कृषि कानून पर किसानों का हल्लाबोल, सातवें आसमान पर आंदोलन
सरकार के
खिलाफ भयंकर जंग, धुआं धुआं
हो गया अंबाला बॉर्डर
गूगल से ली गई छायाचित्र
अरे
प्रधानमंत्री जी ये किसान हैं, आतंकवादी नहीं...
♦ मंदसौर में किसानों पर गोली चलवा दी
जाती है, उन पर
काले किसान कानून थोपे जाते हैं, उनको
अर्धनग्न रहने, मूत्र
पीने और चूहे खाने के लिए मजबूर किया जाता है और अब समर्थन मूल्य को छीनने वाले
कानून के विरोध में हो रहे किसानों के प्रदर्शन को अमानवीय रूप से रोका जा रहा है.
अरे देश विनाशक प्रधानमंत्री जी ये किसान हैं, आतंकवादी नहीं.
♦ देशभर के किसानों को एक होने की ज़रूरत
है. यह एक दो कानून या उससे विक्षुब्ध एक दो राज्यों के किसानों की बात नहीं है.
अलग अलग रूप में कमोबेश हर राज्य में किसानों की यही स्थिति है.
♦ जिन सरकारों ने देश की अर्थव्यवस्था को
पूरी तरह चौपट कर दिया उसी डूबती अर्थव्यवस्था को किसानों की वजह से सहारा मिला, जिनकी बदौलत देश के लोग भर पेट खाना खा
पाते हैं. आज जब वहीं किसान अपना अस्तित्व बचाने के लिए सड़क पर उतरे हैं तो कड़कती
ठंड में भाजपा सरकार उनपर वाटर कैनन चलवा रही है. यह सबसे ज्यादा शर्मनाक है.
सवाल : कृषि कानून किसान हित में कैसे
है, जब सभी
किसान इसके विरोध में रोड पर आंदोलित हैं? अगर देश के किसान ही खुद कानून के
विरोध में उतर चुके है तो फिर ये कैसे माना जा सकता है कि कृषि कानून किसानों के
हित में है?
किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ करने
वाले कानून वापस नहीं होंगे, तब तक आंदोलन चलता रहेगा.
किसान मार्च महज एक आंदोलन नहीं रहा, अब ये चिंगारी बन चुका है. इस चिंगारी
को रोकने का प्रयास न करें, जहां भी
किसानों को रोकेंगे, वहीं तंबू
लगेगा. दिल्ली पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए कई तरह की चेतावनी जारी की है.
किसान तो दिल्ली जाएगा ही...! ये मत सोचिये, कि दो तीन राज्यों से किसान आ रहे हैं.
अब किसान मार्च एक चिंगारी में बदल चुका है. ये एक अनिश्चितकालीन आंदोलन है. इसे
केवल एक-दो दिन का आंदोलन न समझें. केंद्र और राज्य सरकारें, किसानों के आंदोलन को रोकने की बड़ी
गलती कर रहीं हैं. जब तक किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ करने वाले कानून वापस
नहीं होंगे, तब तक
आंदोलन चलता रहेगा.
" अंबानी के
यारों और सेठों के चौकीदारों से, लोहे की बैरीकेटिंग और नुकीले तारों
से!
आँसू गैस
के गोलों और सरकारी हथियारों से, नकली तानाशाहों और इन जालिम सरकारों
से!!
कोई ये
जाकर के कह दे संसद के गलियारों से, हम किसान हैं डरते नहीं पानी की
बौछारों से!"
