क्रोध में अन्नदाता और मजदूर वर्ग
सरकार की नीतियों के विरोध में एक तरफ किसानों का आंदोलन दूसरी तरफ श्रमिक संगठनों की हड़ताल
केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ देश में उबाल शुरू
हो चुका है. इस सरकार ने एक ओर गरीब, प्रवासी मजदूर से
लेकर सरकारी कर्मचारी तो दूसरी तरफ किसानों को उस मुहाने पर पहुंचा दिया है जहां
से उनको चारों तरफ खाई ही खाई नजर आ रही है. देश के अन्नदाता और मजदूर दोनों इस
समय क्रोधित हो उठे हैं. एक तरफ जहां किसान तीन कृषि कानून के विरोध में विशाल
आंदोलन कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सरकार की आर्थिक और मजदूर विरोधी नीतियों के
खिलाफ विभिन्न मजदूर संगठनों ने देशव्यापी हड़ताल शुरू कर दिया है.
एआईटीयूसी के महासचिव अमरजीत कौर ने कहा, हड़ताल से केरल और तमिलनाडु पूरी तरह बंद रहा. ऐसी ही स्थितियाँ
ओडिशा, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना और गोवा
में बनी रहीं. महाराष्ट्र में भी हड़ताल को अच्छा समर्थन मिला. उन्होंने कहा कि
बैंकों, एलआईसी, जीआईसी और आयकर विभाग में भी सेवाएं गंभीर रूप से प्रभावित हो
सकती हैं. श्रमिक संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा, केरल, पुदुचेरी, ओडिशा, असम और तेलंगाना में
हड़ताल के दौरान पूर्ण बंद रहा. तमिलनाडु के 13 जिलों में पूर्ण बंद
की स्थिति रही, जबकि अन्य जिलों में औद्योगिक हड़ताल जारी
रही. पंजाब एवं हरियाणा में राज्य परिवहन निगम की बसों का भी चक्का जाम रहा. बयान
के मुताबिक झारखंड और छत्तीसगढ़ में बाल्को समेत अन्य जगहों पर पूर्ण हड़ताल रही.
पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में आम जनजीवन प्रभावित रहा. पश्चिम बंगाल में छिटपुट
झड़पों की खबर है. हिंद मजदूर सभा के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि
बृहस्पतिवार की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में करीब 25 करोड़ श्रमिकों के शामिल होने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि
रक्षा, रेलवे, कोयला श्रमिकों समेत अन्य निजी क्षेत्र के श्रमिक संगठनों का भी
इस हड़ताल को समर्थन मिला है.
बता दें कि यह हड़ताल केंद्र सरकार की कई नीतियों
समेत विशेष तौर पर नए किसान और श्रम कानूनों के विरोध के लिए बुलाई गई थी. संगठनों
ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के खाते में 7500 रुपये भी ट्रांसफर करने की मांग भी की है. वहीं घरेलू सहायक, निर्माण श्रमिक, बीड़ी मजदूर, रेहड़ी-पटरी वालों, कृषि मजदूर, ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वरोजगार करने वालों ने भी ‘चक्का
जाम’ में शामिल होने की घोषणा की. कई राज्यों में ऑटोरिक्शा और टैक्सी ड्राइवरों
ने भी हड़ताल में शामिल होने के लिए कहा था. रेलवे और रक्षा कर्मचारियों के संघों
ने भी हड़ताल को अपना समर्थन जताया है.
गूगल से ली गई छायाचित्र
मालूम हो कि मोदी सरकार द्वारा श्रम सुधार के नाम पर
लाए गए तीन विधेयकों- औद्योगिक संबंध संहिता बिल 2020,
सामाजिक सुरक्षा संहिता बिल 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं
कार्यदशा संहिता बिल 2020 को संसद से पारित
कराया है. इन कानूनों के जरिये जहां एक तरफ सरकार ने सामाजिक सुरक्षा का दायरा
बढ़ाकर इसमें गिग वर्कर और अंतर-राज्यीय प्रवासी मजदूरों को शामिल करने का प्रावधान
किया है, वहीं दूसरी तरफ यह बिना सरकारी इजाजत के
मजदूरों को नौकरी पर रखने एवं उन्हें
नौकरी से निकालने के लिए नियोक्ता (एम्प्लॉयर) को और
अधिक छूट प्रदान कर दिया है.
