"महाकाली गुफाओं में छिपी कोनडिविटे बौद्ध गुफाएँ: मुंबई की प्राचीन धरोहर" बौद्ध गुफाएँ: एक ऐतिहासिक धरोहर"
मुंबई के अंधेरी (पूर्व) क्षेत्र में स्थित कोनडिविटे बौद्ध गुफाएँ भारतीय इतिहास और संस्कृति की एक अनमोल धरोहर हैं। ये गुफाएँ पहली शताब्दी ईसा पूर्व में सातवाहन राजाओं के शासनकाल में बनाई गई थीं। इन गुफाओं का निर्माण हीनयान और महायान बौद्ध काल के दौरान हुआ, जो उस समय के स्थापत्य और धार्मिक परंपराओं को दर्शाती हैं।
गुफाओं का ऐतिहासिक महत्व
कोनडिविटे गुफाएँ उस समय के व्यापारिक मार्गों के समीप स्थित थीं। उस समय सोपारा (नालासोपारा) एक प्रमुख बंदरगाह और व्यापारिक केंद्र था। यहाँ से नमक और अन्य वस्तुओं का व्यापार कल्याण, टेर, पैठण और उच्छिर तक होता था। अंधेरी (पूर्व) में स्थित ये गुफाएँ इसी ऐतिहासिक व्यापार मार्ग पर बनाई गई थीं।
गुफाओं की वास्तुकला और संरचना
गुफाएँ पत्थरों को काटकर बनाई गई हैं और इनमें चैत्यगृह, स्तूप और विहार हैं।
1. चैत्यगृह:
मुख्य चैत्यगृह का वास्तुशिल्प अद्वितीय है और यह प्रारंभिक बाराबार गुफाओं के चैत्यगृह जैसा प्रतीत होता है। गर्भगृह के केंद्र में एक गोलाकार स्तूप है। इसके चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है।
2. विहार:
गुफाओं में विहार संरचनाएँ भी हैं, जिनका उपयोग भिक्षुओं के रहने के लिए किया जाता था। गुफा संख्या 1 से 3 एक ही संत द्वारा निर्मित मानी जाती हैं।
गुफा संख्या 4 महायान काल की प्रतीत होती है।
गुफा संख्या 5, 6, 7 और 8 साधारण निवास के लिए उपयोग की जाती थीं।
3. मूर्तिकला:
गुफाओं की दीवारों पर भगवान बुद्ध की धम्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा में मूर्तियाँ बनी हैं। मुख्य मूर्ति सिंहासन पर धम्मचक्र मुद्रा में है। इसके अतिरिक्त, पद्मपाणि और वज्रपाणि बोधिसत्व की मूर्तियाँ भी दिखाई देती हैं।
वर्तमान स्थिति और संरक्षण की आवश्यकता
कोनडिविटे गुफाएँ वर्तमान में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। कुछ स्तंभ और संरचनाएँ नष्ट हो चुकी हैं। इन गुफाओं को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा संरक्षित किया जाना चाहिए। यह स्थान न केवल इतिहास प्रेमियों के लिए, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकता है।
पर्यटन और जानकारी
यहाँ प्रवेश शुल्क ₹25 प्रति व्यक्ति है। पर्यटकों के लिए यह स्थान इतिहास की एक अद्भुत यात्रा का अनुभव प्रदान करता है। गुफाओं के शीर्ष पर स्थित मिट्टी की ईंटों का स्तूप और पास की पानी की टंकी भी विशेष ध्यान आकर्षित करती हैं।
अपील
भारतीय इतिहास और संस्कृति की यह धरोहर हमारे देश की अमूल्य संपत्ति है। इसे नष्ट होने से बचाना हमारा कर्तव्य है। इसके संरक्षण के लिए सरकार और नागरिकों को मिलकर प्रयास करना चाहिए।
नोट: इस स्थान को "महाकाली गुफाएँ" भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ बुद्ध स्तूप के अवशेष पाए गए हैं।
- लेखक
निशा मेश्राम या nayak1news.blogspot.com
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