कांग्रेस-बीजेपी की सरकार में किसानों की दुर्दशा
गूगल से ली गई छायाचित्र
पिछले छह सालों में कई विधानसभा चुनावों के दौरान विभिन्न
पार्टियों द्वारा किसानों का कर्ज माफ करने के वादे के बाद भी 10 राज्यों
ने करीब 1.12 लाख करोड़ रुपये का कृषि कर्ज माफ नहीं किया है. इतना ही नहीं, कर्ज
माफी के बावजूद किसानों पर ऋण का भार बढ़ता ही जा रहा है और किसानों द्वारा कर्ज
लेने की राशि में साल दर साल बढ़ोतरी हुई है. बीते रविवार को कृषि एवं किसान कल्याण
मंत्रालय द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़ों से जानकारी सामने आई है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन नाबार्ड द्वारा इकट्ठा की गई
सूचना के मुताबिक साल 2014 से लेकर अब तक 10 राज्यों
एवं एक केंद्रशासित प्रदेश ने कुल 2,70,225.87 करोड़ रुपये के कृषि कर्ज को माफ
करने वादा किया था. लेकिन राज्य सरकारों द्वारा वादा किए जाने के बावजूद 1,11,051.86 करोड़ रुपये के ऋण को माफ नहीं किया गया है.
महाराष्ट्र में किसानों के व्यापक विरोध के बाद देवेंद्र
फडणवीस की अगुवाई में महाराष्ट्र सरकार ने 28 जून 2017 को
छत्रपति शिवाजी महाराज शेतकारी सम्मान योजना के तहत कुल 34,022 करोड़ रुपये के कृषि लोन को माफ करने का वादा किया था. लेकिन इसमें
से सिर्फ 58 फीसदी का ही कर्जमाफ किया. इसमें भी प्रावधान था कि जिन किसानों के
ऊपर 1.5 लाख रुपये से ज्यादा का कर्ज है, तो उन्हें बाकी राशि का भुगतान
करने के बाद इसका लाभ मिल पाएगा. बाद में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना गठबंधन वाली
नई सरकार ने महात्मा ज्योतिराव फूले शेतकारी कर्ज मुक्ति योजना के तहत एक अप्रैल 2015 से
31 मार्च 2019 के बीच लंबित दो लाख रुपये तक के फसल
ऋण माफ करने की योजना बनी थी. राज्य सरकार ने इस कार्य के लिए कुल 20,081 करोड़ रुपये का आवंटन किया, लेकिन इसमें से 17,080.59 करोड़ रुपये के ही कृषि लोन को माफ किया गया.
मध्य प्रदेश में दिसंबर 2018 में पांच
विधानसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस ने वादा किया था कि यदि वे सत्ता में आते
हैं तो उनकी सरकार 10 दिन के भीतर कृषि लोन माफ कर देगी.
बाद में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उनकी पार्टी
सत्ता में आई. मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना के तहत राज्य सरकार
ने कुल 36,500
करोड़ रुपये के कर्ज माफी की घोषणा की थी. लेकिन इसमें से
सिर्फ 11,912 करोड़ रुपये के ही ऋण को माफ किया गया. जबकि, राजस्थान
सरकार ने अलग-अलग श्रेणी के कर्जदार किसानों के लिए साल 2018 से
2019 के बीच कुल चार योजनाओं की घोषणा की और इनके तहत 18,695.72 करोड़ रुपये के कृषि लोन को माफ करने का ऐलान किया गया था. यानी
राज्य की कांग्रेस और भाजपा दोनों सरकारों ने अपने वादे के मुताबिक किसानों के
कर्ज को माफ नहीं किया. इसी तरह से छत्तीसगढ़ में 6,230 करोड़
रुपये के अल्पकालिक ऋण को माफ करने की योजना बनाई थी. इस योजना के तहत राज्य के
केवल 15.26 लाख किसानों को लाभ मिला है. जबकि बघेल से पहले रमन सिंह की अगुवाई
वाली छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने दिसंबर 2015 में किसानों के 25 फीसदी
कर्ज माफी की घोषणा की थी. लेकिन, इसे उचित तरीके से लागू नहीं किया
गया.
