बाबा साहब अंबेडकर को काला राम मंदिर में ब्राह्मणों ने घुसने से रोक दिया था।

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मीराबाई को ब्राह्मणों ने मथुरा में कृष्ण के मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया था,तब मीरा बाई ने कहा मुझे तो लगता था कृष्ण एकमात्र पुरुष है हम सब उनकी गोपियां है
उनके कथन की पंकितयां हैं

' हूं तो जाणती हती के व्रजमां पुरुष छे एक.
व्रजमां रही तमे पुरुष रह्या, भलो तमारो विवेक'

जगन्नाथपुरी में गुरु नानक को ब्राह्मणों ने मंदिर में नहीं घुसने दिया तब वहां सीढ़ियों पर अपने शिष्य मर्दाना के साथ बैठकर गुरु नानक ने बानी की रचना करी 

'सहस तव नैन नन नैन हहि तोहि
कउ सहस मूरति नना एक तोही
सभ महि जोति जोति है सोइ 
तिस दै चानणि सभ महि चानणु होइ 

(तुम्हारी हज़ार आंखें हैं, फिर भी तुम्हारे एक भी आंख नहीं है. तुम्हारे हज़ारों आकार, फिर भी एक भी आकार नहीं. तुम्हारा यह खेल मुझे मोहित करता है. हम सबमें जो यह ज्योति है तुम वही ज्योति हो.
हम सबके भीतर दमक रहे हो)'

संत विनोबा भावे जब अपने साथियों के साथ बिहार के बैद्यनाथ धाम मैं प्रवेश कर रहे थे तो पंडों ने उन पर हमला किया जिस के प्रहार से विनोबा भावे का एक कान हमेशा के लिए बहरा हो गया।उनकी साथी कुसुम देशपांडे की छाती में पंडों ने इतनी जोर से घूंसा मारा कि उन्हें 15 दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था

बाबा साहब अंबेडकर को काला राम मंदिर में ब्राह्मणों ने घुसने से रोक दिया था।

मंदिर प्रवेश को लेकर ब्राह्मणों ने हमेशा से हिंसा का सहारा लिया है।इसके मूल में मूर्खता और जिद है।ब्राह्मणों के लिए मंदिर सिर्फ पैसा कमाने की एक जगह है। पुजारियों से बड़ा नास्तिक कोई नहीं है जो जानता है कि भगवान का पैसा हड़प लेने से भगवान हमारा कुछ नहीं बिगाड सकते🙏✍️
मुझे भी पता है मेरे गलत कर्मों के सिवाय दुनिया की कोई ताकत मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है।

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