Government Ahead in Sabotage of Banks

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बैंकों का पलीता लगाने में आगे सरकार
बैंकों को एनपीए के डर से कर्ज देने से इनकार नहीं करना चाहिए : नरेन्द्र मोदी

                                                                   गूगल से ली गई छायाचित्र
मोदी सरकार के कार्यकाल में सबसे ज्यादा सरकारी बैंकों में धोखाधड़ी हुई है. महज एक साल में ही बैंकों को

प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकों और एनबीएफसी के प्रमुखों से कहा है कि उन्हें अपने काम करने के तरीके पर एक बार फिर से गौर करना चाहिए. पीएम मोदी ने क्रेडिट ग्रोथ में कमी को लेकर कहा कि उन्हें सिर्फ एनपीए के डर से कर्ज देने से मना नहीं करना चाहिए और अच्छे प्रस्तावों को स्वीकार किया जाना चाहिए. बुधवार को बैंक प्रमुखों के साथ मीटिंग में पीएम मोदी ने कहा कि बैंक अधिकारी ऋण वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अपने काम के तरीकों पर फिर से गौर करें. उन्होंने कहा कि केवल इस डर से अच्छे प्रस्तावों को लौटाया न जाए कि कर्ज फंस सकता है.
वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए करीब तीन घंटे चली बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंकों के सीईओ और गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के प्रमुख शामिल हुए. प्रधानमंत्री ने इस मीटिंग की जानकारी देते हुए ट्विटर पर लिखा, बैंकों और एनबीएफसी के अधिकारियों के साथ आर्थिक वृद्धि की योजनाओं, उद्यमियों की मदद और अन्य पहलुओं पर व्यापक विचार विमर्श किया. मोदी ने बैंक अधिकारियों से कहा कि वे छोटे उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और किसानों को संस्थागत कर्ज लेने के लिए आगे आने को प्रेरित करें.
पीएम नरेंद्र मोदी के हवाले से एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, प्रत्येक बैंक को आत्ममंथन करने और मजबूत ऋण वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए कामकाज के तौर तरीके पर फिर से गौर करने की जरूरत है. बैंकों को सभी प्रस्तावों को एक ही मानदंड से विचार करने की जरूरत नहीं है और ऋण देने योग्य प्रस्तावों को अलग करने और उन्हें चिन्हित करने की जरूरत है तथा यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें पहले के एनपीए (अवरुद्ध कर्जों) के नाम पर कष्ट भुगतना नहीं पड़े.

बैंकों के साथ मजबूती से खड़ी है सरकार
बयान के अनुसार बैठक में जोर दिया गया कि सरकार बैंक व्यवस्था के पीछे मुस्तैदी से खड़ी है. प्रधानमंत्री ने कहा, बैंकों को केंद्रीय डेटा प्लेटाफार्म, डिजिटल दस्तावेज व्यवस्था, ग्राहकों के मामले में डिजिटल तरीके से सूचना के साझा उपयोग जैसी वित्तीय प्रौद्योगिकी अपनानी चाहिए. इससे कर्ज की पहुंच बढ़ेगी, ग्राहकों के लिए चीजें आसान होगी, बैंकों की लागत कम होगी और धोखाधड़ी पर भी अंकुश लगेगा. उन्होंने कहा कि भारत ने मजबूत, कम लागत वाला बुनियादी ढांचा तैयार किया है जिससे प्रत्येक भारतीय आसानी से किसी भी राशि के डिजिटल लेन-देन कर सकते हैं.

एक साल में बैंकों को लगा 1.48 लाख करोड़ का चूना
रिजर्व बैंक की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, धोखाधड़ी के मामले में सबसे ज्यादा केस एसबीआई में दर्ज किए गए हैं. बैंक में धोखाधड़ी के कुल 6,964 मामले सामने आए, जिससे देश सबसे बड़े सरकारी बैंक को धोखाधड़ी के मामलों से 44,612 करोड़ रुपये का चूना लगा हैं. 18 बैंकों में सामने आए सभी फ्रॉड केस के अनुपात में देखें तो अकेले एसबीआई को ही 30 फीसदी की चपत लगी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब नेशनल बैंक द्वारा एक अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2020 की अवधि में धोखाधड़ी के 395 मामले सूचित किए गए, जिसमें 15,354 करोड़ रुपये की धनराशि शामिल है. इस लिस्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा तीसरे नंबर पर रहा है, जिसमें 349 फ्रॉड केस में 12,586 करोड़ रुपये की चपत लगी है. बता दें कि बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय एक अप्रैल, 2019 से हुआ है. फाइनेंशल ईयर 2019-20 के दौरान यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने 424 मामलों में 9,316 करोड़ रुपये की पूँजी गँवाई है. इसके अलावा बैंक ऑफ इंडिया ने 200 मामलों में 8,069 करोड़ रुपये गंवाए हैं.
साथ ही केनरा बैंक ने 208 मामलों में 7,519.30 करोड़ रुपये, इंडियन ओवरसीज बैंक ने 207 मामलों में 7,275.48 करोड़ रुपये, इलाहाबाद बैंक ने 896 मामलों में 6,973 करोड़ रुपये और यूको बैंक ने 119 मामलों में 5,384 करोड़ रुपये के फ्रॉड की जानकारी दी है. रिजर्व बैंक ने आरटीआई के तहत बताया कि एक अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2020 की अवधि में ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने 329 मामलों में 5,340 करोड़ रुपये, सिंडिकेट बैंक ने 438 मामलों में 4,999 करोड़ रुपये, कॉरपोशन बैंक ने 125 मामलों में 4,816 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 900 मामलों में 3,993 करोड़ रुपये, आंध्रा बैंक ने 115 मामलों में 3,462 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने 413 मामलों में 3,391 करोड़ रुपये, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया ने 87 मामलों में 2,679 करोड़ रुपये, इंडियन बैंक ने 225 मामलों में 2,254 करोड़ रुपये और पंजाब ऐंड सिंध बैंक ने 67 मामलों में 397 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की जानकारी दी है. @Nayak1

