मुक्ति का मार्ग क्या है??

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मुक्ति का मार्ग क्या है??
येवला जिले नासिक में 13 अक्टूबर 1935 की घोषणा, की पृष्ठभूमि में डॉ बी. आर. अंबेडकर ने 30 और 31 मई 1936 को दादर, मुंबई में एक महासभा का आयोजन किया, मैं गंभीरता से आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं हिंदू के रूप में नहीं मारूंगा।, इस सभा का एकमात्र उद्देश्य धर्म परिवर्तन आंदोलन के लिए अपने लोगों को समर्थन का आकलन करना था। यहां लगभग तीस हजार अछूत महार उपस्थित थे।
विशेष तौर पर निर्मित पंडाल में निम्न नारे प्रदर्शित थे।
धर्म मनुष्य के लिए है ना की मनुष्य धर्म के लिए।
दयामय बनने के लिए, धर्म परिवर्तन करो।
संगठित होने के लिए धर्म बदलो।
शक्ति प्राप्त करने के लिए, धर्म परिवर्तन करो।
समता लाने के लिए धर्म परिवर्तन करो।
स्वतंत्रता के लिए धर्म बदलो।
अपने निजी जीवन की खुशहाली के लिए धर्म बदलो।
उस धर्म में क्यों बने रहना चाहते हो, जो तुम्हें मानव नहीं समझता।
उस धर्म में क्यों हो जहां आपको मंदिरों में प्रवेश निषेध है।
उस धर्म में क्यों हो, आपको पानी पीने की मनाही है।
उस धर्म में क्यों हो, जिसमें आपको शिक्षा प्राप्त करना वर्जित है।
उस धर्म में क्यों हो, जहां आपका कदम-कदम पर अपमान किया जाता है।
उस धर्म में क्यों हो, जिसमें आपको नौकरी पाने में अवरोध है।
धर्म परायण मानवीय संबंधों की मनाही वाला धर्म नहीं- कोरा शक्ति प्रदर्शन है।
मानवता की पहचान को जो अधर्म कहे वह धर्म नहीं- एक रोग है।
एक धर्म जो अपवित्र जानवर को छूने की आज्ञा देता हो, परंतु मानव को छूने की मनाही करें, वह धर्म नहीं एक मूर्खता है।
एक धर्म जो योजनाबद्ध षड्यंत्र से एक वर्ण को शिक्षा से वंचित रखें, धन संचय तथा शस्त्र धारण करने को मना करें, यह धर्म नहीं है बल्कि मानव जीवन का उपवास है।
एक धर्म जो निरक्षर को निरीक्षण बने रहने तथा गरीब को गरीब बने रहने के लिए बाधित करता है, वह धर्म नहीं एक दंड है।
वे जो दावा करते हैं कि ईश्वर सर्वव्यापी है लेकिन इंसान से जानवरों से भी खराब व्यवहार करते हैं, वे पाखंडी हैं। ऐसे लोगों की संगति से दूर रहो।
वे जो चीटियों को चीनी खिलाते हैं लेकिन आदमियों को पानी पीने को मनाही कर मारते हैं,वे पाखंडी हैं उनकी संगति से बचो।
एक यूरोपियन मिशनरी मिस्टर स्टैनी जोन्स तथा श्री बी.जे. जाधव वहां विशेष तौर पर आमंत्रित थे वहां पर बहुत से सिख मुस्लिम नेता तथा पुरोहित भी थे जो धर्म परिवर्तन के प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष संकेत को समझने के उत्सुक थे इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य 13 अक्टूबर 1935 को यह वाला में की गई घोषणा को कार्यान्वित करने के तरीके वह नीति ढूंढना था। श्री डी. डोलास ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया जबकि श्री वी. एस. वेंकेटराव हैदराबाद से आए दलित वर्ग के नेता, इस सभा के अध्यक्ष रहे। इस बारे में डॉक्टर बी. आर. अंबेडकर ने 31 में 1936 को मराठी में विस्तार पूर्वक वर्णन किया उन्होंने जब पहले से तैयार भाषण का वाचन किया_ संपादक उन्होंने कहा-
     देवियों और सज्जनों,
अब तक आप जान गए होंगे कि यह सभा मेरे द्वारा हाल ही में धर्म परिवर्तन घोषणा पर गंभीरता पूर्वक विचार करने के उद्देश्य से बुलाई गई है। धर्म परिवर्तन का विषय मेरा बहुत प्रिय विषय है केवल यही नहीं मेरे विचार से आपका पूरा भविष्य इस विषय पर आधारित है। मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है की आपको इस समस्या की गंभीरता अच्छे से समझ आ गई है। अगर ऐसा नहीं होता तो आप इतनी विशाल संख्या में एकत्रित न हुए होते मुझे इस भारी संख्या को देखकर बहुत खुशी है।

संदर्भ:- बाबासाहेब डॉ अंबेडकर संपूर्ण वाड्मय खंड 37 पेज नंबर 107,108
प्रकाशन:- भारत सरकार नई दिल्ली
लेखक:- बोधिसत्व बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी
जय मूलनिवासी 

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