अगला पड़ाव दिल्ली कांशीराम को विश्वास है कि वह सबको पछाड़ सकते हैं.
कांशीराम को ब्राह्मण वोटों की अपेक्षा नहीं है, न ही वह चाहते हैं कि ब्राह्मण पत्रकारों को वे साक्षात्कार दें, उन्होंने दो पत्रकारों को इसलिए वापस कर दिया क्योंकि वे ब्राह्मण थे। उनको अनुसूचितों, पिछड़ों व मुस्लिमों के समर्थन का भरोसा है। 'इलैक्शन हारने का सवाल ही पैदा नहीं होता' उन्होंने इलाहाबाद के होटल के एक कमरे में दी वीक के साक्षात्कार में बताया। सारांश-
प्रश्न-आपने इलाहाबाद से चुनाव लड़ने का निर्णय किस आधार पर लिया?
उत्तर-इस लड़ाई का उच्चस्तरीय होना। यह प्रतिष्ठा का चुनाव है। मीडिया के लिए यह आकर्षण का केन्द्र है। वैसे भी हम यू.पी. में नम्बर एक की ताकत हैं। कांग्रेस का एकमात्र विकल्प।प्रश्न-आपका यह दावा किस आधार पर है?
उत्तर-वोट बैंक का, दलितों और अल्पसंख्यकों का वोट बैंक। हम 80-82 प्रतिशत हैं। इसे बहुजन समाज कहते हैं।प्रश्न-आप कैसे कहते हैं कि वे आपके साथ हैं?
उत्तर-लड़ाई राजनीति से ज्यादा सामाजिक है। हमारे चुनावी दायरे में, व्यवस्था के शिकार लोग हैं, जनसंख्या के 15 प्रतिशत तथाकथित भद्रपुरुष व्यवस्था से फायदा उठाने वाले लोग हैं बाकी 85 प्रतिशत इस व्यवस्था के शिकार लोग हैं। 15 प्रतिशत लोग यथास्थिति चाहते हैं, मैं व्यवस्था के शिकार लोगों को संगठित कर रहा हूँ।प्रश्न-आप कहाँ तक पहुँचे हैं?
उत्तर-हम रातों-रात उभरकर आए हैं। पूरे दो दशकों तक मीडिया ने हमको अनदेखा किया। बिजनौर और हरिद्वार के उप-चुनाव के बाद यह तय हो गया कि हम ठहरने के लिए आए हैं। हमारी सबसे बड़ी जीत यह थी कि हमने मीडिया की विश्वसनीयता पर कुठाराघात किया।प्रश्न-लेकिन आप हरियाणा में पूरी तरह असफल रहे, आपने हालांकि सभी सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सके?
उत्तर-हरियाणा में हमारी स्थिति इतनी खराब नहीं कही जा सकती, हमने वहाँ 2.8 प्रतिशत वोट हासिल किया। यह हरियाणा में हमारा पहला चुनाव था। जब यूपी. में 1985 में (विधानसभा चुनाव) हम लड़े थे तो हमें केवल 2.4 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। लेकिन एक ही साल बाद क्या हुआ? उप-चुनावों में हमने छलाँग लगाई। हम हरियाणा में शून्य से उभर रहे हैं, हरियाणा में हमने यू.पी. के प्रभाव से इतने वोट प्राप्त किए। "24 घंटे के नोटिस पर मैं 10000 लोगों की भीड़ इकठ्ठा कर सकता हूं। टंडन पार्क की चुनावी सभा में मैंने 22 घंटे पहले ही नोटिस दिया था फिर भी बड़ी संख्या में लोग आए। मैं हमेशा कम से कम 25000 लोगों की यानि वी.पी. सिंह की दोगुनी सभा को सम्बोधित करता हूँ। कांग्रेस ने अपनी पहली चुनावी सभा छोटे से हॉल में की थी।"प्रश्न-आप इलाहाबाद में अपनी करीबी टक्कर किससे मानते हैं?