कभी ठंड में पानी की बौछार तो कभी
बॉर्डर को सील करना तो किसी किसानों पर गोलियां चलाना और उनके ऊपर देशद्रोदी का
केस चलाना. यहां तक कि किसानों को खुद का मूत्र तक पीने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
जाने कितनी बार सरकार के ऐसे जुल्मों को सहन कर किसान सरकार तक अपनी बात पहुचाने
के लिए दिल्ली तक पैदल मार्च किया है. इसके बाद भी उनकी बातों को तक नहीं सुनी
जाती है. जब कृषिप्रधान देश में किसानों का ये हाल है तो समझ लो देश की क्या हालत
होगी? मंदसौर
में किसानों पर गोली चलवा दी जाती है, उन पर काले किसान कानून थोपे जाते हैं
और अब समर्थन मूल्य को छीनने वाले कानून के विरोध में हो रहे किसानों के प्रदर्शन
को अमानवीय रूप से रोका जा रहा है. अरे देश विनाशक प्रधानमंत्री जी ये किसान हैं, आतंकवादी नहीं. अफसोस है कि इतनी ठंड
में बजाय किसान की आवाज सुनने के उन पर पानी की बौछार मारी जा रही है. कड़कड़ाती ठंड
में किसानों के ऊपर पानी की बौछारें यही बता रही हैं कि सरकार पूरी तरह से
तानाशाही पर उतर आयी है. सबसे बड़ा सवाल है कि कृषि कानून किसान हित में कैसे है, जब सभी किसान इसके विरोध में रोड पर
आंदोलित हैं? अगर देश
के किसान ही खुद कानून के विरोध में उतर चुके है तो फिर ये कैसे माना जा सकता है
कि कृषि कानून किसानों के हित में है?
गौरतलब है कि कृषि कानून पर किसानों ने
हल्लाबोल दिया है. किसानों का आंदोलन सातवें आसमान पर है. सरकार के खिलाफ किसानों
का जंग कितना भयंकर है, इसका
अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अंबाला बॉर्डर पूरा धुआं धुआं हो गया है.
केंद्र सरकार के बनाए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, यूपी, हरियाणा, राजस्थान और दूसरे राज्यों के हजारों
किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ मार्च प्रारंभ कर दिया है. कई जत्थे दिल्ली सीमा और उसके
आसपास पहुंच चुके हैं. लगभग हर राज्य में किसानों की टोली को रोका जा रहा है. इस
कड़ाके की ठंडी में एक ओर जहां किसानों के ऊपर तेज पानी की बौछार मारी जा रही है तो
वहीं दूसरी ओर लाठियां भांजी रही तो आंसू गैस के गोले भी दागे जा रहे हैं.
किसान संगठनों का कहना है कि किसान
मार्च महज एक आंदोलन नहीं रहा, अब ये
चिंगारी बन चुका है. इस चिंगारी को रोकने का प्रयास न करें, जहां भी किसानों को रोकेंगे, वहीं तंबू लगेगा. अखिल भारतीय किसान
संघर्ष समन्वय समिति के सदस्य अविक साहा ने आगे कहा, हम दिल्ली वालों को जानते हैं. हालांकि
सभी किसान अपना पेट भरने के लिए साथ में राशन पानी लाएं हैं. दिल्ली में आंदोलन
लंबा चलता है तो कोई चिंता नहीं है. यहां भी अधिकांश आबादी गांवों से आकर बसी है.
वे किसान परिवार से ही आते हैं. ऐसे में किसान यहां भूखा नहीं मरेगा. दिल्ली वाले
भरपेट खिलाएंगे, गुरुद्वारों
ने तो पहले से ही किसानों के लिए भोजन के विशेष इंतजाम कर रखे हैं.
अविक साहा ने बताया, अभी तक किसान मार्च शांतिपूवर्क तरीके से
आगे बढ़ता रहा है. कहीं भी किसानों के मार्च को लेकर कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है.
यह अलग बात है कि हरियाणा जैसे राज्य में किसानों पर पानी की बौछार की गई. बल
प्रयोग भी किया गया है. लेकिन, अब दिल्ली
पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए कई तरह की चेतावनी जारी की है. देखिये किसान तो
दिल्ली जाएगा ही...! ये मत सोचिये, कि दो तीन राज्यों से किसान आ रहे हैं.
अब किसान मार्च एक चिंगारी में बदल चुका है. तमिलनाडु, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल सहित अनेक
राज्यों से किसानों के जत्थे दिल्ली मार्च में शामिल होने के लिए निकल पड़े हैं. किसानों
को रेलवे प्लेटफार्म पर नहीं जाने दिया जा रहा है. जब उन्हें ट्रेन में चढ़ने से
रोका गया तो किसानों ने पैदल चलना शुरू कर दिया.
उन्होंने सरकार से पूछा कि देश में
कोरोना के दौरान कितने किसान मारे गए हैं, ये अंदाजा है किसी को नहीं है, लेकिन ये सच है. अपने इस दावे को
पुख्ता करते हुए अविक साहा कहते हैं कि रोजाना ही कहीं न कहीं किसान की मौत हो रही
है. कोई बीमारी से मर रहा है तो कहीं भूख मौत बनकर आई है. ये एक अनिश्चितकालीन
आंदोलन है. इसे केवल एक-दो दिन का आंदोलन न समझें. केंद्र और राज्य सरकारें, किसानों के आंदोलन को रोकने की बड़ी
गलती कर रहीं हैं. जब तक किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ करने वाले कानून वापस
नहीं होंगे, तब तक
आंदोलन चलता रहेगा.