इसके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी
विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए अपने वादे के अनुसार साल 2017 में
फसल ऋण माफी योजना की घोषणा की थी. लेकिन इसमें से सिर्फ 4,696.09 करोड़ रुपये के कृषि ऋण का माफ किया गया है. अगर उत्तर प्रदेश की
बात करें तो साल 2017
में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने भी
किसानों के फसल ऋण को माफ करने वादा किया था. योगी आदित्यनाथ ने 36,359 करोड़ रुपये के कृषि कर्ज को माफ करने के लिए एक योजना का ऐलान
किया. लेकिन सरकार ने किसानों के 25,233.48 करोड़ रुपये के ही ऋण को माफ
किया है. मजेदार बात तो यह है कि इस योजना के तहत कम से कम 4,814 किसानों के 1 रुपये से लेकर 100 रुपये
तक के लोन को माफ किया गया था.
साथ ही कर्नाटक में कांग्रेस नेता सिद्धरमैया की अगुवाई
कर्नाटक सरकार ने जून 2017 में 18,000 करोड़
रुपये के किसान ऋण माफी का ऐलान किया था. संसद में पेश किसानों के मुताबिक
तत्कालीन इसमें से सिर्फ 7,794 करोड़ रुपये के ही लोन को माफ किया.
इसके अगले साल कांग्रेस ने जेडीएस के साथ गठबंधन कर एचडी कुमारस्वामी की
अगुवाई में नई सरकार बनाई और 44,000 करोड़ रुपये की लागत वाले नए ऋण माफी
योजना की घोषणा की गई. मगर इसने भी केवल 14,754 करोड़ रुपये के ही कृषि ऋण को माफ
किया. जबककि आंध्र प्रदेश 24,000 करोड़ रुपये के कृषि ऋण माफी योजना के
कुल 15,622.05
करोड़ रुपये के ही कृषि कर्ज को माफ किया गया है. तेलंगाना
में 17,000 करोड़ रुपये में सिर्फ 16,144.10 करोड़ माफ किया गया.
यही नहीं तमिलनाडु में मई 2016 में 5,318.73 करोड़ रुपये के कृषि लोन को माफ करने की घोषणा की थी. परन्तु, राज्य
सरकार ने 4,529.54
करोड़ रुपये के ही कृषि कर्ज को माफ किया. इनके अलावा जम्मू
कश्मीर ने जनवरी 2017
में घोषणा किया था कि चरणबद्ध तरीके से एक लाख रुपये तक के
कृषि लोन का 50
फीसदी माफ किया जाएगा. लेकिन, इस योजना के तहत कुल 244 करोड़
रुपये के कर्ज को माफ किया गया है.
कर्ज माफी के बावजूद किसानों पर बढ़ता कर्ज
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा संसद में
पेश की गई जानकारी से एक और तथ्य निकलकर सामने आता है कि विभिन्न राज्यों की
अलग-अलग कृषि कर्ज माफी योजना के बावजूद किसानों पर कुल कर्ज राशि बढ़ती ही जा रही
है. आलम ये है कि पिछले पांच सालों (2015-20) में किसानों पर करीब 35 फीसदी
कर्ज की बढ़ोतरी हुई है.
मंत्रालय के मुताबिक 31 मार्च 2015 तक
किसानों पर 8,77,252.92
करोड़ रुपये का कर्ज था, जो 31 मार्ज 2020 में
बढ़कर 11,81,901.29
करोड़ रुपये हो गया. फिलहाल किसानों पर सबसे ज्यादा 7,28,306.29 करोड़ रुपये के कर्ज अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के हैं.
इसके बाद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के कुल 2,08,840 करोड़ रुपये के कृषि कर्ज हैं. वहीं किसानों पर राज्य एवं जिला
सहकारी बैंकों के कुल 2,44,755 करोड़ रुपये के कर्ज हैं.
आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च 2016 तक
बैंकों द्वारा दिया गया कुल कृषि लोन 9,84,764.40 करोड़ रुपये था, जो
ठीक एक साल बाद बढ़कर 10,43,586.69 करोड़ रुपये हो गया. इसके अगले
साल 31 मार्च 2018 तक ये राशि और बढ़कर 11,17,459.27 करोड़ रुपये और 31 मार्च 2019 तक 11,78,581.20 करोड़ रुपये हो गई.@Nayak1
The plight of farmers in the Congress-BJP government
In the last six years, 10 states have not waived farm loans worth about Rs 1.12 lakh crore, despite promises by various parties to waive farm loans during various assembly elections. Not only this, despite the loan waiver, the debt burden on the farmers is increasing and the amount of loans taken by the farmers has increased year after year. On Sunday, information has been revealed by the data presented in the Lok Sabha by the Ministry of Agriculture and Farmers Welfare.
According to
the information gathered by NABARD under the Union Ministry of Agriculture,
from 2014 till now, 10 states and one Union Territory had promised to waive
agricultural loans worth a total of Rs 2,70,225.87 crore. But despite the
promises made by the state governments, the loan of Rs 1,11,051.86 crore has
not been forgiven.
Maharashtra
government led by Devendra Fadnavis on 28 June 2017 promised to waive off a
total of Rs 34,022 crore under Chhatrapati Shivaji Maharaj Shetkari Samman
Yojana after widespread opposition from farmers in Maharashtra. But of this,
only 58 per cent waived debt. There was also a provision that farmers who have
a loan of more than 1.5 lakh rupees, they will get the benefit after paying the
remaining amount. Later, the new government with Congress, NCP and Shiv Sena
alliance had planned to waive crop loans of up to two lakh rupees pending
between April 1, 2015 and March 31, 2019 under Mahatma Jyotirao Phule Shetkari
Debt Mukti Yojana. The state government allocated a total of Rs 20,081 crore
for this work, but out of this only agricultural loan of Rs 17,080.59 crore was
waived.
Apart from
this, Punjab Chief Minister Amarinder Singh also announced crop loan waiver
scheme in the year 2017 as per his promise made during the assembly elections.
But out of this, only Rs. 4,696.09 crore agricultural loan has been waived. If
you talk about Uttar Pradesh, during the Uttar Pradesh assembly elections in
2017, BJP also promised to forgive farmers' crop loans. Yogi Adityanath
announced a plan to forgive agricultural debt of Rs 36,359 crore. But the
government has waived the loan of Rs 25,233.48 crore from the farmers. The
funny thing is that at least 4,814 farmers' loans ranging from Rs 1 to Rs 100
were waived under this scheme.
Not only
this, in May 2016, Tamil Nadu had announced to waive agricultural loans worth
Rs 5,318.73 crore. However, the state government waived agricultural loans
worth only Rs 4,529.54 crore. Apart from these, Jammu and Kashmir had announced
in January 2017 that 50 percent of agricultural loans up to Rs 1 lakh will be
waived in a phased manner. However, a total debt of Rs 244 crore has been
waived under this scheme.
Despite debt forgiveness, farmers' debt increases
According to
the ministry, till March 31, 2015, farmers had a debt of Rs 8,77,252.92 crore,
which increased to Rs 11,81,901.29 crore in 31 March 2020. At present, the
maximum loans of Rs 7,28,306.29 crore on farmers are from scheduled commercial
banks (SCBs). After this, there are a total of 2,08,840 crore agricultural
loans from Regional Rural Banks (RRBs). At the same time, there are total loans
of Rs 2,44,755 crore from the state and district cooperative banks on farmers.
According to
the data, the total agricultural loan given by banks as on 31 March 2016 was Rs
9,84,764.40 crore, which increased to Rs 10,43,586.69 crore after one year.
This amount further increased to Rs 11,17,459.27 crore by 31 March 2018 the
following year and Rs 11,78,581.20 crore by 31 March 2019. @ Nayak1
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