क्या आप मुझे पाकिस्तान ले जाकर मारना चाहते हो?- मान्यवर साहेब कांशीराम जी

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घटना 19 अगस्त 1998 की है. साहेब राजस्थान विधान सभा चुनाव के संबंध में हेलीकाप्टर के ज़रिये तबाड़तोड़ रैलियाँ कर रहे थे. इस दिन भी उनकी चार रैलियाँ थीं. पहली चुनावी रैली तारा नगर (जिला चुरू), दूसरी रैली नौहर (जिला हनुमानगढ़, तीसरी गोलुआला (जिला हनुमानगढ़) और चौथी चुनावी रैली केसरी सिंघ पुर (गंगानगर) में होनी थी. पहली तीन सफल रैलियाँ करने के बाद जब साहेब के हेलीकाप्टर ने केसरी सिंघ पुर के लिए उड़ान भरी तो अचानक से पायलट के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगीं. परेशानी के आलम में उसने साहेब से कहा, ‘साहेब, लोंगीट्यूड (longitude) और लेटीट्यूड (Letitude) के मुताबिक जो नंबर हमें लैंड करने के लिए दिए गए हैं (हवाई मार्ग के मुताबिक रेखाएं उत्तर से दक्षिण और पश्चिम से पूरब की और चलती हैं) उसके मुताबिक तो वह नंबर पाकिस्तान की धरती पर शो (दिख) हो रहे हैं.’ साहेब समय के पाबंद तो थे ही, साथ में रैलियों को लेकर वह बेहद गंभीर भी थे. ये बात सुनते ही साहेब गुस्से में आ गए. साथ ही में बैठे हुए धर्मपाल कटारिया की और देखकर कहने लगे, ‘क्या आप मेरे दुश्मनों से मिले हुए हो? क्या आप मुझे पाकिस्तान लेजाकर मरना चाहते हो?’ कटारिया कहने लगा, ‘साहेब जी, ये नंबर तो मैंने राजस्थान के सरकारी दफ्तर से खुद हासिल किये हैं. नंबरों के ऊपर बाकायदा सील लगी हुई थी.’ साहेब का गुस्सा शांत नहीं हुआ. वे कहने लगे, ‘मैं भलीभांति जानता हूँ. ये जो बेईमान मुलाजिम होते हैं, इन्हें दो-चार रुपये देकर कहीं भी साइन करवा लो. और आप इस तरह के मुलाज़िमों पर भरोसा कर लेते हो. आप लोगों ने अपने किसी भरोसेमंद मुलाजिम से नंबर लेने थे.’ कटारिया ने अपनी बात रखी, ‘साहेब जी, नंबर तो सही थे.’ साहेब का गुस्सा शांत नहीं हुआ था. वे कहने लगे, ‘अच्छा! क्या तुम आकाश से नीचे देखकर बता सकते हो हम कौन से गाँव या शहर से गुज़र रहे हैं?’ कटारिया ने कहा, साहेब जी, हम लोग तो बसों में सफ़र करने वाले लोग हैं, मैं आकाश से देखकर कैसे बता सकता हूँ कि नीचे कौन सा गाँव है या शहर है?’ ये बात सुनकर पायलट की हंसी छूट गई. लेकिन साहेब के माथे पर चिंता की लकीरें और गहरा गईं.

साहेब ने पायलट से कहा कि वो आगे बढ़ने की बजाय यहीं कहीं लैंड कर ले और पूछ ले कि केसरी सिंघ पुर गाँव कहाँ है. दरअसल, पाकिस्तान की सरहद वहां से महज़ 7-8 किलोमीटर दूर नज़र आ रही थी. पायलट ने तुरंत हेलीकाप्टर एक सूखे हुए तालाब के किनारे लैंड किया और नीचे उतरा. उधर साहेब कटारिया की ये कहते हुए ‘क्लास’ ले रहे थे कि ‘या तो आप लोग मिशन का काम नहीं करना चाहते या आप लोगों को मिशन से प्यार नहीं है. आप लोग दुश्मनों से मिले हुए हो, और चाहते हो कि कांशी राम को मरवा दिया जाये. और बाबा साहेब का मिशन जाए भाड़ में.’ साहेब बोलते जा रहे थे और इधर कटारिया थे जिन्होंने एक पल के लिए भी चुप का दामन नहीं छोड़ा.

उधर दो औरतें जो खेतों में पशुओं का चारा लेने आई होंगी, पायलट उन्हें देखकर उनकी और दौड़ा. वे औरतें पायलट को अपनी ओर दौड़ता आता देख घबरा गईं. उन्होंने चारे का गट्ठर और दरांती वहीँ पटके और गाँव की तरफ भागने लगीं. औरतें आगे आगे और पायलट उन्हें रुकने की गुहार लगता हुआ उनके पीछे पीछे दौड़ रहा था. ये मंज़र देखकर साहेब की हंसी छूट गई. साहेब और कटारिया दोनों ठहाके लगा कर हंसने लगे.

हेलीकाप्टर को उतरा देखकर नज़दीक के ही गाँव कमीनपुर के लोग भी उस और आने लगे. उन लोगों ने ही पायलट को बताया कि केसर सिंघ पुर गाँव बस तीन-चार किलोमीटर ही दूर है. हेलीकाप्टर उड़ने के बाद कटारिया को एक पानी की टंकी नज़र आई और उन्होंने पायलट को उधर का रुख करने के लिए कहा. चुनाव रैली के लिए बनाए हेलिपैड नज़र आने लगे, वह भी एक नहीं दो. एक हेलिपैड कार्यकर्ताओं ने रैली के बिल्कुल करीब ही बनाया हुआ था और दूसरा प्रशासन ने तीन-चार खेतों से परे बनवाया था. हेलीकाप्टर नज़दीक वाले हेलिपैड पर उतरा. नीचे उतरकर पायलट ने कटारिया को हँसते हुए कहा, ‘हेलीकाप्टर उतारने के नंबर तो सही ही थे लेकिन पता नहीं क्यूँ सिग्नल की गड़बड़ी की वजह से वह पाकिस्तान की धरती पर शो हो रहे थे.’ कटारिया ने पायलट को वापिस जवाब में कहा, ‘नंबर तो सही ही थे, लेकिन तुमने आज साहेब से जो मेरी डांट पडवाई है, वह तो मुझे कभी भी नहीं भूलेगी।
जय मूलनिवासी 

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