जहां रोकेंगे वहीं लगेगा तंबू : छह माह
का राशन, दवाएं, टेंट और लंगर का भी इंतजाम
कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में पिछले
डेढ़ माह से किसानों का आंदोलन चल रहा था. अब किसान दिल्ली को इस आंदोलन का केंद्र
बनाना चाह रहे हैं. तभी किसानों ने दिल्ली चलो आंदोलन का आह्वान किया. पंजाब के
विभिन्न हिस्सों से निकले किसानों के काफिले में रसद और ठंड से बचने की पूरी
व्यवस्था है. किसानों का कहना है कि जब तक ये कृषि कानून वापस नहीं होंगे, तब तक वे दिल्ली में डटे रहेंगे.
किसान संगठनों का कहना है कि किसान
मार्च महज एक आंदोलन नहीं रहा, अब ये
चिंगारी बन चुका है. इस चिंगारी को रोकने का प्रयास न करें, जहां भी किसानों को रोकेंगे, वहीं तंबू लगेगा. उन्होंने कहा पुलिस
के दबाव में आकर किसान वापस नहीं जाएंगे, ये तय हो चुका है. जहां भी रोका जाएगा, वहीं पर लंगर शुरू कर देंगे. पंजाब के
फाजिल्का से करीब 300 किसानों
का जत्था दिल्ली रवाना होने को तैयार है. इसमें अबोहर, बल्लूआना, फाजिल्का और जलालाबाद के किसान शामिल
हैं. भाकियू कादियां के फाजिल्का ब्लॉक प्रधान बूटा सिंह ने बताया कि करीब 30 ट्रालियों में छह महीने का राशन, लकड़ी और गैस सिलिंडर, जरूरी दवाएं, टेंट और तिरपाल का प्रबंध है. किसानों
को पुलिस ने जहां भी रोका, वहीं
चक्का जाम शुरू हो जाएगा. @Nayak 1
Movement of farmers on agricultural law, movement
on seventh sky
Fierce war against the government, smoke fumes
became Ambala border
Photograph taken from Google
Hey Prime Minister, these are farmers, not
terrorists…
♦ In Mandsaur, farmers are shot, black peasant laws are imposed on them, they are forced to stay half-hearted, drink urine and eat rats and are now protesting against the law snatching the support price. Demonstration is being stopped inhumanly. Hey country destroyer Prime Minister, these are farmers, not terrorists.
♦ Farmers
across the country need to be one. It is not a matter of one law or two
distressed farmers of two states. Different states have the same situation of
farmers in almost every state.
♦ The
governments which have completely destroyed the economy of the country, the
same sinking economy was supported by the farmers, due to which the people of
the country are able to eat all their food. Today when the same farmers have
come out on the road to save their existence, the BJP government is running a
water canon on them in the bitter cold. This is the most embarrassing.
Question: How is the agricultural law in the
interest of farmers, when all the farmers are agitating against it in the road?
If the farmers of the country have themselves come out against the law, then
how can it be believed that the agricultural law is in the interest of the
farmers?
Laws that play with the interests of farmers will
not be withdrawn, till then the movement will continue.
The peasant march was not just a movement, now it
has become a spark. Do not try to stop this spark, wherever the farmers are
stopped, there will be tents. Delhi Police has issued a number of warnings to
stop the farmers. The farmer will go to Delhi only! Do not think that farmers
are coming from two or three states. Now the farmer march has turned into a
spark. This is an indefinite movement. Do not consider this a movement of only
one or two days. Central and state governments are making a big mistake to stop
the farmers' movement. As long as the laws that play with the interests of the farmers
will not be returned, the movement will continue.
"From Ambani's men and Seth's watchmen, iron
barricades and pointed wires!
From tears to gas bullets and government weapons,
to fake dictators and these bloodthirsty governments !!
