लॉकडाउन की वजह से भारत की खराब हालत
मौजूदा
वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में रिकॉर्ड 23.9 फीसदी की गिरावट
गूगल से ली गई छायाचित्र
भले ही
कोरोना महामारी और लॉकडाउन का बहुत बुरा प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था और इसके सकल
घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर देखने को मिला है. लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा
सकता है कि देश की अर्थव्यवस्था और जीडीपी की हालत पहले से ही खराब चल रही है.
परन्तु, केन्द्र सरकार अपनी गलती का ठीकरा
कोरोना महामारी पर फोड़ रही है. जबकि, सरकार ने अचानक लॉकडाउन घोषित करके अर्थव्यवस्था और जीडीपी को और ज्यादा
खस्ता बना दिया है. जिसका नतीजा सामने है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी में 23.9 फीसदी की भारी कमी दर्ज की गई है.
प्राप्त
जानकारी के अनुसार, सोमवार को राष्ट्रीय सांख्यिकीय
कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि
दर 5.2 फीसदी रही थी. अधिकांश रेटिंग
एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही की जीडीपी में गिरावट का अनुमान
जताया था. एनएसओ द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि पहली तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग
सेक्टर में वृद्धि दर (सकल मूल्य वर्धन या जीवीए) 39.3 फीसदी की गिरावट, निर्माण क्षेत्र में 50.3 फीसदी की गिरावट, उद्योग में 38.1 फीसदी की गिरावट, खनन क्षेत्र में 23.3 प्रतिशत की गिरावट और सेवा क्षेत्र में 20.6 प्रतिशत की गिरावट आई है.
आंकड़ों के
अनुसार, बिजली, गैस, पानी की
सप्लाई और अन्य उपयोगी सेवाओं में सात प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इसके
अलावा व्यापार, होटल, यातायात, संचार और प्रसारण से जुड़ीं अन्य सेवाओं में 47 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. आंकड़े बताते हैं कि जून तिमाही में सिर्फ
कृषि, वानिकी और मत्स्य उद्योग में विकास
दर्ज की गई है. तीनों क्षेत्र 3.4 प्रतिशत
वृद्धि दर के गवाह रहे हैं. जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले अधिक है. वित्त वर्ष 2019-20 की इस अवधि में इन तीनों क्षेत्रों की वृद्धि दर 3.0 प्रतिशत रही थी. इससे पहले बीते वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी की वृद्धि
दर घटकर 3.1 फीसदी पर आ गई थी. यह 2008-09 के बाद जीडीपी की वृद्धि दर का सबसे कमजोर आंकड़ा था.
साल 2008-09 में आर्थिक वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही थी.
बता दें कि
मौजूदा वित्त वर्ष के जीडीपी आंकड़े और अधिक चौंकाने वाले हैं. एनडीटीवी के मुताबिक, साल 1996 में जीडीपी वृद्धि के तिमाही आंकड़े देने की शुरुआत किए जाने के बाद से यह
सबसे ज़्यादा गिरावट है. इस बीच चीन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि जनवरी-मार्च 2020 तिमाही में 6.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी.
देश के 8 बुनियादी उद्योगों में लगातार 5वें महीने तेज गिरावट
‘‘यह डाटा ऐसे वक्त में सामने आया है, जब केंद्र और राज्य सरकारें धीरे-धीरे लॉकडाउन में
रियायत दे रही हैं. जुलाई महीने में भी पहले की तरह प्रतिबंध लागू नहीं थे, लेकिन आर्थिक सुस्ती के चलते मांग में कमी की स्थिति
देखी जा रही है. इसका मतलब साफ है कि लॉकडाउन का कारोबारों पर इतना ज्यादा असर पड़ा
है कि लॉकडाउन पूरी तरह से हट जाने बाद भी सुधार में कई साल लग जायेंगे.’’
कोरोना से
निपटने के लिए लागू हुए लॉकडाउन के कारण देश के 8 बुनियादी उद्योगों में तेज गिरावट दर्ज की गई है. जुलाई महीने में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आई है. यह लगातार पांचवां महीना है, जब बुनियादी उद्योगों का उत्पादन घटा है. इससे पहले
अप्रैल-जुलाई तिमाही में यह आंकड़ा -20.5 प्रतिशत है. मुख्य रूप से इस्पात, रिफाइनरी उत्पाद और सीमेंट क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से बुनियादी
उद्योगों का उत्पादन घटा है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी
आंकड़ों के अनुसार जुलाई में उर्वरक को छोड़कर अन्य सातों क्षेत्रों कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात, सीमेंट तथा बिजली क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट आई है.
जुलाई में
इस्पात का उत्पादन 16.5 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पादों का 13.9 प्रतिशत, सीमेंट का 13.5 प्रतिशत, प्राकृतिक गैस का 10.2 प्रतिशत, कोयले का 5.7 प्रतिशत, कच्चे तेल का 4.9 प्रतिशत और बिजली का 2.3 प्रतिशत नीचे आया है. वहीं दूसरी ओर जुलाई में उर्वरक का उत्पादन 6.9 प्रतिशत बढ़ा. जुलाई, 2019 में उर्वरक उत्पादन 1.5 प्रतिशत बढ़ा
था. जुलाई, 2019 में आठ बुनियादी उद्योगों उत्पादन 2.6 प्रतिशत बढ़ा था. उर्वरकों के उत्पादन में इजाफे की एक
वजह यह है कि देश में फसल की बुवाई का सीजन होने के चलते उर्वरकों की मांग में
तेजी देखी गई थी.
इन 8 कोर सेक्टर्स को लेकर यह डाटा ऐसे वक्त में सामने आया
है, जब केंद्र और राज्य सरकारें
धीरे-धीरे लॉकडाउन में रियायत दे रही हैं. जुलाई महीने में भी पहले की तरह
प्रतिबंध लागू नहीं थे, लेकिन आर्थिक सुस्ती के चलते मांग
में कमी की स्थिति देखी जा रही है. इसका मतलब साफ है कि लॉकडाउन का कारोबारों पर
इतना ज्यादा असर पड़ा है कि लॉकडाउन पूरी तरह से हट जाने बाद भी सुधार में कई साल
लग जायेंगे.@Nayak1
India's poor condition due to lockdown
India's
GDP falls by a record 23.9 percent in the first quarter of the current
financial year
Even
though the corona epidemic and lockdown have a very bad effect on India's
economy and its gross domestic product (GDP). But it cannot be denied that the
condition of the country's economy and GDP is already deteriorating. But, the
central government is blaming the Corona epidemic for its mistake. Whereas, the
government has made the economy and GDP more crispy by declaring a sudden
lockdown. The result of which is that in the first quarter (April-June) of the
current financial year 2020-21, there has been a huge reduction of 23.9 percent
in GDP.
According to the information received, according to the data released by the National Statistical Office (NSO) on Monday, the GDP growth rate was 5.2 per cent in the first quarter of the last fiscal year 2019-20. Most rating agencies had forecast a fall in GDP for the first quarter of the current financial year. Figures released by the NSO show that the manufacturing sector growth (gross value addition or GVA) declined by 39.3 per cent in the first quarter, 50.3 per cent in the construction sector, 38.1 per cent in the industry, 23.3 per cent in the mining sector and The services sector declined by 20.6 percent.
"This
data has come at a time when the central and state governments are gradually
giving concession in lockdown." Restrictions were not applicable in the
month of July as before, but due to economic slowdown, the situation of demand
is being seen. This means that the lockdown has had such an impact on the
businesses that even after the lockdown is completely removed, the improvement
will take many years. "
Thank you Google