Number of Muslims less in UP,More number of Muslims killed in encounter

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यूपी में मुस्लिमों की संख्या कमएनकाउंटर में 
    मारे गए मुस्लिमों की संख्या ज्यादा

 

 

 

 

 

तीन साल में यूपी पुलिस ने किए 6,476 एनकाउंटर्स, मरने वालों में 37 फीसदी मुस्लिम

कई साल पहले इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें खुलासा किया गया था कि जनगणना 2001 के मुताबिक, देश में मुसलमानों की संख्या 13.4 प्रतिशत है, जबकि, दिसंबर, 2011 के एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, जेलों में इनकी संख्या 21 प्रतिशत है. लेकिन इसी बीच यूपी से आई इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट ने चौंका दिया है. इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि जनगणना 2011 के मुताबिक, सूबे में मुसलमानों की संख्या 19 प्रतिशत है, लेकिन पुलिस एनकाउंटर में मरने वाले मुसलमानों की संख्या 37 प्रतिशत है. यानी देश में सबसे ज्यादा मुसलमानों को टारगेट किया जा रहा है और उनको मौत के घाट उतारा जा रहा है.
गौरतलब है कि सूबे में जब से बीजेपी की योगी सरकार बनी है तब से न केवल हत्या, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, दबंगई, गुंडागर्दी, डकैती आदि की घटनाएं बढ़ी हैं, बल्कि सूबे के मुसलमानों को एनकाउंटर के नाम पर मौत के घाट भी उतारा जा रहा है. आपराधिक घटनाओं के मामलों में यूपी अन्य राज्यों को कोसों दूर छोड़ दिया है. यही नहीं एनकाउंटर के मामलों में भी यूपी की पुलिस सबसे आगे चल रही है. भले ही एनकाउंटर पूरी तरह से फर्जी ही क्यों न हो. इसमें एक और चौंकाने वाली बात है कि इन एनकाउंटर में मरने वाले सबसे ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोग हैं. इससे तो यही लगता है कि सूबे की योगी सरकार एनकाउंटर की आड़ में सूबे के मुसलमानों की हत्या कर रही है.
इकनॉमिक टाइम्स की जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एनकाउंटर में मारे गए लोगों में लगभग 37 प्रतिशत मुस्लिम थे. इकनॉमिक टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने पिछले तीन सालों में 6,476 एनकाउंटर किए हैं, जिनमें मारे गए 37 प्रतिशत लोग मुस्लिम थे. जबकि यूपी में अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी मात्र 19 फीसदी है. रिपोर्ट में दिये गए डेटा के अनुसार, 6,476 से अधिक मुठभेड़ों में मारे गए 125 व्यक्तियों में से लगभग 47 लोग मुस्लिम है. हालांकि, इन एनकाउंटर्स में अब तक 13 पुलिसकर्मियों की मौत हो चुकी है और लगभग 941 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. इनमें से अधिकांश मुठभेड़ पश्चिमी यूपी से जुड़े मामलों में हुई हैं, जिनमें शामली, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर शामिल हैं. पुलिस रिकॉर्ड से यह भी पता चला कि इन मुठभेड़ों में 13,837 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें 2,419 आरोपी घायल भी हुए हैं.
रिपोर्टके मुताबिक, 2020 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अब तक एनकाउंटर में 21 लोगों को मार गिराया है. गैंगस्टर विकास दुबे से जुड़े तीन मामलों के अलावा मरने वाले अन्य आरोपी मुजफ्फरनगर, अलीगढ़, बहराइच, मेरठ, बरेली, वाराणसी और बस्ती के थे. यहां पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि यूपी में आतंकी विकास दुबे का आतंक बहुत पहले से चल रहा था, यह बात सरकार भी जानती थी. उस वक्त उसका एनकाउंटर क्यों नहीं किया गया? क्या इसलिए की वह सरकार की नजरों में अपराधी नहीं, ब्राह्मण था? योगी सरकार की मानसिकता यह दर्शाती है कि अगर आतंकी विकास दुबे 20 पुलिस कर्मियों की हत्या नहीं किया होता तो शायद योगी सरकार उसका एनकाउंटर नहीं करती. असल में जब से सूबे में योगी सरकार बनी है तब से सूबे के मुसलमानों को ज्यादा टारगेट किया जा रहा है. इस बात की गवाही आंकड़े दे रहे हैं.
अगर इन आंकड़ों पर गौर करें तो योगी सरकार के आने के बाद पहले साल में 45 लोगों को पुलिस एनकाउंटर में मारा गया, जिनमें से 16 मुस्लिम थे. वहीं मार्च 2017 के बाद से, सबसे अधिक जांच जो मुठभेड़ों का कारण बनीं, वे मेरठ, आगरा और बरेली में दर्ज आपराधिक मामलों की हैं, इसके बाद कानपुर, नोएडा, वाराणसी और प्रयागराज शामिल हैं. वहीं अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक योगी राज में सबसे ज्यादा एनकाउंटर मेरठ और आगरा में हुए हैं. मेरठ में कुल 2070 मुठभेड़ों में पुलिस ने 3792 अपराधी गिरफ्तार किए. इनमें से 1159 गोली लगने से घायल हुए, जबकि 59 को पुलिस ने मौके पर ही मार गिराया. इसके बाद आगरा में 1422 एनकाउंटर्स किए गए. इस दौरान 3693 अपराधी गिरफ्तार हुए, जबकि 134 गोली लगने से घायल हुए. पुलिस ने आगरा में 11 अपराधियों को ढेर कर दिया. @ Nayak1

