ये आजादी झूठी है! देश की जनता भूखी है! : अण्णा भाऊ साठे

2

 

ये आजादी झूठी है! देश की जनता भूखी है!

: अण्णा भाऊ साठे

                                           
देश के 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजन समाज को देशकी अजादी के संदर्भ में तकरीबन 73 सालों से झूठा इतिहास पढ़ाया जा रहा है कि 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया. लेकिन, 16 अगस्त 1947 के एक दिन बाद ही लोकशाहीर साहित्य रत्न अण्णाभाऊ साठे ने लाखों लोगों के बीच एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक मंच से एक नारा दिया ‘‘ये आजादी झूठी है, देश की जनता भुखी है’’ अब सवाल है कि आजादी के एक दिन बाद ही अण्णाभाऊ साठे ने यह नारा क्यों दिया था? दूसरा सवाल, अगर 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद नहीं हुआ था तो उस दिन क्या हुआ था? तीसरा सवाल, क्या सचमूच यह अजादी झूठी है?
                 

अगर 15 अगस्त 1947 को आजादी मिल गई तो आजादी के 73 साल बाद भी भारत में इतनी बड़ी विषमता, असमानता, गैरबराबरी, अमीरी और गरीबी क्यों है? एक के पास घी-रोटी तो दूसरा नंगा-भूखा क्यों है? एक धनवान तो दूसरा भिखारी क्यों है? आज भी गांव और देहातों के लोग अंग्रेजों का ही राज ठीक था ऐसा क्यों कहते हैं? मुगल, अंग्रेज, डच, फ्रेंच, पुर्तगाली आदि के राज में तथा कुलबाड़ी भूषण बहुजन प्रतिपालक छत्रपति शिवाजी महाराज के राज में एक भी किसानों ने खुदखुशी की हो, ऐसा सबूत नहीं है. देश के 160 करोड़ जनता को पेट भरने वाला किसान आत्महत्या क्यों कर रहा है? अमर्त्यसेन कहते हैं कि जब दुनिया में उत्पादन 100 रूपये थे, तब उस वक्त भारत का उत्पादन 31 रूपये की हिस्सेदारी थी. आज वही भारत कर्जों की तूफानी धारा में गोते खा रहा है. राजा बली के जमाने में भारत से सोने का धुँआ निकलता था, ऐसा कहा जाता है, आज उसी भारत से आतंकवाद, नक्सलवाद, बम ब्लास्ट के घुएं निकल रहे हैं. सम्राट राजा अशोक के समय में जिस भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, आज वही भारत भिखारी क्यों बन गया है?
 बली राजा के काल में चोरी, डकैती, खून, हत्या और अन्याय-अत्याचार नहीं होते थे, इसलिए पुलिस नहीं थे. लेकिन, आज उसी भारत में पुलिस फोर्स और न्यायालय होकर भी चोरी, डकैती, खून-खराबा झगड़ा, बलात्कार, अन्याय-अत्याचार तथा भ्रष्टाचार क्यों हो रहे हैं? 1947 के पहले, भारत का एक भी व्यक्ति दुनिया के अमीरों की सूची में नहीं था, मगर 1947 के बाद दुनिया के अमीरों की सूची में पहले दस में से तीसरा अमीर भारत में से होता है, ऐसा क्यों? मूलनिवासी किसान अपनी पत्नी के लिए कपड़ा लेना चाहे तो उसे किसी से पैसे उधार लेना होता है, मगर मुकेश अंबानी अपने बीबी के जन्म दिन पर 3500 करोड़ रूपये का हेलिकॉप्टर भेंट देता है कैसे? जिस मुकेश अंबानी का बाप धीरूभाई अंबानी आखाती देश में पेट्रोल पम्प पर पेट्रोल बेचता था, वो दुनिया के अमीरों की लिस्ट में पहले दस अमीरों में से एक है और भारत का दिन-रात खून-पसीना बहाकर मेहनत करने वाला किसान, गरीब के गरीब ही रहता है क्यों? क्या इसी का आजादी कहते हैं. देश की 130 करोड़ जनता का पेट भरने वाला किसान आत्महत्या कर रहे हैं. भारत में सबसे ज्यादा आत्महत्या किसान कर रह हैं, क्या किसी ने कभी पूंजीपति, महंत, नेता और मंत्री को आत्महत्या करते सूना है? क्या इसी को आजादी कहते हैं?
अर्जुन सेन गुप्ता रिपोर्ट-2007 के अनुसार, मूलनिवासी बहुजन समाज के 83 करोड़ लोगों की आमदनी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 6 से 20 रूपये हैं. इसलिए 83 करोड़ लोग गरीबी के कारण भुखमरी के शिकार हैं. जबकि, वर्तमान में सरकार ने जो आंकडे़ जारी किए है उसमें दावा किया गया है कि 27 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर निकल चुके हैं. अगर सरकारी आंकड़ों की माने तो 17 सालों में सिर्फ 27 करोड़ को ही गरीबी के आंकड़ों से बाहर निकाल पाई है. इसका मतलब है कि अभी भी 56 करोड़ लोग गरीबी के कारण भुखमरी की चपेट में हैं. ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2019 में भारत 117 देशों की सूची में 102वें पायदान पर है. यह साबित करता है कि सरकारें गरीबी, भुखमरी के आंकड़े छुपा रही हैं.

