स्विस बैंक ने सौंपी भारतीय खाताधारकों की दूसरी सूची
विदेशों में जमा कालेधन पर सरकार की उस समय किरकीरी हुइ्र जब सरकार का यह दावा पूरी तरह से जुमला साबित हुआ है. यही नहीं इन मामलों में सरकार तब ज्यादा फंस गई जब स्विस बैंक द्वारा कालेधन वालों की पहली सूची दी थी, लेकिन सार्वजनिक होने से पहले ही सूची सरकार के यहां से गायब हो गई. अब एक बार फिर से स्विस बैंक ने कालाधन चोरों की दूसरी सूची सौंपी है. अब देखना है कि क्या सरकार इस सूची को सार्वनिक करती है या पहले की तरह से यह भी सूची गायब हो जायेगी? हालांकि, अभी इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगा.
गौरतलब है कि स्विस बैंक ने भारतीय खाताधारकों की दूसरी सूची भी भारत सरकार को सौंप दी है. मजेदार बात देखिए कि सूची सौंपे जाने के बाद गोदी मीडिया मोदी सरकार की किस तरह से तारीफ कर रही है जैसे मोदी ने बहुत बड़ा तीर मार दिया है. गोदी मीडिया के मुताबिक, विदेशों में जमा कालेधन के खिलाफ मोदी सरकार की लड़ाई को शुक्रवार एक महत्वपूर्ण सफलता मिली. स्विट्जरलैंड ने दूसरी बार भारत को स्विस बैंक के भारतीय खाताधारकों का ब्योरा सौंपा है. भारतीय नागरिकों और संस्थानों के फाइनेंशियल अकाउंट्स का यह ब्योरा स्विट्जरलैंड के साथ किए गए सूचनाओं का स्वतः आदान-प्रदान (एईओआई) के तहत मिला है. भारत उन 86 देशों में शामिल है, जिनके साथ स्विट्जरलैंड के संघीय कर प्रशासन (एफटीए) ने इस साल एईओआई पर ग्लोबल स्टैंडर्ड्स फ्रेमवर्क के तहत फाइनेंशियल अकाउंट्स का ब्योरा साझा किया है.
अब सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि पहली सूची कहां गई? क्या मोदी सरकार ने पहली सूची में शामिल कालाधन चोरों का नाम सार्वजनिक क्या था? क्या मोदी सरकार ने पहले सूची में शामिल कालाधन चोरों के ऊपर कार्रवाई की थी? क्या मोदी सरकार उनके यहां से कालाधन निकाल पाई? इन सभी सवालों का केवल एक ही जवाब है नहीं. क्योंकि, स्विट्जरलैंड ने जो पहली सूची मोदी सरकार को सौंपी थी वह सूची ही गायब हो गई. दूसरा सवाल, क्या मोदी सरकार दूसरी सूची को सार्वजनिक करेगी? हालांकि, ऐसा नहीं दिखाई दे रहा है. हो सकता है पहले सूची की तरह ही यह भी सूची गायब हो सकती है. क्योंकि, इन नामों में सभी के सभी सरकार के ही नुमाइंदे शामिल हैं. यही कारण है कि सरकार कालेधन पर केवल बातें करती और अंदर से कालेधन चोरों को बचाने का काम करती है.
मीडिया के अनुसार, एफटीए ने शुक्रवार को एक बयान में कहा इस साल सूचना के आदान-प्रदान में लगभग 31 लाख वित्तीय खाते शामिल हैं. वर्ष 2019 में भी करीब इतने ही खातों की जानकारी दी गई थी. हालांकि, बयान में 86 देशों के बीच भारत के नाम का अलग से उल्लेख नहीं था, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि भारत उन प्रमुख देशों में है जिनके साथ स्विट्जरलैंड ने स्विस बैंकों के ग्राहकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के वित्तीय खातों के बारे में विवरण साझा किया है.
अधिकारियों ने आगे कहा कि स्विस अधिकारियों ने भारत के अनुरोध पर पिछले एक साल में 100 से अधिक भारतीय नागरिकों और संस्थाओं के बारे में जानकारी साझा की है, जिनके खिलाफ कर चोरी और वित्तीय गड़बड़ियों की जांच चल रही थी. अधिकारियों ने हालांकि गोपनीयता का हवाला देते हुए भारतीयों के मौजूदा खातों की संख्या या इनमें जमा धनराशि के बारे में ब्यौरा देने से इनकार किया. स्विस अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी में पहचान, खाता और वित्तीय जानकारी शामिल है. इन जानकारी से कर अधिकारियों को यह पता करने में मदद मिलेगी कि क्या करदाताओं ने कर रिटर्न में अपने वित्तीय खातों के बारे में सही जानकारी दी है. गौरतलब है कि भारत को एईओआई के तहत स्विट्जरलैंड से पहला ब्योरा सितंबर 2019 में मिला था, जब स्विट्जरलैंड ने 75 देशों के साथ सूचना साझा की थी. परन्तु सरकार उस पर कोई कार्यवाही नहीं कर सकी. @Nayak 1
Swiss
bank submitted second list of Indian account holders
The government's
disgrace on black money stashed abroad when this claim of the government has
proved to be completely jumla. Not only this, the government got stuck in these
cases when the first list of black money was given by Swiss bank, but the list
disappeared from the government before it went public. Now once again the Swiss
bank has handed over the second list of black money thieves. Now it has to be
seen whether the government makes this list public or will this list disappear
as before. However, it is too early to say anything on this.
Significantly,
the Swiss bank has also submitted the second list of Indian account holders to
the Government of India. The funny thing is that after the list has been handed
over, how is the dock media praising the Modi government like Modi has hit a
big arrow. According to dock media, the Modi government's fight against black
money stashed abroad became a significant success on Friday. Switzerland has
assigned the details of the Swiss bank's Indian account holders to India for
the second time. This statement of the financial accounts of Indian citizens
and institutions is found under the automatic exchange of information (AEOI)
with Switzerland. India is among 86 countries with which Switzerland's Federal
Tax Administration (FTA) has shared details of financial accounts under the
Global Standards Framework on AEOI this year.
Now the biggest question is, where did the first list go? Was the name of black money thieves in
the first list by the Modi government public? Did the Modi government first take action against
the black money thieves included in the list? Did the Modi government remove black money from
him? There is only one answer to all these questions. Because, the first list that Switzerland had
submitted to the Modi government disappeared. Second question, will the Modi government
make the second list public? However, it does not appear so. Like the first list, this list may also
disappear. Because, all the names of all the government are included in these names. This is the
reason that the government only talks about black money and works to save black money thieves
from inside.
According to the media, the FTA said in a statement on Friday that about 31 lakh financial
accounts are involved in the exchange of information this year. In the year 2019 too, the number
of accounts was given. Although the statement did not separately mention India's name among
the 86 countries, officials said that India is among the major countries with which Switzerland
shared details about the financial accounts of Swiss bank customers and other financial
institutions. is.
Officials further said that Swiss authorities have shared information about more than 100 Indian
citizens and institutions in the last one year, at the request of India, against which tax evasion and
financial irregularities were being investigated. Officials, however, declined to give details about
the number of existing accounts or the amount deposited in them, citing confidentiality.
Information provided by Swiss authorities includes identification, account and financial
information. These information will help the tax authorities to know whether the taxpayers have
given correct information about their financial accounts in the tax return. Significantly, India
received the first details from Switzerland under AEOI in September 2019, when Switzerland
shared information with 75 countries. But the government could not take any action on it.
@Nayak 1
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