 

 Number of Muslims less in UP,More

number of Muslims killed in encounter

UP Police has 6,476 Encounters in three years,37 percent Muslims among those who died

Several years ago a report by India Today came out which revealed that according to the census 2001, the number of Muslims in the country is 13.4 percent, while, according to the NCRB data of December 2011, they number 21 percent in jails. . But meanwhile, the Economic Times report from UP has shocked. It has been revealed in this report that according to the census 2011, the number of Muslims in the province is 19 percent, but the number of Muslims who died in the police encounter is 37 percent. That is, the maximum number of Muslims in the country is being targeted and they are being killed.

Significantly, since the BJP's Yogi government was formed in the state, not only incidents of murder, rape, gang rape, bullying, hooliganism, dacoity etc. have increased,Rather, Muslims of the state are also being put to death in the name of an encounter.

In cases of criminal incidents, UP has left other states far away. Not only this, UP police is also leading in the cases of encounters.Even if the encounter is completely fake.Another surprising thing in this is that the most people who died in these encounters are from the Muslim community.From this, it seems that the Yogi government of the state is killing Muslims of the province under the cover of the encounter.

According to a report released by The Economic Times, in the last three years, about 37 percent of the people killed in the encounter by Uttar Pradesh Police were Muslims.According to an Economic Times report, the police have conducted 6,476 encounters in the last three years, in which 37 percent of the people killed were Muslims.Whereas the population of minority community in UP is only 19 percent.According to the data given in the report, out of 125 persons killed in more than 6,476 encounters, about 47 are Muslim.However, 13 policemen have died and around 941 policemen have been injured in these encounters so far.Most of these encounters have taken place in cases related to Western UP, including Shamli, Aligarh, Muzaffarnagar and Saharanpur.Police records also revealed that 13,837 people were arrested in these encounters, in which 2,419 accused were also injured.