                                  
 अगर बेरोजगारी की बात करें तो 30 करोड़ से भी ज्यादा युवक-युवतियाँ बेरोजगारी की आग में जल हैं क्यों? जबकि केवल अप्रैल 2020 में 12 लाख लोग एक ही झटके में बेरेजगार हो गए. 35 लाख लोग से ज्यादा भीख मांग कर जीविका चला रहे हैं, 40 करोड़ से भी ज्यादा लोग आज भी झोपड़पट्टियों में अपना जीवन व्यतीत कर रहे है. करीब 35-40 करोड़ लोगों को शुद्ध पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है. 14 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं, 25 लाख बच्चे रेलवे प्लेटफार्म पर अपनी जिन्दगी काट रहे हैं. भारत में 22.5 करोड़ बच्चे कुपोषित (अर्ध भुखमरी) के शिकार हैं. क्या इसी को आजादी कहते हैं?
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो रिपोर्ट-2019 के अनुसार, भारत ही भारतीय महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बन गया है. यहां हर देश में हर 15 मिनट पर एक महिला के साथ बलात्कार, हर 22 मिनट पर एक महिला के साथ सामुहिक बलात्कार और हर 35 मिनट पर एक बच्ची को हवस का शिकार बनाया जा रहा है. इसके भी सबसे ज्यादा मूलनिवासी महिलाएं हैं. क्या इसी को आजादी कहते हैं?
शासक वर्ग ने देश की आजादी के 73 वर्षो में हजारों साम्प्रदायिक दंगे-फसाद को अंजाम दिया. देश में हर दिन एससी, एसटी, ओबीसी एवं मायनॉरिटी के साथ अन्याय, अत्याचार किए जा रहे हैं. एक तरफ एससी को गोहत्या के झूठे आरोप में हत्या की जा रही है तो दूसरी तरफ आदिवासी को जल-जंगल, जमीन से बेदखल करने के लिए उनको नक्सलवादी के नाम पर उनका सामुहिक नरसंहार किया जा रहा है. यही नहीं मॉबलिंचिंग, आतंकवादी और फर्जी एनकाउंटर की आड़ में मुसलमानों की बेरहमी से कत्ल किया जा रहा है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, देश में मुसलमानों की संख्या 13.5 प्रतिशत है और जेलों में 21 प्रतिशत संख्या है. अभी हाल ही में इकानॉमिक टाइम्स रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में मुसलमानों की संख्या 19 प्रतिशत है, लेकिन एनकाउंटर में मारे गए मुसलमानों की संख्या 37 प्रतिशत है. इसके अलावा सैनिकों को जानबूझकर मौत के मुँह में धकेला जा रहा है. क्या इसी से आजादी कहा जाता है? अगर इसी को आजादी कहा जाता है तो फिर गुलामी किसे कहा जाता है?
उपरोक्त सभी सवालों का केवल एक जवाब है कि 1947 को जो आजादी मिली थी वह तथाकथित आजादी थी. वह आजादी केवल ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों की आजादी थी. आज भी एससी, एसटी, ओबीसी और इनसे धर्म परिवर्तित मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और लिंगायत के लोग गुलाम हैं. क्योंकि भारत में कोई भी आजादी का कानून पारित नहीं हुआ था बल्कि विदेशी अंग्रेजों ने, विदेशी यूरेशियन ब्राह्मणों के हाथ में ट्रांसफर ऑफ पॉवर अर्थात सत्ता का, हस्तांतरण बिल पारित किया गया था. इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि 15 अगस्त 1947 का दिन आजादी का दिन नहीं, बल्कि ट्रांसफर ऑफ पॉवर का दिन है, जिसे आज तक इस देश के मूलनिवासियों से छुपाया जाता रहा है. जब तक 15 अगस्त 1947 के आजादी पर से बहुजन समाज का विश्वास नहीं खत्म होता, तब तक वह दूसरे आजादी के आंदोलन में सरीक नहीं होगें और जब तक वह सरीख नहीं होगे, तब तक दूसरे आजादी का आंदोलन चलाना संभव नहीं है.

