लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुई दुनियाँ
भारत में
सैलरीड क्लास के 2 करोड़
लोगों की गई नौकरियाँ
गूगल से ली गई छायाचित्र
देश में एक तरफ केन्द्र की मोदी सरकार
लोगों को बेरोजगार बना रही है तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना महामारी ने मोदी सरकार को
भारत के लोगों को बेरोजगार बनाने का एक और मौका दे दिया है. इसी मौके का फायदा उठाते हुए सरकार ने
कंपनियों से लेकर कई सरकारी विभागों को न केवल बेच रही है, बल्कि सरकारी नौकरियों को भी खत्म करने
का काम बड़े पैमाने पर कर रही है. यही नहीं सरकार ने लॉकडाउन की आड़ में बचे-खुचे
छोटे-छोटे रोजगार को भी खत्म कर दिया. नतीजा यह हुआ कि करोड़ों लोगों के सामने
भुखमरी का संकट खड़ा हो गया. हालांकि, कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया के
रोजगार पर गहरा असर डाला है. जिसके चलते दुनियाभर में तकरीबन 50 करोड़ लोग बेरोजगार बन गए है. अगर भारत
की बात करें तो अकेले भारत में 2 करोड़ से
ज्यादा लोगों ने अपनी नौकरियाँ गंवाई हैं.
ग़ौरतलब है कि कोरोना वायरस के चलते
दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हुई तो करोड़ों लोगों की आजीविका भी छिनी है.
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक दुनिया भर में इस संकट के चलते 50 करोड़ लोगों को अपना रोजगार खोना पड़ा
है. इसमें से 2 करोड़ लोग
अकेले भारत से ही हैं. हालांकि भारत का यह आंकड़ा और ज्यादा हो सकता है, क्योंकि सीएमआईई के डाटा में संगठित
उद्योग को लेकर ही यह बात कही गई है. इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक
कोरोनावायरस उम्मीद से कहीं ज्यादा भयानक साबित हो रहा है. आईएलओ का कहना है कि
कोरोनावायरस से ग्लोबल वर्किंग ऑवर्स को जितने नुकसान की उम्मीद थी वास्तविक नुकसान
अनुमान से कहीं ज्यादा है.
वहीं दूसरी तिमाही में वर्किंग ऑवर 2019 के अंत से 17 फ़ीसदी कम है. इस आंकड़े में लगभग 500 मिलियन नौकरियां आती हैं जो जून के
अनुमानित आंकड़े 400 मिलियन से
100 मिलियन ज्यादा हैं. इंटरनेशनल लेवल
ऑर्गेनाइजेशन ने यह भी अनुमान लगाया है कि सरकार समर्थित प्रोग्राम्स को छोड़कर
विश्वभर में लेबर इनकम लॉस 3.5 ट्रिलियन
डॉलर के आसपास है. दूसरे हॉफ में स्थितियों के सुधरने की उम्मीद है, लेकिन जून से लगातार आउटलुक बेहाल हुआ
है. बेसलाइन सिनेरियो में चौथी तिमाही में होने वाला नुकसान 245 मिलियन नौकरियों के बराबर होगा है.
इस निराशाजनक परिणाम के अनुसार यह
नुकसान 500 मिलियन
नौकरियों के बराबर भी हो सकता है. कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के कारण दूसरे हॉफ
में नुकसान इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन के पिछले अनुमान से ज्यादा होगा. आईएलओ के
अनुसार उभरती अर्थव्यवस्थाओं में नौकरियों को ज्यादा नुकसान हुआ है क्योंकि वहां
पर वर्क फ्रॉम होम और इनफार्मल वर्क के कम अवसर उपलब्ध हैं.
बता दें कि लंबी अवधि के लिए भी
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़े चिंताजनक हैं. संयुक्त राष्ट्र की संस्था के
मुताबिक रोजगार में गिरावट ने इनएक्टिविटी को भी बढ़ाया है. इसके कारण लोगों का
लेबर मार्केट से कटाव हो सकता है, जिसकी वज़ह
से जॉब रिकवरी में देरी होगी और असमानता बढ़ेगी. गौरतलब है कि सीएमआईई के डाटा में
भारत में कोरोना काल में 2 करोड़
सैलरीड क्लास की नौकरियां छिनने की बात कही गई है, इनमें से 81 लाख लोग जुलाई और अगस्त महीने में ही
बेरोजगार हुए हैं. @Nayak1
The world became unemployed during lockdown
2 crore people of salaried class jobs in India
Photograph taken from Google
On the one hand, the Modi government at the center
is making people unemployed, on the other hand, the Corona epidemic has given
the Modi government another opportunity to make the people of India unemployed.
Taking advantage of this opportunity, the government is not only selling
companies to many government departments, but is also doing the work of
eliminating government jobs on a large scale. Not only this, the government has
also ended small jobs left under the lockdown. As a result, starvation crisis
arose in front of crores of people. However, the Corona epidemic has had a
profound impact on the employment of the entire world. Due to which around 500
million people worldwide have become unemployed. If we talk about India, more
than 2 crore
people have lost their jobs in India alone.
It is significant that if millions of people died
due to Corona virus, then the livelihood of crores of people has also been
lost. According to the International Labor Organization, 50 million
people have lost their jobs due to this crisis worldwide. Out of this, 2 crore
people are from India alone. However, this figure of India may be more, because
it has been said about the organized industry in CMIE's data. According to the
International Labor Organization, coronavirus is proving more terrible than
expected. The ILO says that the actual loss of coronavirus to global working
hours was much higher than anticipated.
At the same time, working hours in the second
quarter are down 17 percent from the end of 2019. This
figure brings about 500 million jobs, which is 400
million more than the estimated figures of June. The International Level
Organization has also estimated that worldwide labor income loss, excluding
government-backed programs, is around $ 3.5 trillion. Conditions are expected to
improve in the second half, but since June the outlook has been continuously
disturbed. The loss in the fourth quarter in baseline cinereos would be
equivalent to 245 million jobs.
According to this disappointing result, this loss
can also be equal to 500 million jobs. Due to the ever increasing cases of
corona, the loss in the second half will be more than the previous estimate of
the International Labor Organization. According to the ILO, jobs in emerging
economies have suffered more because there are fewer opportunities for work
from home and informal work.
Let me tell you that the figures of International Labor Organization are
worrisome even for long term. According to the United Nations organization, the
decline in employment has also increased inactivity. Due to this, there may be
erosion from the labor market, due to which the job recovery will be delayed
and inequality will increase. It is worth noting that in the data of CMIE,
there has been talk of snatching 2 crore salaried
class jobs in the Corona era in India, out of which 81 lakh people have been unemployed in July
and August. @ Nayak1
Thank you Google