According to the report, in 2020, Uttar Pradesh police have killed 21 people in an encounter so far. Apart from the three cases related to gangster Vikas Dubey, the other accused who died were from Muzaffarnagar, Aligarh, Bahraich, Meerut, Bareilly, Varanasi and Basti.The biggest question here is that the terror of terrorist Vikas Dubey was going on in UP from a long time,The government also knew this. Why was he not confronted at that time? Is it because he was a Brahmin, not a criminal in the eyes of the government?The mindset of the Yogi government shows that if 20 police personnel had not been killed by terrorist Vikas Dubey, then perhaps the Yogi government would not have made an encounter.In fact, ever since the Yogi government has been formed in the state, the Muslims of the state are being targeted more. The figures are giving testimony to this fact.

If you look at these figures, then in the first year after the arrival of the Yogi government, 45People were killed in a police encounter16 of which were Muslims. March 2017 since from,Most investigations that led to encounters,They are criminal cases registered in Meerut, Agra and Bareilly, followed by Kanpur, Noida, Varanasi and Prayagraj. At the same time, according to other media reports, the most encounters in Yogi Raj were in Meerut and Agra.The police arrested 3792 criminals in a total of 2070 encounters in Meerut.Of these, 1159 were injured due to bullet injuries, while 59 were killed on the spot by the police.After this, 1422 encounters were done in Agra. During this time 3693 criminals were arrested,While 134 were injured due to bullet injuries. Police killed 11 criminals in Agra. @ Nayak1

 

 Marathi

उत्तर प्रदेशात मुस्लिमांची संख्या कमी,चकमकीत (एनकाउंटर)ठार झालेल्या मुस्लिमांची संख्या जास्त

यूपी पोलिसात तीन वर्षात 6,476 एनकाउंटर आहेत,

मृत्यू पावलेल्या मुस्लिमांपैकी 37 टक्के

 बर्‍याच वर्षांपूर्वी इंडिया टुडे कडून एक अहवाल आला,२००१ च्या जनगणनेनुसार,देशात मुस्लिमांची संख्या 13.4 टक्के, तर, डिसेंबर २०११ च्या एनसीआरबीच्या आकडेवारीनुसार, तुरूंगात त्यांची संख्या २१ टक्के आहे. पण दरम्यान, यूपीच्या इकॉनॉमिक टाइम्सच्या अहवालात धक्का बसला आहे. २०११ च्या जनगणनेनुसार या प्रांतातील मुस्लिमांची संख्या या अहवालात समोर आली आहे19 टक्के, परंतु पोलिस चकमकीत मरण पावलेल्या मुस्लिमांची संख्या 37 टक्के आहे. म्हणजेच, देशातील जास्तीत जास्त मुस्लिमांना लक्ष्य केले जात आहे आणि त्यांना ठार केले जात आहे.

विशेष म्हणजे, राज्यात भाजपचे योगी सरकार स्थापन झाल्यापासून केवळ खून, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार,दबंगई,गुंडगिरी,गुंडगिरी, दरोडा इत्यादी घटनांमध्ये वाढ झाली आहे,उलट, चकमकीच्या नावाखाली राज्यातील मुस्लिमांनाही ठार मारण्यात येत आहे.गुन्हेगारीच्या घटनांमध्ये उत्तर प्रदेशने इतर राज्ये दूरच सोडली आहेत. इतकेच नव्हे तर चकमकीच्या घटनांमध्येही यूपी पोलिस आघाडीवर आहे.जरी एन्काऊंटर पूर्णपणे बनावट असेल.यामध्ये आणखी एक आश्चर्यकारक बाब म्हणजे या चकमकींमध्ये मरण पावले गेलेले बहुतेक लोक मुस्लिम समाजातील आहेत.त्यातून असे दिसते की राज्याचे योगी सरकार चकमकीच्या आश्रयाने प्रांतातील मुस्लिमांची हत्या करीत आहे.