इसलिए आधुनिक भारत में मूलनिवासी बहुजन समाज को ब्राह्मणों की गुलामी से आजाद करने के लिए बामसेफ आजादी का आंदोलन चला    रहा है. मूलनिवासी बहुजन समाज के सामने आज बहुत-सी समस्याएं हैं, ये सारी समस्याएं शासक वर्ग यूरेशियन ब्राह्मणों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से निर्माण की गई है। इन हजारों समस्याआें में वर्ण व्यवस्था, जाति-व्यवस्था, अस्पृश्यता, आदिवासियों का अलगीकरण, धर्मांतरों की असुरक्षितता जैसी समस्याएं हैं. तथा इनमें से एक महत्वपूर्ण और अधिक तीव्र समस्या गुलामगिरी है और उसका समाधान मात्र आजादी है.  इसलिए बामसेफ द्वारा चलाए जा रहे इस आजादी के आंदोलन में शामिल होकर अपनी गुलामी को खत्म करने के लिए साथ सहयोग करें.
जय मूलनिवासी!@Nayak1

 

 

 

 

This Freedom is False! The country's people are Hungry!

: Anna Bhau Sathe

In the context of the country's independence, 85 percent of the indigenous Bahujan society has been taught false history for nearly 73 years that India became independent on 15 August 1947.But, just a day after 16 August 1947, Lokshahir Sahitya Ratna Annabhau Sathe gave a slogan from a public forum during an event among millions of people, "This freedom is false, the people of the country are hungry". Why did Annabhau Sathe give this slogan a day later?Second question, if India was not free on 15 August 1947, what happened on that day? Third question, is this truth really false?

                   

 If independence was achieved on 15 August 1947, why is there so much inequality, inequality, inequality, wealth and poverty in India even after 73 years of independence?One has ghee-roti and the other one nude-Why is it hungry? Why is one rich then another beggar?Why do the people of the village and countryside still say that the rule of the British was right?There is no evidence that even a single farmer committed suicide in the rule of Mughal, English, Dutch, French, Portuguese etc. and under the rule of Kulbadi Bhushan Bahujan Pratapati Chhatrapati Shivaji Maharaj.Why is the farmer committing suicide to feed 160 million people of the country? Amartyasen says that when the production in the world was 100 rupees, then India's production was a share of Rs 31. Today, India is eating dives in a stormy stream of debts.In the era of King Bali, gold smoke came out of India, it is said, Today terrorism, Naxalism, bomb blasts are coming out of the same India.In the time of Emperor King Ashoka, the India which was called the golden bird,Why has the same India become a beggar today?