Someone can go and tell us from the corridors of
Parliament, we farmers are not afraid of water splashes! "
Sometimes water splashes in the cold, sometimes
sealing the border, then firing bullets on some farmers and a case of treason
on them. Even farmers have been forced to drink their own urine. Know how many
times the government has tolerated such atrocities and has marched on foot to
Delhi to reach the farmer government. Even after this, their words are not even
heard. When this is the condition of the farmers in the agrarian country, then
understand the condition of the country? In Mandsaur, farmers are shot, black
peasant laws are imposed on them and now the protests of farmers protesting
against the law snatching the support price are being inhumanly stopped. Hey country
destroyer Prime Minister, these are farmers, not terrorists. Sadly, instead of
hearing the voice of the farmer in such a cold, water is being showered on him.
Water splashes over farmers in the bitter cold are telling that the government
has come down completely on dictatorship. The biggest question is how is the
agricultural law in the interest of farmers, when all the farmers are agitating
on the road in protest against it? If the farmers of the country have
themselves come out against the law, then how can it be believed that the
agricultural law is in the interest of the farmers?
Significantly, the farmers have given a stir to the
agriculture law. The farmers' movement is on the seventh sky. How fierce is the
farmers' war against the government, it can be gauged from this that the entire
smoke of Ambala border has become smoke. Thousands of farmers from Punjab, UP,
Haryana, Rajasthan and other states have started a 'Delhi Chalo' march in
protest against the agriculture laws made by the central government. Many
batches have reached the Delhi border and its vicinity. Farmers' groups are
being stopped in almost every state. In the cold of this sizzle, on the one
hand, where there is a shower of strong water on the farmers, on the other
hand, the sticks are being fired, then tear gas shells are being fired.
Farmers' organizations say that the peasant march
was not just a movement, now it has become a spark. Do not try to stop this
spark, wherever the farmers are stopped, there will be tents. Member of All India
Kisan Sangharsh Coordination Committee, Avik Saha further said, we know the
people of Delhi. However, all the farmers have to bring ration water to fill
their stomachs. If the agitation goes on in Delhi, there is no concern. Most of
the population here has come from villages. They come from the peasant family
itself. In such a situation, the farmer will not die of hunger here. The people
of Delhi will feed themselves, Gurudwaras have already made special
arrangements for food for the farmers.
Avik Saha told that till now the farmer march has
been proceeding peacefully. There has been no untoward incident on the farmers'
march anywhere. It is a different matter that in a state like Haryana, water
was showered on farmers. Force has also been used. However, now the Delhi
Police has issued a number of warnings to stop the farmers. See, the farmer
will go to Delhi…! Do not think that farmers are coming from two or three
states. Now the farmer march has turned into a spark. Farmers' groups from many
states including Tamil Nadu, Odisha and West Bengal have left for Delhi to join
the march. The farmers are not being allowed to go on the railway platform.
When he was stopped from boarding the train, the farmers started walking.
He asked the government how many farmers have been
killed during the corona in the country, it is not known to anyone, but it is
true. Confirming this claim, Avik Saha says that the farmer is dying every day
somewhere. If someone is dying of disease, then hunger has become death. This
is an indefinite movement. Do not consider this a movement of only one or two
days. Central and state governments are making a big mistake to stop the
farmers' movement. As long as the laws that play with the interests of the
farmers will not be returned, the movement will continue.
Tents will be placed where we stop: provision of
six months ration, medicines, tents and langar
The agitation of farmers was going on in Punjab for
the last one and a half months against agricultural laws. Now farmers are
trying to make Delhi the center of this movement. Then the farmers called for
the Delhi Chalo movement. The convoy of the farmers who have come out from
different parts of Punjab has the entire system of logistics and avoiding the
cold. The farmers say that till these agricultural laws are not withdrawn, they
will stand in Delhi.
Farmers' organizations say that the peasant march
was not just a movement, now it has become a spark. Do not try to stop this
spark, wherever the farmers are stopped, there will be tents. He said that
farmers will not go back under police pressure, it has been decided. Wherever
stopped, we will start the anchor there. The batch of about 300 farmers
from Fazilka in Punjab is ready to leave for Delhi. This includes the farmers
of Abohar, Balluana, Fazilka and Jalalabad. Fazilka Block Pradhan Buta Singh of
Bhakiyu Qadian told that there is a provision of six months ration, wood and
gas cylinders, essential medicines, tents and tarpaulins in about 30 trolleys.
Wherever the police stopped the farmers, there would be a traffic jam. @Nayak 1