इकॉनॉमिक टाइम्सने प्रसिद्ध केलेल्या वृत्तानुसार, गेल्या तीन वर्षांत उत्तर प्रदेश पोलिसांनी केलेल्या चकमकीत ठार झालेल्यांपैकी सुमारे 37 टक्के लोक मुस्लिम होते. इकॉनॉमिक टाइम्सच्या अहवालानुसार, पोलिसांनी गेल्या तीन वर्षात 6,476 चकमकी आयोजित केल्या आहेत, ज्यात ठार झालेल्या लोकांपैकी 37 टक्के मुस्लिम होते. तर यूपीमधील अल्पसंख्याक समाजाची लोकसंख्या केवळ १ 19 टक्के आहे. अहवालात दिलेल्या आकडेवारीनुसार, 6,476 पासून 125 अधिक चकमकींमध्ये ठार

सुमारे 47 जण मुस्लिम आहेत. तथापि, या चकमक आतापर्यंत आहेत 13 पोलिसांचा मृत्यू झाला आहे आणि जवळपास 941 पोलिस जखमी आहेत. यातील बहुतेक चकमकी पश्चिम यूपीशी संबंधित आहेत ज्यात शामली, अलिगड, मुझफ्फरनगर आणि सहारनपूर यांचा समावेश आहे. पोलिस अभिलेखांमधून असेही समोर आले आहे की या चकमकींमध्ये 13,837 लोकांना अटक करण्यात आली होती, ज्यात 2,419 आरोपी जखमीही झाले आहेत.

अहवालानुसार, २०२० मध्ये उत्तर प्रदेश पोलिसांनी आतापर्यंत झालेल्या चकमकीत २१ जणांचा बळी घेतला आहे.गुंड विकास दुबे यांच्याशी संबंधित तीन खटल्यांखेरीज अन्य मृत्यू झालेल्या आरोपींमध्ये मुजफ्फरनगर, अलिगड, बहराईच, मेरठ, बरेली, वाराणसी आणि बस्ती येथील रहिवासी आहेत.येथे सर्वात मोठा प्रश्न असा आहे की यूपीमध्ये बराच काळ दहशतवादी विकास दुबेचा दहशतवाद चालू होता,सरकारलाही हे माहित होते. त्यावेळी त्याचा सामना का झाला नाही? तो सरकारच्या दृष्टीने गुन्हेगार नसून तो ब्राह्मण होता म्हणून?योगी सरकारची मानसिकता दर्शवते की जर 20 पोलिस कर्मचारी दहशतवादी विकासने मारले नसते तर कदाचित योगी सरकारने चकमक केली नसती.वास्तविक, जेव्हापासून राज्यात योगी सरकार स्थापन झाले आहे, तेव्हापासून राज्यातील मुस्लिमांना अधिक लक्ष्य केले जात आहे. आकडेवारी या वस्तुस्थितीची साक्ष देत आहे.

जर आपण ही आकडेवारी पाहिली तर योगी सरकारच्या आगमनानंतर पहिल्याच वर्षी 45 पोलिस चकमकीत लोक ठार झाले, त्यापैकी 16 मुस्लिम होते. तेथे मार्च 2017 त्यानंतर, चकमकी घडवून आणणा-या सर्वात तपासात मेरठ, आग्रा आणि बरेली येथे कानपूर, नोएडा, वाराणसी आणि प्रयागराजमध्ये गुन्हे दाखल आहेत. त्याचबरोबर अन्य माध्यमांच्या वृत्तानुसार योगी राजातील सर्वाधिक चकमकी मेरठ आणि आग्रा येथे झाली. मेरठ मध्ये एकूण2070 चकमकीत पोलिसांनी 3792 गुन्हेगारांना अटक केली. त्यापैकी 1159 गोळ्या जखमींमुळे जखमी झाले, तर 59 जागीच पोलिस ठार झाले. यानंतर आग्रा येथे 1422 एनकाउंटर झाले. दरम्यान 3693 गुन्हेगारांना अटक तर 134 गोळी लागल्यामुळे जखमी झाले. आग्रा येथे पोलिसांनी 11 गुन्हेगारांना ठार केले. @ Nayak1

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