 

Government Ahead in Sabotage of Banks

Banks should not refuse loans for fear of NPAs:

Narendra Modi

                                                                  Photograph taken from Google

During the tenure of the Modi government, fraud has occurred in most public sector banks. In just one year, banks have lost Rs 1.48 lakh crore. This case came to light when RTI revealed this, citing RBI. Even after this, Prime Minister Narendra Modi is instructing banks that banks should not refuse to give loans due to fear of NPAs. This shows the intention of the government. The intention of the government is to distribute more and more loans. First the debt is distributed and later this loan is declared NPA by citing non-repayment of debt by the borrowers. So far this has been happening from BJP to Congress government. Two governments have been trying to sabotage public sector banks. Other cases including Vijay Mallya, Nirav Modi, Mehul Choksi are confirming this. It can also be understood from the above figures.

According to the information received, Prime Minister Narendra Modi has told the heads of banks and NBFCs that they should revisit their way of working. PM Modi said that due to lack of credit growth, he should not refuse to give loans just for fear of NPA and good proposals should be accepted. In a meeting with the bank chiefs on Wednesday, PM Modi said that bank officials should revisit their work methods to ensure loan growth. He said that good proposals should not be returned only on the fear that the debt may get stuck.

The CEO of major public sector banks and heads of non-banking financial companies (NBFCs) attended the meeting which lasted for about three hours through video conferencing. Giving information about this meeting, the Prime Minister wrote on Twitter, discussed extensively with banks and NBFC officials on economic growth plans, help to entrepreneurs and other aspects. Modi asked bank officials to motivate small entrepreneurs, self-help groups and farmers to come forward to take institutional loans.

An official statement quoting PM Narendra Modi said, "Every bank needs to revisit the way of functioning to introspect and ensure strong credit growth." Banks do not need to consider all proposals by a single criterion and separate and mark lending proposals and ensure that they do not suffer in the name of earlier NPAs (blocked loans) Lying.

Government stands firmly with banks

According to the statement, it was stressed in the meeting that the government is standing promptly behind the bank system. The Prime Minister said, banks should adopt financial technologies such as central data platform, digital document system, shared usage of information in a digital manner in case of customers. This will increase the penetration of credit, make things easier for customers, reduce the cost of banks and curb fraud. He said that India has built a strong, low-cost infrastructure so that every Indian can easily do digital transactions of any amount.

Banks lost 1.48 lakh crore in a year

According to the information given by the Reserve Bank, the maximum number of cases of fraud have been registered in SBI. A total of 6,964 cases of fraud occurred in the bank, due to which the country's largest state-run bank has lost Rs 44,612 crore from fraud cases. If you look at the ratio of all the fraud cases that have appeared in 18 banks, SBI alone has lost 30 percent.

According to the report, 395 cases of fraud were reported by Punjab National Bank from April 1, 2019 to March 31, 2020, involving an amount of Rs 15,354 crore. Bank of Baroda has been at number three in this list, which has incurred a loss of Rs 12,586 crore in 349 fraud cases. Explain that Vijaya Bank and Dena Bank merged with Bank of Baroda from April 1, 2019. Union Bank of India has lost Rs 9,316 crore in 424 cases during the financial year 2019-20. Apart from this, Bank of India has lost Rs 8,069 crore in 200 cases.

Also, Canara Bank has reported fraud of Rs 7,519.30 crore in 208 cases, Indian Overseas Bank in 207 cases, Rs 7,275.48 crore, Allahabad Bank in 896 cases, Rs 6,973 crore and UCO Bank has reported fraud of Rs 5,384 crore in 119 cases. The Reserve Bank said under RTI that during the period from April 1, 2019 to March 31, 2020, Oriental Bank of Commerce has spent Rs 5,340 crore in 329 cases, Syndicate Bank has Rs 4,999 crore in 438 cases, Corporation Bank has 4,816 crore in 125 cases. Rs, Central Bank of India Rs 3,993 crore in 900 cases, Andhra Bank Rs 3,462 crore in 115 cases, Bank of Maharashtra Rs 3,391 crore in 413 cases, United Bank of India Rs 2,679 crore in 87 cases, Indian Bank 2,254 crore in 225 cases, and Punjab and Sindh Bank has reported fraud of Rs. 397 crore in 67 cases. @ Nayak1

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