उत्तर-वी.पी. सिंह और कांग्रेस दोनों से। ठाकुर और बनिया वी.पी. सिंह का समर्थन करेंगे। कायस्थ और ब्राह्मण कांग्रेस का समर्थन करेंगे। मौजूदा तौर पर वे प्रत्येक 50000 से 60000 के बीच में वोट प्राप्त करेंगे। इन जातियों का कुल वोट 2.20 लाख हैं। 1.5 लाख से ज्यादा वोट नहीं पड़ेंगे। स्थिति बदल भी सकती है। मुझे हराने के लिए या तो वी.पी. सिंह या शास्त्री की ओर ध्रुवीकरण हो सकता है।प्रश्न-वे (वोटर) अंतिम फैसला कैसे करेंगे?
उत्तर-ये शंकराचार्यों, मठाधीशों, विश्व हिन्दू परिषद तथा आर.एस.एस. द्वारा तय किया जाएगा। यही सब कुछ उन्होंने पिछले कुछ सालों में किया है। इंदिरा (गाँधी) ने इनको अपने लिए इस्तेमाल किया। अब वही सब आर.एस.एस. कर रहा है। प्रश्न-लेकिन यह कहा जा रहा है कि आपकी कांग्रेस से गुप्त सहमति बन गई है। यदि वह पार्टी नहीं जीत सकती है तो वी.पी. सिंह को हराने के लिए आपका समर्थन कर देगी? उत्तर-यह 'इंडियन एक्सप्रेस' का प्रोपेगंडा है। 'ब्लिटज' ने इसका एक दम उल्य कहा है कि काँग्रेस को हराने के लिए वी.पी. सिंह आपका समर्थन कर देंगे। पहले वे मुझे कांग्रेस का या विपक्ष का चमचा कहा करते थे। अब वे कांग्रेस या विपक्ष को मेरा चमचा बताते हैं, इससे मेरी लोकप्रियता जाहिर होती है।प्रश्न-आपके विश्वास का आधार क्या है?
उत्तर- 24 घंटे के नोटिस पर मैं 10000 लोगों की मीटिंग बुला सकता हूँ। टंडन पार्क की चुनावी सभा में मैंने 22 घंटे पहले ही नोटिस दिया था फिर भी बड़ी संख्या में लोग पहुँचे। मैं हमेशा कम से कम 25000 लोगों की मीटिंग यानि वी.पी. सिंह की दोगुनी सभा को सम्बोधित करता हूँ। कांग्रेस ने अपनी पहली चुनावी सभा छोटे से हॉल में की थी, जिसकी क्षमता कुछ सैकड़ा थी।प्रश्न-आप इलाहाबाद से कितने समय से जुड़े रहे हैं?
उत्तर-लम्बे समय से। वास्तव में मैं राज्य के कोने-कोने से जुड़ा हूँ। मेरा कोई परिवार नहीं है। मैं सारे साल घूमता हूँ। चौदह अक्टूबर, 1971 के बाद मैंने किसी भी सामाजिक समारोह, शादी, मृत्यु या मुंडन में शिरकत नहीं की है। 1971 के बाद मैं एक भी दिन के लिए बीमार नहीं पड़ा हूँ। मैंने पक्का नहीं किया था कि मुझे चुनाव लड़ना चाहिए। मैंने एक वोट की शक्ति तैयार की है, आगामी संभावनाओं एवं सीट की प्रोपेगंडा कीमत के मद्देनजर मैंने मैदान में कूदने का निश्चय किया।प्रश्न-हारने पर आप क्या करेंगे?
उत्तर-सवाल ही पैदा नहीं होता। यदि चुनाव होता है तो मैं जीतूंगा। यदि वोट लूट होती है तो मैं प्रतिरोध करूँगा। इस बार मुस्लिम, बंगाली यहाँ तक कि दक्षिण भारत भी मुझे समर्थन कर रहे हैं।प्रश्न-आपका धर्म के प्रति क्या नजरिया है?