During the reign of Bali Raja, there was no theft, robbery, blood, murder and injustice-atrocities, so there were no police.But today, despite the police force and court in the same India, why are theft, robbery, bloodshed, rape, injustice, atrocities and corruption happening? Before 1947, not a single person from India was in the list of world's rich, but after 1947, the third of the first ten in the list of world's rich is among the richest India, why?The indigenous farmer wants to borrow clothes for his wife, so he has to borrow money from someone,But how does Mukesh Ambani give a helicopter worth Rs 3500 crore on his Bibi's birthday?Mukesh Ambani, whose father Dhirubhai Ambani used to sell petrol at a petrol pump in the Akhti country, is one of the first ten rich in the list of the rich and the hard working farmer of India, day and night, poor only Why remains?Is this what freedom is called? Farmers who feed 130 million people of the country are committing suicide. Farmers are committing the most suicides in India, has anyone ever heard of the bourgeoisie, the Mahant, the leader and the minister committing suicide? Is this called independence? According to Arjun Sen Gupta Report-2007, the income of 83 crore people of the Moolivasi Bahujan Samaj is 6 to 20 rupees per person per day.Hence 83 crore people are victims of starvation due to poverty.Whereas, at present the data released by the government has claimed that 27 crore people have got out of poverty.If the government figures are considered, then in 17 years, only 27 crore have been taken out of poverty figures.This means that 56 crore people are still hungry due to poverty.India ranks 102nd in the list of 117 countries in the Global Hunger Index-2019.This proves that governments are hiding the figures of poverty, hunger.

If we talk about unemployment then more than 30 crore young men and women are burning in the fire of unemployment. Why? Whereas in April 2020 only 1.2 million people became unemployed in one stroke. More than 35 lakh people are making a living by begging, more than 40 crore people are still living their lives in slums. About 35-40 crore people are not getting pure drinking water. 14 crore children are doing child labor, 25 lakh children are cutting their lives on the railway platform. In India, 22.5 crore children are victims of undernourished (semi-starvation). Is this called independence?

                                     

According to the National Crime Records Bureau Report-2019, India has become the most vulnerable country for Indian women. Here in every country every 15 minutes a woman is raped, every 22 minutes a woman is raped and every 35 minutes a girl is being made a victim of lust. Also, most of the indigenous people are women. Is this called independence?

The ruling class carried out thousands of communal riots and disturbances in the 73 years of the country's independence. Everyday injustice, atrocities are being done to the SC, ST, OBC and minorities in the country. On the one hand, SC is being murdered on the false charge of cow slaughter, on the other hand, they are being massacred in the name of Naxalites to oust tribal from water, forest and land. Not only this, under the guise of mobilizing, terrorists and fake encounters, Muslims are being brutally murdered. According to an India Today report, the number of Muslims in the country is 13.5 percent and jails are 21 percent. According to a recent Economic Times report, the number of Muslims in UP is 19 percent, but the number of Muslims killed in the encounter is 37 percent. Apart from this, the soldiers are being deliberately pushed to death. Is this called independence? If this is called independence, then who is called slavery?

The only answer to all the above questions is that the freedom gained in 1947 was the so-called independence. That freedom was only the freedom of Brahmins, Kshatriyas and Vaishyas. Even today, people of SC, ST, OBC and converted Muslims, Sikhs, Christians, Buddhists, Jains and Lingayats are slaves. Because no independence law was passed in India, rather the foreign British, the transfer bill of power, ie the transfer of power, was passed in the hands of foreign Eurasian Brahmins. Therefore, it can be said that 15 August 1947 is not a day of independence, but a day of transfer of power, which has been hidden from the indigenous people of this country till date. Till the independence of 15 August 1947, the faith of the Bahujan society does not end, it will not be like the second freedom movement and until it is like that, it is not possible to run another freedom movement.

Therefore, to liberate the indigenous Bahujan society from slavery of Brahmins in modern India, BAMCEF is running the freedom movement. There are many problems facing the indigenous Bahujan society today, all these problems are planned by the ruling class Eurasian Brahmins. Among these thousands of problems, there are problems like varna system, caste-system, untouchability, alienation of tribals, insecurity of religions. And one of the more important and more acute problem is slavery and the only solution is freedom. Therefore, join this freedom movement being run by BAMCEF and cooperate with them to end their slavery.

Jai Moolniwasi! @ Nayak1

 

हे स्वातंत्र्य खोटे आहे!  देशातील लोक भुकेले आहेत!

