डॉ.बाबा साहेब की मृत्यु हुई तो छः लाख के करीब लोग इक्कठा थे और रो रहे थे।
कार्ल मार्क्स की मृत्यु हुई तो उसके पास सिर्फ चौदह लोग थे,
सोचो उन चौदह लोगों ने मार्क्स वाद को पूरे विश्व में फैला दिया और वो छः लाख भक्त घर गये और अगरबत्तिया लगाने लगे।जय भीम बोलकर अपना फर्ज निभाते रहे..
क्योंकि👇
काल मार्क्स की मृत्यु पर जो 14लोग थे वे सच्चे अनुयायी थे
और बाबा साहेब की मृत्यु पर जो 6लाख लोग थे वो भक्तों की भीड़ थी
अगर इन लाखों लोगों ने बाबा साहेब के विचारों का प्रचार प्रसार किया होता तो आज मनुवाद का अंत हो चुका होता
और बाबा साहेब का असली मकसद भी यही था.जय भीम,जय मूलनिवासी
When Dr. Babasaheb died, close to six lakh people were gathered and weeping.
When Karl Marx died, he had only fourteen people,
Think those fourteen people spread the Marx suit all over the world and those six lakh devotees went to the house and started putting incense sticks.
Because👇
The 14 people who died at the death of Kaal Marx were true followers
And on the death of Babasaheb, there were a crowd of 6 lakh people who were devotees
If these millions had propagated Baba Saheb's ideas, then Manuwad would have ended today
And this was the real motive of Baba Saheb.Jai Bhima, Jai Moolniwasi