उत्तर-मैं रूढ़िवादिता के विरुद्ध हूँ। मेरा मानना है कि ईश्वर और तलवार रूढ़िवादिता के दो हथियार हैं। मैं लोगों को बताता हूँ धर्म की कोई तार्किकता नहीं है। जहाँ तर्क का अंत होता है वहाँ से ईश्वर का जन्म होता है। अधिकांश धर्म अतार्किक हैं। वे मानवता को विभाजित करते हैं। मैं इसके खिलाफ हूँ।प्रश्न-आप मुस्लिमों का समर्थन कैसे हासिल करेंगे?
उत्तर-वे मेरा समर्थन करेंगे क्योंकि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। वे रामजन्म भूमि के खोलने को लेकर कांग्रेस के खिलाफ हैं। ये वर्तमान मुख्यमंत्री के रहते हुआ है। उसने मेरठ और इलाहाबाद के सांप्रदायिक दंगों में मुसलमानों को मरवाया है। 1980 के मुरादाबाद दंगों में भी उसका हाथ था। अरुण नेहरू, जिसने वीर बहादुर सिंह को रामजन्म भूमि खोलने के लिए मजबूर किया था। अब वी.पी.सिंह के साथ है। आरिफ मोहम्मद खान जिसने मुस्लिम महिला बिल का विरोध किया था अब वी.पी. सिंह के साथ है, मुस्लिम उससे घृणा करते हैं। इसलिए नेहरू और खान इलाहाबाद में प्रचार नहीं कर रहे हैं। उनकी मौजूदगी का विरोध होता है। वी.पी. सिंह अपनी असलियत को छुपा नहीं सकते। किसी भी व्यक्ति को उसकी संगति वालों से पहचाना जाता है। उनके कट्टर समर्थक बी.जे.पी. और आर.एस.एस. हैं। वाजपेयी और राजमाता उनके लिए उच्च जातियों के वोट जुटा सकते हैं लेकिन अल्पसंख्यकों के नहीं।प्रश्न-आप कहते हैं कि आप धर्म के खिलाफ हैं, लेकिन मुस्लिमों की दिक्कतें धर्म से सम्बन्धित हैं तब आप उनके समर्थन की आशा कैसे करते हैं?
उत्तर-में उनके पीछे नहीं जाता। मुस्लिम लोग खुद मेरे पास आए हैं। मुस्लिमों को मेरे पास आने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। यू.पी. में जो भी कांग्रेस का समर्थन करते हैं मुस्लिम उनका बहिष्कार करते हैं। मुस्लिम लोग हमेशा मुझसे गठजोड़ करना चाहते हैं। मैंने उनको बता दिया है मेरा उनसे कोई लेना-देना नहीं है। मुस्लिम संगठनों के नेता मुझसे मिलना चाहते थे। मैंने उनसे मिलने से मना कर दिया।प्रश्न-फिर भी वे आपके पीछे आ रहे हैं?
उत्तर-उनका कोई समर्थन जमात नहीं है। वे मुस्लिमों को कांशीराम के पास नहीं ला रहे हैं। वे तो उस मुस्लिम जनता के पिछलग्गू हैं जो मेरा समर्थन करती है। यही तरीका है कि उनकी नेतागिरी बनी रह सकती है। प्रश्न-क्या इससे समाज के दूसरे वर्ग अलग-थलग नहीं होंगे जो आपका समर्थन कर रहे हैं? उत्तर-मुस्लिम चाहते हैं कि मैं उनके क्षेत्रों में जाऊँ तथा सभाओं को सम्बोधित करूँ। उनके नेता इसमें विशेष भूमिका चाहते हैं। मैंने उनको कहा कि आप लोग मुझे खुलकर समर्थन मत करो। इससे समस्याएँ पैदा होंगी। ऐसा इसी चुनाव के लिए है। एक बार जब मैं जीत गया तब अगली बार खुलकर समर्थन मे आएंगे।आपकी राय महत्वपूर्ण है.
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