: अण्णा भाऊ साठे

देशातील 85 देशाच्या स्वातंत्र्याच्या संदर्भात टक्केवारीत बहुसंख्य समाज 73 वर्षांपासून खोटा इतिहास शिकविला जात आहे की 15ऑगस्ट 1947 रोजी भारत स्वतंत्र झाला. परंतु,16 ऑगस्ट 1947 लोकशाहीर साहित्यरत्न अण्णाभाऊ साठे यांनी कोट्यवधी लोकांमधील कार्यक्रमात सार्वजनिक व्यासपीठावरुन घोषणा दिल्या की हे स्वातंत्र्य खोटे आहे, देशाचे लोक भुकेले आहेत. आता प्रश्न हा आहे की स्वातंत्र्यानंतरच्या फक्त एक दिवसानंतर साठे यांनी ही घोषणा का दिली? दुसरा प्रश्न, जर 15 ऑगस्ट 1947 रोजी भारत मुक्त नव्हता, मग त्या दिवशी काय झाले? तिसरा प्रश्न, हे सत्य खरोखरच खोटे आहे काय?

                         

15 असल्यास ऑगस्ट 1947स्वातंत्र्य तर 73वर्षानुवर्षे भारतात इतकी असमानता, विषमता, असमानता, संपत्ती आणि दारिद्र्य का आहे?एकाला तूप-रोटी आणि दुसर्‍याकडे आहे, नग्न-हे भुकेला का आहे?एक श्रीमंत दुसरा भिकारी का आहे?'ब्रिटीशांचे शासन ठीक होते' असे गाव व ग्रामीण भागातील लोक अजूनही का म्हणत आहेत?मुगल, इंग्रजी, डच, फ्रेंच, पोर्तुगीज इत्यादी आणि कुलबदीभूषण बहुजन प्रतापपती छत्रपती शिवाजी महाराजांच्या राजवटीत एका शेतक शेतकरीत्याने आत्महत्या केल्याचा पुरावा नाही.देशातील 160 कोट्यवधी लोकांना भरणारा शेतकरी आत्महत्या का करीत आहे?अमर्त्यसेन म्हणतात की जेव्हा जागतिक उत्पादन 100 रुपये होते, तेव्हा त्यावेळी भारताचे उत्पादन 31 होते रुपया वाटला.आज कर्जाच्या वादळाच्या प्रवाहात भारत डुबकी खात आहे.राजा बालीच्या काळात सोन्यापासून धूर भारतातून येत असे, असे म्हणतात.आज त्याच भारतामधून दहशतवाद, नक्षलवाद, बाँबस्फोट बाहेर येत आहेत.सम्राट राजा अशोकच्या काळात, भारत ज्याला सोन्याचे पक्षी म्हटले जात असे,आज त्याच भारत भिखारी का झाला आहे?