शेयरिंग इकोनॉमी जैसे, उबर एवं ओला के ड्राइवर, जोमैटो, स्विगी आदि के डिलीवरी पर्सन के रूप में काम करने वाले लोगों को
गिग वर्कर कहा जाता है. इस तरह की नौकरियां ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, इंडिपेंडेंट कॉन्ट्रैक्टर, ऑन-कॉल वर्कर आदि से
जुड़ी हुई होती हैं, जहां कर्मचारी कंपनी से बंधे नहीं होते और
वे उतने समय के लिए अपना काम चुन सकते हैं, जितने समय तक काम
करना चाहते हैं. विधेयक में सरकार ने हड़ताल पर जाने के मजदूरों के अधिकारों पर
अत्यधिक बंदिश लगाने का प्रावधान किया गया है.
इसके साथ ही नियुक्ति एवं छंटनी संबंधी नियम लागू
करने के लिए न्यूनतम मजदूरों की सीमा 100 से बढ़ाकर 300 कर दिया गया है, जिसके चलते ये प्रबल
संभावना जताई जा रही है कि नियोक्ता इसका फायदा उठाकर बिना सरकारी मंजूरी के
ज्यादा मजदूरों को तत्काल निकाल सकेंगे और उसी अनुपात में भर्ती ले लेंगे. इसके
अलावा श्रम मंत्रालय ने संसद में हाल ही में पारित एक संहिता में कार्य के घंटे को
बढ़ाकर अधिकतम 12 घंटे प्रतिदिन करने का प्रस्ताव दिया है.
अभी कार्य दिवस अधिकतम 10.5 घंटे का होता है.
@Nayak 1
Humble greetings on the occasion of
Commemoration Day of Satya Shodhak Mahatma Jyotirao Phule
Providers and the working class in anger
Movement of peasants on one side in
protest against government policies, strike of labor organizations on the other
The boil in the country has started against the
Modi government of the Center. This government has moved the poor, migrant
laborers to government employees on the one hand and the farmers on the other
side, from where they can see the moat everywhere. Both the Annadata and the
workers of the country have become angry at this time. On one hand, while the
farmers are making a huge agitation against the three agricultural laws, on the
other hand, various labor organizations have started a nationwide strike
against the government's economic and anti-labor policies.
AITUC general secretary Amarjit Kaur said,
Kerala and Tamil Nadu remained completely closed due to the strike. Similar
conditions remained in Odisha, Punjab, Haryana, Telangana and Goa. The strike
also received good support in Maharashtra. He said that services in banks, LIC,
GIC and Income Tax department can also be severely affected. Workers'
organizations said in a joint statement that Kerala, Puducherry, Odisha, Assam
and Telangana remained completely closed during the strike. There was complete
shutdown in 13 districts of Tamil Nadu, while industrial strike continued in
other districts. In Punjab and Haryana, the buses of the State Transport
Corporation were also jammed. According to the statement, there was a full
strike in Jharkhand and Chhattisgarh, including BALCO. Normal life was affected
in West Bengal and Tripura. Minor skirmishes have been reported in West Bengal.
Hind Mazdoor Sabha general secretary Harbhajan Singh Sidhu said that about 25
crore workers are expected to be involved in Thursday's nationwide strike. He
said that this strike has also got support from defense, railways, coal workers
and other private sector labor organizations.
Photograph taken from Google
Explain that this strike was called to protest
many policies of the central government, especially the new farmer and labor
laws. Organizations have also demanded a transfer of Rs 7500 to the account of
unorganized sector workers, citing the corona epidemic. At the same time,
domestic helpers, construction workers, beedi workers, street vendors,
agricultural laborers, self-employed people in rural and urban areas also
announced to join the 'Chakka Jam'. In many states, autorickshaw and taxi
drivers were also asked to join the strike. The unions of railway and defense
employees have also expressed their support to the strike.
It may be known that three bills brought in the
name of labor reform by the Modi government - Code of Industrial Relations Code
2020,
Parliament has passed the Social Security Code
Bill 2020 and the Occupational Safety, Health and Working Code Bill 2020.
Through these laws, while on one hand the government has extended the scope of
social security to include gig workers and inter-state migrant laborers, on the
other hand it is without government permission.
Hiring workers and them
The employer has given more exemption to the
employer for removal.
People working as delivery persons of sharing
economy like Uber and Ola, Jomato, Swiggy etc. are called gig workers. Such
jobs are associated with online platforms, independent contractors, on-call
workers, etc., where employees are not tied to the company and can choose their
jobs for the length of time they want to work. In the bill, the government has
made a provision to impose excessive restrictions on the rights of workers to
go on strike.
Along with this, the minimum labor limit has
been increased from 100 to 300 to enforce the rules related to recruitment and
retrenchment, due to which there is a strong possibility that employers will be
able to take advantage of this and immediately remove more workers without
government approval and Will take recruitment in the same proportion. Apart
from this, the Labor Ministry has proposed to increase the working hours to a
maximum of 12 hours per day in a recently passed code in Parliament. The
maximum working day is 10.5 hours. @Nayak 1
Thank you Google