India will Lag Behind many Small Countries by Spending 6% of GDP on Education

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एजुकेशन पर जीडीपी का 6 पर्सेंट खर्च करके भी कई छोटे देशों से पीछे रहेगा भारत

गूगल से ली गई छायाचित्र

शिक्षा पर खर्च के मामले में 136वें स्थान पर भारत
केंद्र सरकार ने न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 को मंजूरी देने के साथ ही शिक्षा पर देश की जीडीपी का 6 फीसदी हिस्सा खर्च करने का डंका पीट रही है. लेकिन, हकीकत में इसके उलट ही होने वाला है. अगर मोदी सरकार के बीते लगभग 6 साल के कार्यकाल में देखें तो मोदी सरकार साल दर साल शिक्षा के बजट में लगातार कटौती करते आ रही है. यदि शिक्षा पर खर्च कुल जीडीपी की बात करें तो मोदी सरकार के 2014-15 से लेकर 2019-20 तक 2.8 से लगभग 3 प्रतिशत ही खर्च हुआ है. जबकि, कांग्रेस सरकार भी 2.1 से 3 प्रतिशत से ज्यादा खर्च करने की जहमत नहीं उठाई है. वहीं अब नई शिक्षा लागू कर जीडीपी का 6 प्रतिशत र्खच करने का दम्भ भर रही है. असल में सरकार नई शिक्षा लागू कर सरकार एक तरह से मूलनिवासी बहुजन समाज के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से दूर कर रही है. क्योंकि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत सरकारी स्कूलों में पाँचवीं कक्षा तक अंग्रेजी नहीं पढ़ाई जायेगी, जिससे मूलनिवासी समाज के बच्चे अंग्रेजी शिक्षा से दूर हो जायेंगे. जबकि इसके पहले ही सरकार कक्षा आठवीं तक परीक्षा खत्म कर दिया है. वहीं दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों में एलकेजी से ही अंग्रेजी पढ़ाई जाती है, जिसमें पढ़ने वाले बच्चे सबसे ज्यादा उच्च तत्सम जाति के हैं.

सूत्रों ने बताया कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने शिक्षा के बजट को जीडीपी के 6 पर्सेंट तक किए जाने को मंजूरी दी है.हालांकि, मीडिया भी जोरों शोरों से होहल्ला मचा रहा है. मीडिया बता रहा है कि अब तक यह करीब 4 फीसदी ही रहा करता था, इस लिहाज से देखें तो यह बड़ा इजाफा है. असल में कांग्रेस और बीजेपी के कार्यकाल के इतिहास शिक्षा पर 4 प्रतिशत खर्च किया ही नहीं गया है. अगर आंकड़ा देखें तो 3 प्रतिशत से भी कम खर्च होता रहा है.

                                                                                                                                गूगल से ली गई छायाचित्र

बता दें कि भले ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने शिक्षा पर जीडीपी के 6 फीसदी हिस्से को खर्च करने की बात कही है, लेकिन अब भी यह कई देशों के मुकाबले बहुत कम है. खासतौर पर भारत में शिक्षा और साक्षरता की स्थिति को देखते हुए जिस तरह से सुधार की जरूरत है, उसके मुकाबले यह बजट भी बहुत कम दिखाई देता है.
अगर अन्य देशों की तुलना करें तो क्यूबा, स्वीडन और फिनलैंड जैसे देश शिक्षा पर खर्च के मामले में भारत से कहीं कई गुना आगे हैं. एजुकेशन और हेल्थ को लेकर दुनिया भऱ में चर्चित क्यूबा इस पर जीडीपी का 12.8 पर्सेंट हिस्सा खर्च करता है. वहीं फिनलैंड 6.9 फीसदी, स्वीडन 7.7 पर्सेंट, बोत्सवाना 9.6 पर्सेंट, ब्राजील 6.2 पर्सेंट, बुर्किना फासो 6 फीसदी और पाकिस्तान 2.9 पर्सेंट यह 2017 का आंकड़ा है. इसके अलावा जर्मनी 4.8 फीसदी, इसरायल 5.8 पर्सेंट और यूनाइटेड किंगडम 5.5 पर्सेंट खर्च करते हैं. ये आंकड़े वर्ल्ड बैंक के डाटा पर आधारित है.