बाली राजाच्या कारकिर्दीत चोरी, दरोडे, रक्त, खून आणि अन्याय-अत्याचार नव्हते म्हणून पोलिस नव्हते. पण आज त्याच भारतात पोलिस दल आणि कोर्ट असूनही चोरी, दरोडे, रक्तपात, बलात्कार, अन्याय, अत्याचार आणि भ्रष्टाचार का होत आहेत? 1947 यापूर्वी, भारतातील एकही व्यक्ती जगातील श्रीमंतांच्या यादीत नव्हता, परंतु 1947 जगातील श्रीमंतांच्या यादीतील पहिल्या दहापैकी तिसर्‍यानंतर श्रीमंत हे भारताचेच आहेत, का? मूळ शेतकर्‍याला आपल्या पत्नीसाठी कपडे घ्यायचे असतील तर त्याने कोणाकडून पैसे घ्यावे लागतात, परंतु मुकेश अंबानी आपल्या बीबीच्या वाढदिवशी 3500 कोटी रुपयांचे हेलिकॉप्टर देतात. मुकेश अंबानी, ज्यांचे वडील धीरूभाई अंबानी अख्ती देशातील पेट्रोल पंपावर पेट्रोलची विक्री करीत असत, ते दिवस-रात्र, गरीब-गरीब, श्रीमंत आणि कष्टकरी शेतकरी यांच्या यादीत पहिल्या दहा श्रीमंतांपैकी एक होते. का राहते? यालाच स्वातंत्र्य म्हणतात काय? देशातील 130कोट्यवधी लोकांना खायला घालणारे शेतकरी आत्महत्या करीत आहेत. शेतकरी भारतात सर्वाधिक आत्महत्या करीत आहेत, भांडवलदार, महंत, नेते आणि मंत्री आत्महत्या केल्याचे कोणी ऐकले आहे का? याला स्वातंत्र्य म्हणतात का?अर्जुन सेन गुप्ता रिपोर्ट 2007 स्वदेशी बहुजन समाज 83 नुसार दररोज कोट्यावधी लोकांचे उत्पन्न 6 ते 20 रुपये आहे. तर 83 गरिबीमुळे कोट्यावधी लोक भुकेले आहेत. तर, सध्या सरकारने जाहीर केलेल्या आकडेवारीत दावा केला आहे की 27 कोट्यावधी लोक गरीबीतून बाहेर पडले आहेत. जर सरकारी आकडेवारीवर विश्वास ठेवला गेला तर, 17 वर्षात केवळ 27 कोटी लोकांना दारिद्र्याच्या आकडेवारीतून बाहेर काढता आले आहे. याचा अर्थ असा की गरिबीमुळे 56 कोटी लोक अजूनही भुकेले आहेत. ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2019.117 देशांच्या यादीत भारत 102 व्या स्थानावर आहे. हे सिद्ध करते की सरकार गरिबी, उपासमारीची आकडेवारी लपवत आहेत.

जर आपण बेरोजगारीबद्दल बोललो तर 30 कोटीहून अधिक तरूण आणि स्त्रिया बेरोजगारीच्या आगीत जळत आहेत. का? तर एप्रिल २०२० मध्ये एका झटक्यात केवळ १२ दशलक्ष लोक बेरोजगार झाले. भीक मागून 35 लाखाहून अधिक लोक आपले जीवन निर्वाह करीत आहेत, 40 कोटीहून अधिक लोक झोपडपट्टीत अजूनही आपले जीवन व्यतीत करत आहेत. सुमारे 35-40 कोटी लोकांना शुद्ध पिण्याचे पाणी मिळत नाही. 14 कोटी मुले बालमजुरी करीत आहेत, 25 लाख मुले रेल्वे प्लॅटफॉर्मवर आपले जीवन कापत आहेत. भारतात 22.5कोटी मुले कुपोषित (अर्ध्या भुकेने) बळी पडतात. याला स्वातंत्र्य म्हणतात का?नॅशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्युरो रिपोर्ट-2019 भारताच्या मते, भारत हा भारतीय महिलांसाठी सर्वात असुरक्षित देश बनला आहे. येथे प्रत्येक देशात प्रत्येक 15 मिनिटांवर महिलेवर बलात्कार, दर 22 मिनिटांनी आणि दर 35 मिनिटांनी एका महिलेवर सामूहिक बलात्कार एका क्षणी एका मुलीला वासनेचा बळी दिला जात आहे. तसेच, बहुतेक स्वदेशी लोक स्त्रिया आहेत. याला स्वातंत्र्य म्हणतात का?

                                  

देशाच्या स्वातंत्र्याच्या 73 वर्षात सत्ताधारी वर्गाने हजारो जातीय दंगल आणि गडबड केली. देशातील एससी, एसटी, ओबीसी आणि अल्पसंख्याकांवर दररोज अन्याय, अत्याचार होत आहेत. एकीकडे गोवंशाच्या हत्येच्या चुकीच्या आरोपावरून एससीची हत्या केली जात आहे, तर दुसरीकडे आदिवासींना पाणी, जंगल आणि जमीन हद्दपार करण्यासाठी नक्षलवाद्यांच्या नावाने त्यांची हत्या केली जात आहे. एवढेच नाही तर जमवाजमव, दहशतवादी आणि बनावट चकमकीच्या आडखाली मुस्लिमांची निर्घृण हत्या केली जात आहे. इंडिया टुडेच्या अहवालानुसार देशात मुस्लिमांची संख्या13.5 टक्के आणि तुरूंगांत २१ टक्के आहे. नुकत्याच झालेल्या इकॉनॉमिक टाइम्सच्या अहवालानुसार उत्तर प्रदेशातील मुस्लिमांची संख्या 19 आहे टक्के, पण चकमकीत ठार झालेल्या मुस्लिमांची संख्या 37 टक्के आहे. या व्यतिरिक्त सैनिकांना जाणीवपूर्वक मृत्यूच्या दिशेने ढकलले जात आहे. याला स्वातंत्र्य म्हणतात का? याला स्वातंत्र्य म्हटले तर गुलामी कोणाला म्हणतात?

