पर । 

कभी खुद ही पढ़ लो कोई भी पुराण उठा कर । यदि जरा भी बुद्धि लगा कर पढ़ोगी तो अकस्मात बोल उठोगी कि यह क्या बकवास है । टोटल ही बकवास है । 

इसी बकवास के आधार पर ये धूर्त कथावाचक सब तुमको दीन हीन साबित कर देते हैं । कमाल यह है कि तुम आगे बैठकर इन कथावाचकों की बातों पर ताली बजाती हो । कुछ तो शर्म कर लो ; तुम्हारे सामने तुम्ही को नीच बताते हैं और तुम ताली बजाती हो ! 

एक तो जाओ ही नही इनकी बकवास सुनने और यदि कभी चली भी जाओ और कोई भी कथावाचक जैसे ही तुम्हे निम्न साबित करने की चेष्टा करे, निकालो जूती और दे मारो !
जय मूलनिवासी 

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