खर्च में कंजूसी...साल दर साल शिक्षा बजट में कटौती

                                                                                                                                                  गूगल से ली गई छायाचित्र

शिक्षा पर खर्च के मामले में भारत की स्थिति बहुत ज्यादा संतोषजनक नहीं है. क्योंकि, सरकारें साल दर साल शिक्षा बजट में कटौती करते आ रही हैं. नतीजन शिक्षा पर खर्च के मामले में भारत दुनिया में 136वें स्थान पर जा पहुंचा है. आज शिक्षा को न केवल घटिया स्तर पर पहुंचा दिया है, बल्कि शिक्षा को पूरी तरह से चौपट ही बना दिया गया है. अगर भारतीय शिक्षा पर खर्च होने वाले कुल जीडीपी की बात करें तो 2013-14 में शिक्षा पर कुल जीडीपी का 3.1 प्रतिशत खर्च किया जाता था जो 2014-15 में यही खर्च 2.8 प्रतिशत हो गया. इसी तरह से 2015-16 में यही खर्च 2.4 प्रतिशत पर आ गया. हालांकि, 2016-17 में 2.8 प्रतिशत और 2017-18 में इसमें थोड़ी वृद्धि हुई और यह आंकड़ा 2.9 प्रतिशत पर आ गया है. वहीं 2018-19 में 3 प्रतिशत और 2019-20 में 3.4 प्रतिशत खर्च करने का दावा किया जा रहा है. बताते चलें कि मई, 2019 को जारी सरकार की नई शिक्षा नीति के मसौदे में 2030 तक, कुल सरकारी खर्च के 10 फीसदी से 20 फीसदी तक शिक्षा पर खर्च बढ़ाने का सुझाव दिया गया. लेकिन भारत के वर्तमान शिक्षा बजट में इतनी वृद्धि के लिए कोई धन उपलब्ध नहीं हुआ. बल्कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य और केंद्रीय शिक्षा के वित्त के विश्लेषण के अनुसार, 2015 के बाद से मुद्रास्फ़ीति के सुधार के बाद स्कूली शिक्षा पर
सरकारी खर्च वास्तव में कम हो गया है. @Nayak1

 

 

India will Lag Behind many Small Countries by   Spending 6% of GDP on Education

                                                                                                         Photograph taken from Google

India ranked 136th in terms of spending on education

With the Central Government approving the New Education Policy 2020, the threat of spending 6 percent of the country's GDP on education is beating. But in reality, the opposite is going to happen. If you look at the past six years of the Modi government, then the Modi government has been continuously cutting the education budget year after year. If we talk about the total GDP spent on education, then from 2014-15 to 2019-20 of Modi government, only about 3 percent has been spent from 2.8. However, the Congress government has not even bothered to spend more than 2.1 to 3 percent. 

                                                                             Photograph taken from Google

At the same time, the burden of spending 6 percent of GDP by applying new education is filling up. In fact, by implementing new education, the government is doing away with quality education to the children of the indigenous Bahujan society. Because under the new education policy, English will not be taught in government schools till the fifth grade, so that children of indigenous people will be away from English education. Whereas before this, the government has finished the examination till class VIII. On the other hand, English is taught in private schools only from LKG, in which the children studying are of the highest upper caste caste.

Sources said that the PM Modi-led cabinet has approved raising the education budget to 6% of GDP. However, the media is also making a loud noise. The media is telling that till now it used to be about 4 percent, in this respect, it is a big increase. In fact, 4 percent of the history of the tenure of Congress and BJP has not been spent on education. If you look at the figure, less than 3 percent has been spent.

Explain that even though the Narendra Modi government at the Center has talked about spending 6 percent of GDP on education, it is still much less than many countries. Especially in view of the state of education and literacy in India, this budget also seems very low compared to the way improvement is needed.

Compared to other countries, countries like Cuba, Sweden and Finland are many times ahead of India in terms of spending on education. The world-famous Cuba spends 12.8% of its GDP on education and health. On the other hand, Finland has 6.9 percent, Sweden 7.7 percent, Botswana 9.6 percent, Brazil 6.2 percent, Burkina Faso 6 percent and Pakistan 2.9 percent. Apart from this, Germany spends 4.8%, Israel spends 5.8% and United Kingdom 5.5%. This data is based on the data of the World Bank.

Skirmish in spending ... Education budget cuts year after year

                                                                                                                             Photograph taken from Google

India's position is not very satisfactory in terms of spending on education. Because, governments have been cutting education budget year after year. As a result, India has reached 136th place in the world in terms of spending on education. Today, education has not only been brought to a lousy level, but education has been made completely flat. If we talk about the total GDP spent on Indian education, then in 2013-14, 3.1 percent of the total GDP was spent on education, which in 2014-15 increased to 2.8 percent. Similarly, in 2015-16, the same expenditure came down to 2.4 percent. However, it increased by 2.8 percent in 2016-17 and slightly in 2017-18 and the figure has come down to 2.9 percent. At the same time it is being claimed to spend 3 percent in 2018-19 and 3.4 percent in 2019-20. Let us tell you that in the draft of the new education policy of the government released on May, 2019, by 2030, it was suggested to increase spending on education from 10 percent to 20 percent of the total government expenditure. But no funds were available for such an increase in India's current education budget. Rather according to the analysis of finance of state and central education in the last few years, on schooling after inflation has improved since 2015 Government spending has actually come down. @ Nayak1

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