वरील सर्व प्रश्नांचे उत्तर एकच आहे की 1947 मध्ये प्राप्त स्वातंत्र्य म्हणजे तथाकथित स्वातंत्र्य होते. ते स्वातंत्र्य फक्त ब्राह्मण, क्षत्रिय आणि वैश्य यांचे स्वातंत्र्य होते. आजही एससी, एसटी, ओबीसी आणि धर्मांतरित मुस्लिम, शीख, ख्रिश्चन, बौद्ध, जैन आणि लिंगायतचे लोक गुलाम आहेत. कारण भारतात कोणताही स्वातंत्र्य कायदा संमत झाला नाही, तर परकीय ब्रिटीशांनी सत्ता हस्तांतरण विधेयक अर्थात सत्ता हस्तांतरण हे परदेशी युरेसियन ब्राह्मणांच्या हाती मंजूर केले. तर असे म्हणता येईल की 15 ऑगस्ट1947स्वातंत्र्याचा दिवस हा स्वातंत्र्याचा दिवस नाही तर सत्ता हस्तांतरणाचा दिवस आहे जो आजपर्यंत या देशातील आदिवासींपासून लपलेला आहे.15 पर्यंत ऑगस्ट1947बहुजन समाजाचा विश्वास लोकांच्या स्वातंत्र्यावर संपत नाही, तोपर्यंत ते दुसर्‍या स्वातंत्र्य चळवळीत येणार नाहीत आणि जोपर्यंत ते तसे होत नाहीत तोपर्यंत दुसरी स्वातंत्र्य चळवळ चालवणे शक्य नाही.

म्हणूनच, आधुनिक भारतात ब्राह्मणांच्या गुलामगिरीतून देशी बहुजन समाजाला मुक्त करण्यासाठी बामसेफ स्वातंत्र्य चळवळ चालवत आहे. देशी बहुजन समाजासमोर आज बरीच समस्या आहेत, या सर्व समस्या सत्ताधारी वर्ग यूरेशियन ब्राह्मणांनी आखल्या आहेत. या हजारो समस्यांमधे वर्ण व्यवस्था, जात-व्यवस्था, अस्पृश्यता, आदिवासींचे अलगाव, धर्मांची असुरक्षितता अशा समस्या आहेत. आणि सर्वात महत्वाची आणि अधिक तीव्र समस्यांपैकी एक म्हणजे गुलामगिरी आणि एकमेव निराकरण म्हणजे स्वातंत्र्य. म्हणूनच, बामसेफ द्वारा चालवल्या जाणार्‍या या स्वातंत्र्यलढ्यात सामील व्हा आणि गुलामगिरी संपवण्यासाठी त्यास सहकार्य करा.

जय मूलनिवासी! @ Nayak1

 Thank you for Google

 

Post a Comment

2 Comments
  1. जय भीम। जय संविधान ।
    मुलनिवासी समाज बंटा हुआ है। इसका सीधा लाभ मनुवादियों को हो रहा है। जब तक मुलनिवासी समाज एक मंच पर इक्कट्ठा नहीं होता है। तब तक गरीबी व भुखमरी नहीं जा सकती है। और मुलनिवासियों का शोषण होता रहेगा।

    इसलिए मुलनिवासियों को एक मंच पर इक्कट्ठा होने की जरुरत है। तभी गरीबी भुखमरी शोषण व गुलामी से आजादी मिल सकती है।

    ReplyDelete
Post a Comment
To Top